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अब सुप्रीम कोर्ट करवा रहा बाबा रामदेव से योग,पंतजलि ने कहा,60 अखबारों में प्रकाशित करवाया माफीनामा,सुप्रीम कोर्ट ने कहा साईज कितना

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(दिल्ली/23 अप्रैल): विवादित व बडबौले बाबा रामदेव को अब सुप्रीम कोर्ट जमकर योग करवा रहा है,बाबा रामदेव ने डाक्टरों पर व कोविड की दवा का प्रसार कर आईएमए के खिलाफ टिप्पनी की थी। जिसको लेकर मान हानि का केस चल रहा है। पतंजलि विज्ञापन केस में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच में पतंजलि की ओर से एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा- हमने माफीनामा फाइल कर दिया है। इसे 67 अखबारों में पब्लिश किया गया है। इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा- आपके विज्ञापन जैसे रहते थे, इस ऐड का भी साइज वही था? कृपया इन विज्ञापनों की कटिंग ले लें और हमें भेज दें। इन्हें बड़ा करने की जरूरत नहीं है। हम इसका वास्तविक साइज देखना चाहते हैं। ये हमारा निर्देश है। जस्टिस कोहली ने कहा कि जब आप कोई विज्ञापन प्रकाशित करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे माइक्रोस्कोप से देखेंगे। सिर्फ पन्ने पर न हो पढ़ा भी जाना चाहिए।
कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को निर्देश दिया कि अगले दो दिन में वे ऑन रिकॉर्ड माफीनामा जारी करें, जिसमें लिखा हो कि उन्होंने गलती की। मामले की अगली सुनवाई अब 30 अप्रैल को होगी। पतंजलि आयुर्वेद ने सोमवार (22 अप्रैल) को कुछ न्यूज पेपर्स में माफीनामा प्रकाशित किया है। इसमें कहा कि पतंजलि आयुर्वेद सुप्रीम कोर्ट का पूरा समान करता है। सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकीलों ने हलफनामा पेश किया, उसके बाद हमने विज्ञापन प्रकाशित किया और प्रेस कॉन्फ्रेंस की। हम इसके लिए माफी मांगते हैं। भविष्य में कभी ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे।
सुप्रीम कोर्ट की तीन महत्वपूर्ण बातें…
1. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- एलोपैथी के डॉक्टर भी मरीजों को महंगी और अनावश्यक दवाएं लिखते हैं। सवाल उन पर भी उठता है। आप भी अपना रुख साफ करें।
2. दवा कंपनियां शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रोडक्ट्स के विज्ञापन प्रकाशित करके जनता को धोखा दे रही हैं। अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा।
3. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पिछले 3 साल में भ्रामक विज्ञापनों पर उनके द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा- हम बच्चों, शिशुओं, महिलाओं को देख रहे हैं और किसी को भी भ्रमित नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार को भी आंखें खोलनी होंगी।

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