लुधियाना वैस्ट विस उप चुनाव क्या ऐसे ही जीत पाएगी कांग्रेस ?

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चन्नी के सम्मान समारोह में फिर साफ दिखी गुटबाजी

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‘आधी-अधूरी’ कांग्रेस ने रखा समारोह, वड़िंग समेत समर्थकों ने बनाई दूरी

 

लुधियाना, 20 मई। अकसर देखने में आया है कि उप चुनाव के दौरान सत्ताधारी पार्टी को मतदाता अहमियत देते हैं। ऐसे हालात में भी लुधियाना वैस्ट हल्के में होने वाले उप चुनाव को पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पूरी गंभीरता से लेती नजर आ रही है। वहीं, राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस इस मामले में संजीदगी दिखाना तो दूर गुटबाजी के रोग से ही नहीं उबर पा रही है।

पूर्व सीएम चन्नी के सम्मान में वरिष्ठ नेता रहे नदारद :

लुधियाना वैस्ट उप चुनाव में कांग्रेसी उम्मीदवार भारत भूषण आशु के समर्थकों ने मंगलवार को यहां सर्किट हाउस में समारोह रखा। जिसमें ‘संसद रत्न’ के लिए चुने गए पूर्व सीएम व कांग्रेसी सांसद चरणजीत सिंह चन्नी को सम्मानित किया गया। हालांकि इस समारोह में कांग्रेस के प्रदेश प्रधान व लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, पार्टी के जिला प्रधान संजय तलवाड़ समेत पंजाब व जिले के कई सीनियर नेता नजर नहीं आए। जिसे लेकर सियासी-हल्कों में चर्चाओं के साथ ही कांग्रेस के टकसाली वर्कर चिंतित दिखे।

आशु के प्रचार अभियान की मीटिंग में था यही माहौल :

यहां काबिलेजिक्र है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री रहे आशु के हक में गत दिवस पार्टी की मीटिंग रखी गई थी। जिसमें वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राणा गुरजीत सिंह, सांसद गुरजीत सिंह औजला, सूबे के पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा, परगट सिंह व राज कुमार वेरका, पूर्व सांसद मोहम्मद सद्दीक समेत कई वरिष्ठ नेता जुटे। यहां चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने के साथ आशु को चुनाव जिताने का संकल्प भी लिया गया। इसके बावजूद मीटिंग में कांग्रेस प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग, जिला प्रधान संजय तलवाड़ ही नहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और कभी आशु के पैरोकार रहे पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत लुधियाना के कई नेता नदारद थे।

…अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा :

चुनावी-माहौल में भी जारी गुटबाजी से ग्रेस के कई टकसाली नेता और वर्कर निराश हैं। उनका मानना है कि पार्टी पिछले विधानसा चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी, लेकिन गुटबाजी के रोग ने उसका ग्राफ गिरा दिया। अब कम से कम इस उप चुनाव के मद्देनजर पार्टी के उम्मीदवार समेत सभी सीनियर नेताओं को आपसी गिले-शिकवे भुलाकर एकजुटता दिखानी चाहिए थी। उन्होंने रोष जताया कि अगर यही हालात रहे तो पार्टी में फिर बिखराव की नौबत आ सकती है।

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