फोटो खिचवा सोशल मीडिया पर अपलोड कर संगत को कर रहे प्रभावित
(लुधियाना/ 16 मई): लोकसभा 1014 का चुनाव इस बार कई तरह के रंग दिखा रहा है कि किस तरह वोट लेने के लिये नेता ललचाते दिखाई पड रहे है। हालात यह है कि नेतागण वोट पाने की ललक में धार्मिक स्थलों व डेरों के संचालकों के साथ फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर जनता को यह संदेश दे रहे कि फलां बाबा व धार्मिक स्थल का संचालक उनका अपना ही है व उनसे बेहद प्यार करता है। इससे जनता को तो भ्रमित किया ही जा रहा है,वहीं धार्मिक स्थलों की साख को दाव पर लगाया जा रहा है। इस बात का पता फोटो खिंचवाने वाले बाबा व संचालक को पता नही कि अगर वह नेता हार गया तो बदनामी उस धार्मिक स्थल की ही होगी और नेता कभी भूल कर भी वापिस नही आयेगा।
क्या डेरे की संगत जिता सकती है
देखने में आया है कि अकसर जो नेता भी किसी डेरे पर जाता है तो वह डेरा संचालक बाबा के साथ अपना फोटों खिंचवाता है। जिसके बाद वह सोशल मीडिया पर जब अपलोड करता है तो यही संदेश दिया जाता है कि बाबा की संगत उनके लिये वोट करेगी। यही काम पहले राम रहीम गुरमीत ने शुरू किया था,उनके जेल जाने के कारण अब बाकी डरा संचालकों ने भी वही काम करना शुरू कर दिया है। जबकि सूत्र बताते है कि किसी भी बाबा ने कोई ऐसा आर्शीवाद नेता को नही दिया व अपनी संगत को यह नही कहा कि वोट उस नेता के लिये डाले जायें। अगर डेरा ब्यास की बात की जाये तो बाबा गुरिंदर सिंह ने इस चलन को अब शुरू किया है,जबकि उनसे पहले के बाबाओं ने किसी नेता को मूंह नही लगाया था और ना ही वह नेताओं से मिलते थे। अब बाबा लोग भी वाहावाही के चक्कर में फंस कर खुद ही धार्मिक स्थल की साख दाव लगी देख रहे है।अकेली डेरा संगत ने किसी को नही जिताया
जिस प्रकार की राजनिति चल रही है व जिस प्रकार परिणाम आ रहे है,कुछ राजनितक माहिरों ने बताया कि अकेली डेरा संगत या धार्मिक स्थल की संगत ने आज तक किसी को अपने दम पर नही जिताया है। लेकिन यह नेता आजकल डेरों व धार्मिक स्थलों के चक्कर इस लिये काट रहे है तांकि नेता को वोट मिल सके और डेरा सांचालकों व धार्मिक स्थलों को अगर कही काम पडे तो वह उस नेता के पास जाकर अपना काम निकाल सकें। इसका परिणाम भी है कि डेरा राम रहीम गुरमीत ने भाजपा को इतना बहुमत नही दिलाया कि उसे जेजेपी का सहारा लेकर सरकार बनानी पडी। जबकि भाजपा ने भी डेरा संचालक की खूब खातिर की,उनको कई बार जेल से पैरोल पर भेजा गया,उसके बावजूद भी आज जो सर्वे आ रहे है,हरियाना में भाजपा एक दो सीटें जीत सकती है,जबकि कांग्रेस का पलडा वहां पर भारी है।
अब यह चलन पंजाब में भी चलने लगा है
पंजाब में डेरा संचालकों के आगे नतमस्तक होने का चलन अकाली दल ने शुरू किया था,जब गुरमीत राम रहीम ने गुरू गोबिंद सिंह जी का भेस बदल कर माथे पर कलगी लगाई थी तो पंजाब में इसका जोरदार विरोध हुआ था,उस समय अकाली दल की सरकार थी और अंदरखाते डेरा संचालक की अकाल तखत पर माफी करवाई गई थी। जिसके बाद कांग्रेस के एक नेता की उस डेरा संचालक के साथ रिशतेदारी थी तो कांग्रेस के नेता भी डेरा चालक के आगे नतमस्तक होने लगे। जिसके बाद तो नेताओं की बाढ आ गई और आजकल हर नेता किसी ना किसी डेरे अथवा धार्मिक स्थल पर जाकर नतमस्तक हो रहा है या फिर संगत में बैठ कर वहां सम्मानित होकर यह दर्शाने का प्रयास कर रहा है कि उन जैसा तो कोई धार्मिक भगत ही नही है।
एक नेता की सेवा करते फोटो वायरल
देश का खुद को पहरेदार कहने वाले नेता की एक फोटो पटना साहिब के गुरूदारे की वायरल हो रही है,जिसमें वह लंगर की दाल बनाने की सेवा करते दिखाई दे रहे है। हैरानीजनक यह था कि एक तो दाल बनाने वाली देग में वह खोंचा चला रहे थे,जबकि दूसरी और उनके चूले में आग कहीं दिखाई नही दे रही थी,पगडी भी उन्होने ऐसी बंधी हुई थी कि जिस प्रकार वह युवा हो और गुरू घर में सेवा कर रहे है। इस वीडियों ने उनको वाहवाही तो क्या दिलवानी थी बल्कि लोग सोशल मीडिया पर तंज कसने लगे कि साहिब को यह नही पता कि अगर सेवा करनी है तो पहले चूले की आग तो जला लेते और कैमरे की तरफ तो ना देखने। कई लोगों का तो यह भी कहना था कि साहिब रूप व भेस बदलने में माहिर है,वह किसी भी धार्मिक स्थल पर जाये वहीं का भेस अपना लेते है।
आम लोगों की राये
आम लोगों का कहना था कि इन नेताओं को अपने कामों पर विश्वास रख मेहनत करनी चाहिये नांकि डेरों व धार्मिक स्थला पर जाकर नतमस्तक होने की। असल में जो लोग भी धार्मिक स्थलों पर जाकर नाक रगड रहे है,उनको अपने पास होने का डर है,उन लोगों ने जनता के काम नही किये और वह जनता के बीच तक नही गये बल्कि पांच साल बाद ही वह जनता के द्वार पर जाते है,यही कारण है कि वह भगवान के सहारे राजनिति कर रहे है,जिसके कारण उनका चुनाव किया गया था वह उस काम को नही कर रहे।