शिक्षित नागरिक अच्छे समाज और अच्छे देश का निर्माण करते हैं: दानव/चौधरी
लुधियाना 14 अप्रैल( ): भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज रजि. भावाधस द्वारा स्थानीय मल्होत्रा रिसोर्ट में डॉ भीम राव अंबेडकर की 133वीं जयंती मनाई गई। कार्यक्रम का विषय ‘शून्य से शिखर तक’ था, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज के उन व्यक्तियों और बच्चों को सम्मानित करना था जिन्होंने अपने संघर्षपूर्ण जीवन की परवाह किए बिना समाज में विशेष उपलब्धियां हासिल की हैं। इस कार्यक्रम में लोकसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल, सांसद रवनीत सिंह बिट्टू, पूर्व मंत्री महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, विधायक अशोक पराशर, चंडीगढ़ के मेयर कुलदीप ढिल्लोर , शिरोमणि अकाली दल के जिला अध्यक्ष भूपिंदर सिंह भिंदा , पूर्व विधायक रणजीत सिंह ढिल्लो , प्रवीण बंसल, हरीश रॉय ढांडा, आरएसएस नेता यशगिरी, जिला भाजपा अध्यक्ष रजनीश धिंगान, गुरदेव शर्मा देबी, जीवन गुप्ता, अनिल सरीन, परौपकर घुमन, राशि अग्रवाल, गुरदीप नीटू, राजू क्वात्रा, बिंद्या मदान, राकेश भाटिया, संदीप बजाज आदि बड़ी संख्या में सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक नेता उपस्थित थे। इस अवसर पर विजय दानव ने अपने संबोधन में कहा कि बाबा साहब डाॅ. भीमराव अंबेडकर जी ने अपने संघर्ष में समस्याओं की परवाह किए बिना अपने बच्चों का बलिदान देकर दुनिया का सबसे मजबूत और शक्तिशाली संविधान बनाया, जिसके साथ उन्होंने देश के प्रत्येक नागरिक को समान और समान अधिकार दिए मतदान के माध्यम से पाँच वर्ष की अवधि के लिए अपने राजा का चुनाव करेंगे। उन्होंने कहा कि बाबा साहिब ने दलित समाज के लिए जो किया वह किसी ने नहीं किया और हम सभी को बाबा साहिब के पढ़ने, जुड़ने और संघर्ष करने के मिशन को अपनाना चाहिए और अपने बच्चों को यथासंभव शिक्षित करना चाहिए क्योंकि शिक्षा ही सभी सामाजिक बुराइयों का समाधान है। इस मौके पर चरणजीत सिंह अटवाल, महेशिंदर ग्रेवाल, विधायक पप्पी यशगिरी, रवनीत बिट्टू, कुलदीप ढिलोर, अनिल सरीन, रजनीश धीमान आदि ने सबसे पहले सभी को बाबा साहिब के जन्मदिन की बधाई दी और सभी को बाबा साहिब जी का अनुसरण करने को कहा और अपने बच्चों को अधिक से अधिक पढ़ाना-लिखाना चाहिए ताकि वे अच्छे नागरिक बनकर एक अच्छे देश का निर्माण कर सकें। इस अवसर पर चौधरी यशपाल ने कहा कि डाॅ. भीमराव अंबेडकर जी ने भारतीय संविधान के माध्यम से देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए और कहा कि इस देश में महिलाओं को अगर किसी ने सही मायने में सम्मान दिया है तो वह केवल डॉ. भीमराव अंबेडकर ने ही सत्ती प्रथा को रोका और उन्हीं की बदौलत आज महिलाएं देश में बड़े-बड़े पदों पर आसीन हैं।