(दिल्ली/यूटर्न 14 अप्रैल): 36 साल तक पुलिस को छकाने वाले खालिस्तानी कमांडो फोर्स के आतंकी परमिंदर सिंह राणा को जालंधर की पुलिस ने आदमपुर से गिरफतार कर लिया है। आरोपी खालिस्तान कमांडो फोर्स के चीफ सुखदेव सिंह उर्फ सुक्खा का राइट हैंड था और वह भिंडरावाला से प्रेरित होकर इस रास्ते पर चल पडा था। आरोपी को पुलिस ने कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया है। 57 साल के आतंकी राणा गांव डींगरियां में छिपा बैठा था। गौरतलब है कि इससे पहले आतंकी को तब पकड़ा गया था, जब उसकी उम्र महज 17 साल की थी। राणा को कल भी उसी थाने की पुलिस ने पकड़ा, जिस थाने की पुलिस ने उसे 17 साल की उम्र में पकड़ा था। बता दें कि केसीएफ आतंकी वाद के समय में काफी सक्रिय गिरोह था। उक्त आतंकी संगठन ने आतंकवाद के समय में अपने नाम की टिकट तक जारी की हुई थी। इसके सरगना परमजीत सिंह पंजवड़ की पाकिस्तान में गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। राणा से एक लोडिड इटालियन स्टेन गन मिली थी। राणा पर आतंकवाद के दौरान आठ केस दर्ज हुए थे। इनमें से एक यही केस पेंडिंग था। नाबालिग होने के कारण राणा को बेल मिल गई थी। पुलिस ने जांच पूरी कर चार्जशीट कोर्ट में फाइल कर दी थी। इस दौरान राणा बेल जंप कर गया था। अदालत ने 4 मई 1988 को राणा को भगोड़ा घोषित कर दिया था। आदमपुर में रहती फैमिली राणा समेत अंडरग्राउंड हो गई थी। राणा ने माना कि उसकी फैमिली उसे राजस्थान ले गई थी। वहां पर जमीन खरीदकर खेती शुरू कर ली थी। आतंकी सुक्खा सिपाही के एनकाउंटर के बाद उसने पंजाब से एक तरह से नाता तोडक़र राजस्थान में रहना शुरू कर दिया था। लंबे समय बाद वह गांव लौट आया था। उसके काले अतीत को कम लोग ही जानते थे।
छोड़ दी थी पुलिस की नौकरी
केसीएफ का चीफ रहा सुखदेव सिंह पंजाब में बतौर सिपाही काम कर रहा था। मगर उसने खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले के प्रभाव में आकर पंजाब पुलिस की नौकरी छोड़ दी थी और फिर आतंकी मड्यूल के साथ काम करना शुरू कर दिया था। सुखदेव सिंह को जरनल लाभ सिंह उर्फ सुक्खा सिपाही के नाम से जानने लगे थे। 12 मई 1984 को सुक्खा सिपाही उस समय चर्चा में आया था, जब उसने पत्रकार रमेश चंद्र की नामदेव चौक में हत्या कर दी थी।
खालिस्तानी कमांडों फोर्स का आतंकी राणा 36 साल बाद गिरफतार
Palmira Nanda
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