(चंडीगढ/ 14 मई): लाल बहादुर शासत्री पूर्व प्रधानमंत्री का दावा बीजेपी बताये कि क्या वह गलत नारा था,यह बात बीजेपी को बतनी पडेगी कि आज वह जय जवान जय किसान का नारा लगा सकती है,कारण साफ है कि जिस प्रकार विगत वर्षो में अग्रिवीर व किसानों का रोश भाजपा के लिये फला है तथा पंजाब और हरियाना में जिस प्रकार भाजपा नेताओं को किसान गांवों में घुसने नही दे रहे और जोरदार विरोध कर रहे है,उससे तो भाजपा भी बेहद परेशान नजर आती है। जैसे अगिन्वीरों ने तथा किसानों ने भाजपा को सबक सिखाने का पूरा प्रबंध कर लिया है,उससे लगता है कि पंजाब तथा हरियाना की राह बीजेपी के लिये आसान नही है,क्योंकि पंजाब व हरियाना में किसानों व अगिन्वीरों की संखया इस कदर है कि वह हर सीट पर चुनाव के समीकरण बिगाड सकती है। अब भाजपा ने भी किसानों के रोश को लेकर अपनी रणनीति बदलने का प्रयास कर लिया है। भाजपा ने शहरों पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर दिया है,लेकिन आंकडे बताते है कि ग्रामीण इलाकों मेें शहरों के मुकाबले जनसखया अधिक है।
इन जिलों में यूपी सेल में की गई नियुक्तियां भाजपा की तरफ से संगरूर, फिरोजपुर, मानसा, मोगा, जगराओं में यूपी सेल में नियुक्तियां की गई हैं। इनमें कन्वीनर से लेकर को-कन्वीनर व स्टेट एग्जीक्यूटिव मेंबर लगाए गए हैं। ऐसा ही हरियाना में भी किया गया है। यह लोग इन जिलों में संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे। इसके अलावा भाजपा का दावा है कि उन्होंने अपने हरेक जिले में बूथ मजबूत कर लिए हैं। उसके लिए लोकल कमेटियां बनाई गई हैं। उसमें युवा से लेकर हर वर्ग के लोग शामिल किए गए हैं। कई नेताओं ने राज्य में डाला डेरा
भारतीय जनता पार्टी के कई सीनियर नेता अब पंजाब पहुंच गए हैं। साथ ही उन्होंने सभी हलकों में जिंमेदारियां संभाल ली हैं। पार्टी द्वारा हर स्तर पर चुनाव को लेकर मंथन किया जा रहा है। इससे पहले नॉमिनेशन प्रक्रिया में पार्टी ने ताकत दिखाने के लिए कई केंद्रीय मंत्रियों और कई राज्यों मुखयमंत्री की ड्यूटी लगाई हैं। वहीं, स्टार प्रचारकों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह व योगी आदित्य नाथ जैसे बड़े नाम शामिल किए गए हैं। पार्टी के प्रधान सुनील जाखड़ पहले ही कह चुके है कि इस बार पार्टी का प्रदर्शन हैरान करने वाला होगा।
आखिर किन कारणों से हो रहा भाजपा का विरोध
डकसान कोविड के दिनों भी फसलों की एमएसपी को लेकर करीब एक साल तक हरियाना में धरने पर बैठे रहे,जिसमें 700 के करीब किसानों की मौत हो गई थी। उस समय देश के प्रधानमंत्री नरिंदर मोदी ने किसानों को वायदा किया था कि एमएसपी की कानूनी गारंटी वाला कानूनन बनायेगें,लेकिन इसके बाद सरकार ने किसानों के साथ कोई मीटिंग नही की। उसके बाद अब दोबारा 2023 से चले किसानों के रोश प्रर्दशन में मांगे वही थी,लेकिन केन्द्र के इशारे पर किसानों को शंभू बार्डर पर ही तीन लेयर की सुरक्षा व्यवस्था कर रोक दिया गया। किसानों की इस दौरान 5 बार मीटिंगें केन्द्रीय मंत्रियों से भी हुई,करीब 20 किसान इस प्रर्दशन की भेंट चढ गये। किसानों का आरोप था कि हरियाना पुलिस ने सरेआम गोलीयांं चला कर एक किसान युवक की हत्या कर दी,एक को बंधक बनाकर ले गये व उसके शरीर की हड्डियां तोड दी गई,इसके इलावा किसानों की मांग थी कि हिरासत में लिये गये तीन किसान रिहा किये जाये,जब कोई बात सरकार ने नही मानी तो उन्होने सडक से लेकर रेलवे ट्रैक तक जाम कर दिये। किसानों का रोश था कि जो व्यवहार उनके साथ किया गया,अब वह भी अपने गांवों में भाजपा को घुसने नही देगें। अगिनवीर भी खासे रोश में अगिनवीरों का अपना ही रोश है कि रैगुलर की बजाये उनको सिरफ 4 साल के लिये सेना में नौकरी दी गई है। जब वह 21 या 22 साल की आुय में पहुंचेगे तो रिटायर कर दिये जायेगें,ऐसा सरकार ने जानबूढ कर किया है,पहले तो जब भर्ती खोली गई तो उन लोगों ने इस स्कीम का विरोध किया तब सरकारों ने उनसुनवाई करने की बजाये उनको इस देश के सबसे बडे दुशमन मानते हुए उन पर पुलिस छोड दी। इसके अलावा अगर अगिनवीर शहीद हो जाता है तो सरकार की तरफ से कोई मुआवजा तक नही दिया जाता,इस अर्से में जो अगनिवीर शहीद हुए उनकी राज्य सरकारों ने सहायता जरूर की है। उनके लिये कोई पैनशन तक नही बल्कि उनको कंट्रैक्ट बेस पर रखा गया है,यह सब सरकार ने पैसा बचाने के लिये किया है। सरकार ने उनकी मांगे नही मानी है,इस लिये वह अपने हक्क का मतदान सोच समझ कर करेगें।