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कांग्रेस सरकार में 15 साल मंत्री रहे राजकुमार चौहान ने पार्टी से क्यों दिया इस्तीफा, खुद बताई वजह

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नई दिल्ली/25 अप्रैल।
आम आदमी पार्टी से गठबंधन में मिली तीन सीटों पर भी कांग्रेस में उम्मीदवारों की घोषणा से उपजा असंतोष थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इसी कड़ी में उत्तर पश्चिमी दिल्ली से डॉ. उदित राज की उम्मीदवारी के विरोध में शीला दीक्षित सरकार में 15 साल मंत्री रहे राजकुमार चौहान ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे से प्रदेश कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है।
उत्तर पश्चिमी दिल्ली से थे टिकट के दावेदार
बता दें कि राजकुमार चौहान भी उत्तर पश्चिमी दिल्ली से टिकट के दावेदार थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। यहां से पूर्व सांसद उदित राज को टिकट दिया गया है। इससे वह आक्रोशित थे।
बताया जा रहा है कि रविवार को प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने इस लोकसभा क्षेत्र के प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाई थी तो इसमें भी उन्होंने खुलकर अपना विरोध प्रकट किया था। इस दौरान उनकी बाबरिया के साथ भी बहस हो गई थी। इसी से आहत होकर उन्होंने यह कदम उठाया है।
चौहान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली को लिखे पत्र में कहा, ह्लमेरे पिता, दादा व पूरा परिवार कांग्रेस से जुड़ा हुआ है।ह्व आप के द्वारा एक बैठक पहले प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई थी। बाद में यह बैठक रद्द कर प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया के कार्यालय में बैठक बुलाई गई।
उस बैठक में 20-25 वरिष्ठ नेता मौजूद थे। मैंने जैसे ही अपनी बात शुरू की तो प्रभारी ने मुझे चार पांच बार बैठक से बाहर जाने के लिए कहा। फिर भी मैंने अपनी बात कही। यह बात मैंने बंद कमरे में चल रही बैठक में कही थी। ये अनुशासन के खिलाफ नहीं है। यह हमारी पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र है जहां हम अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकते हैं।
मैं चार बार विधायक और तीन बार मंत्री रहा हूं। मैंने हमेशा पार्टी के अनुशासन में रह कर काम करता रहा हूं, हो सकता कि मेरी भावनाएं आहत होने की वजह से ऐसे शब्द निकल गए हों जिससे कि आपकी भावनाएं आहत हुई हो तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रभारी के व्यवहार से वह अपमानित महसूस कर रहे हैं। दूसरी तरफ प्रभारी दीपक बाबरिया का कहना है कि राजकुमार चौहान पहले भी भाजपा में जा चुके हैं और बाद में वापस कांग्रेस में आ गए थे।
उम्मीदवार की घोषणा हो जाने के बाद भी वह लगातार उनके खिलाफ काम कर रहे थे। इसीलिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई थी। संभवतया इसीलिए उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है।
2019 में भी नहीं मिला था टिकट
मालूम हो कि राजकुमार ने वर्ष 2019 में भी उत्तर पश्चिम दिल्ली क्षेत्र से टिकट मांगा था, लेकिन उस दौरान भी टिकट नहीं मिला था। इसके विरोध में वे मतदान से एक दिन पहले भाजपा में शामिल हो गए थे।
भाजपा में आठ माह रहने के बाद वर्ष 2020 में विधानसभा चुनाव से एक माह पहले वापस कांग्रेस में आ गए थे। उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने से पहले पार्टी नेता सोनिया गांधी से मुलाकात भी की थी।

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