आप पार्टी को हुई विदेशों से फंडिग,ईडी ने रिर्पोट पहले ही भेज दी गृह मंत्रालय को,केजरीवाल की मुशकिलों में होने जा रही बडौतरी

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पंजाब /20 मई: पहले से ही ईडी का कोप व भाजपा पर आरोप लगाने वाली आप पार्टी अब और भी मुशकिलों में घिर सकती है,क्योंकि एक अहम खुलासा हुआ है कि विदेशों से आप पार्टी को फंडिग हुई है,जिस कारण आप सुप्रीमों केजरीवाल की मुशकिले बढ सकती है। ऐसा इस लिये कि ईडी ने रिर्पोट गृह मंत्रालय को भेज दी है। बता दें कि फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट और रिप्रेसेंटशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत सियासी दलों के लिए विदेशी फंडिंग लेने पर प्रतिबंध है और ये एक अपराध का श्रेणी में आता है। वहीं दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से चार्जशीट में आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाया गया है। इस चार्जशीट में दिल्ली के मुखयमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल है। दरअसल अगस्त 2022 में गृह मंत्रालय को बताया था कि आम आदमी पार्टी को साल 2014 से 2022 के दौरान एफसीआरए,आरपीए का उल्लंघन करते हुए विदेशों से फंडिंग मिली। आम आदमी पार्टी को कनाडा, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, सऊदी अरब, कुवैत, ओमान और कई दूसरे देशों से फंडिंग मिली है। ईडी ने गृह मंत्रालय को बताया कि सियासी दलों पर विदेशी चंदे पर लगे प्रतिबंधों से बचने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने अकाउंट में पैसा देने वालों की पहचान को छुपाया। ये विदेशी फंडिंग सीधा आम आदमी पार्टी के आईडीबीआई बैंक में खुले अकाउंट में आया था।
आप विधायक के खाते में ट्रांसफर हुए पैसे
ईडी के मुताबिक आम आदमी पार्टी के नेताओं में शामिल विधायक दुर्गेश पाठक का भी नाम शामिल है, जिन्होंने इस विदेशी फंडिंग को अपने पर्सनल अकाउंट में ट्रांसफर किया। विदेशों से फंड भेजने वाले अलग-अलग लोगों ने एक ही पासपोर्ट नंबर, क्रेडिट कार्ड, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया था।
कनाडा में इवेंट के जरिए इक_ा की फंडिंग
प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में पाया कि साल 2016 में आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक ने कनाडा में हुए एक इवेंट के जरिए फंडिंग इकठ्ठा की और इन पैसों का निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया। दरअसल ये सभी खुलासे पंजाब के फाजिल्का में दर्ज स्मगलिंग के एक मामले के दौरान हुए थे। इस मामले में पाकिस्तान से भारत में ड्रग्स तस्करी करने वाले ड्रग कार्टेल पर एजेंसीज काम कर रही थी। इस मामले में फाजिल्का की स्पेशल कोर्ट ने पंजाब के भोलानाथ से आप के एमएलए सुखपाल सिंह खैरा को आरोपी बनाते हुए समन किया था। ईडी ने जांच के दौरान खैरा और उसके एसोसिएट्स के यहां जब सर्च ऑपरेशन चलाया था तो खैरा और उसके साथियों के यहां से कई संदिग्ध कागज़ात मिले थे, जिनमें आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग कि पूरी जानकारी थी। बरामद कागज़ातों में 4 टाइप रिटेन पेपर और 8 हाथ से लिखे डायरी के पेज थे, जिनमें अमेरिका के डोनर की पूरी जानकारी थी। इन कागज़ों कि जांच के दौरान ईडी को यूएसए से आम आदमी पार्टी को 1 लाख 19 हजार डॉलर की फंडिंग का पता चला था। खैरा ने भी अपने बयान में बताया था कि 2017 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने यूएसए में फंड रेजिंग कैंपेन चलाकर चंदा इक_ा किया था।
पासपोर्ट नंबर से 404 बार किया पैसा ट्रांसफर
इस मामले में ईडी ने आम आदमी पार्टी के नेशनल सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को समन किया था, जिन्होंने कबूल किया था कि आम आदमी पार्टी चेक और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए विदेशी फंडिंग ले रही है। जो डेटा पंकज गुप्ता ने ईडी को उपलब्ध कराया था, उसकी पड़ताल से पता चला कि फॉरेन डोनेशन लेने में एफसीआरए का उल्लंघन किया गया था। उस दौरान ईडी को पता चला था कि विदेश में बैठे 155 लोगों ने 55 पासपोर्ट नंबर इस्तेमाल कर 404 बार में 1.02 करोड़ रुपये डोनेट किए गए थे। 71 डोनर ने 21 मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर 256 बार में कुल 9990870 रुपये डोनेट किए. 75 डोनर ने 15 क्रेडिट कार्ड के जरिए 148 बार में 19,92,123 रुपये डोनेट किए। जिससे साफ है कि डोनर की आइडेंटिटी और नेशनलिटी को छुपाया गया, जो एफसीआर का उल्लंघन है।
विदेशी फंड के लिए आप ने बनाया ओवरसीज संगठन
ईडी को जांच के दौरान पता चला कि आम आदमी पार्टी की तरफ से आप ओवरसीज इंडिया का गठन किया गया था। आम आदमी पार्टी ओवरसीज इंडिया को वॉलिंटियर्स यूएसए, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे अलग-अलग देश में चलाते थे। जिनका काम आम आदमी पार्टी के लिए फंड इक_ा करना था। इस बात का भी खुलासा हुआ कि साल 2016 में इन वालंटियर्स को 50 करोड़ रुपए की डोनेशन इक_ी करने का टारगेट दिया गया था। कनाडा नागरिकता के 19 मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी का इस्तेमाल करके 51 लाख 15 हजार 44 रुपये की फंडिंग प्राप्त की गई। ईडी जांच के दौरान पता चला कि इन कनाडा नेशनल के नाम और उनकी नागरिकता को छुपाने की कोशिश की गई, जिन्हें रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं किया गया। वहीं इस डोनेशन के बदले में अलग-अलग नाम लिख दिए गए और यह सब जानबूझकर फॉरेन नेशनल की नागरिकता को छुपाने के लिए किया गया।