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 पंजाब से असल सरदार गायब है,लोकसभा चुनाव प्रचार से

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पंजाब/20 मई: एक वक्त था, जब कई स्टार नेताओं को सुनने के लिए या एक झलक पाने के लिए चुनावी सभाओं में हजारों लोग जुट जाते थे। आज न उनके बयान हेडलाइन बन रहे हैं न ही वे लोकसभा चुनाव के रण में दिखाई दे रहे हैं। आइए जानते हैं उन नेताओं के बारे में जो चुनाव के परिदृश्य से गायब हैं। पंजाब के पूर्व मुखयमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सितंबर 2021 में सीएम पद छोडऩे के बाद से पंजाब की राजनीति में एक्टिव नहीं हैं। कैप्टन ने कांग्रेस छोडक़र भाजपा जॉइन की थी। पत्नी परनीत कौर ने पटियाला से भाजपा के टिकट पर जिस दिन नामांकन पत्र दाखिल किया था उन्हें उस दिन भी उनके साथ नहीं देखा गया था। दिल्ली में भी पंजाबी और सिख वोट बैंक के बावजूद कैप्टन को प्रचार करते हुए नहीं देखा गया।
ओए गुरु’ भी चुनावों से दूर
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू इंडियन प्रीमियर लीग के लिए कमेंटरी कर रहे हैं। जेल से बाहर आने के बाद से सिद्धू ने इशारा कर दिया था कि वह इस बार के आम चुनाव में ज्यादा नहीं दिखेंगे। अमृतसर सीट से सासंद रह चुके सिद्धू इस वक्त आईपीएल के साथ-साथ पत्नी नवजौत कौर की देखभाल में लगे हैं। नवजौत कौर कैंसर से लड़ रही हैं। उनका इलाज चल रहा है।
कभी इधर-कभी उधर
बड़े अकाली नेताओं में शामिल सुखदेव सिंह ढींढसा बेटे को टिकट न मिलने से नाराज हैं। उनका परिवार शिरोमणि अकाली दल में फिर से शामिल हो गया, लेकिन पार्टी ने उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींढसा को संगरूर से मैदान में नहीं उतारा। पंजाब में अकालियों का पिंडों में काफी वोट बैंक है। इसके बावजूद ढींढसा अभी तक अकाली के हक में वोट मांगते नजर नहीं आए हैं। सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी जॉइन कराने के बाद से अब तक उन्हें कोई बड़ी जिंमेदारी नहीं सौंपी है।

कहां हैं कलाकार
ऐक्टर और कभी आप की पंजाब इकाई के नेता रहे गुरप्रीत सिंह घुग्गी रील लाइफ में दिख रहे हैं कि लेकिन राजनीतिक स्टेज से गायब हो चुके हैं। आप के करमजीत अनमोल के लिए गिप्पी जरूर दिखे लेकिन घुग्गी गायब हैं।
नहीं आया एक भी बयान राज्य के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल भाजपा में चले गए थे। वह हार्ट की सर्जरी के बाद रिकवर कर रहे हैं। विधानसभा में काफी एक्टिव रहने वाले मनप्रीत बादल का 2024 के चुनाव में एक भी बयान नहीं सुनाई पड़ा है।
आवाज कम हो गई है
जगमीत सिंह बराड़, जो कभी राज्य कांग्रेस में एक बड़ा नाम थे और अपनी कला के लिए आवाज-ए-पंजाब कहलाते थे, 2022 के विधानसभा चुनावों में आप की लहर के बाद से सभी राजनीतिक हलकों से बाहर हैं।

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