क्या एनडीए 2027 के पंजाब चुनावों का इंतज़ार करेगा और चंडीगढ़ को फिर से फोकस में लाएगा ?

Rivanshi
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आज का चंडीगढ़ इसलिए बना क्योंकि आज़ादी के बाद भारत के पास पंजाब की पुरानी राजधानी लाहौर नहीं रहा। इस वजह से एक नई राजधानी बनाने का विचार आया। 1953 में चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी बना। फिर 1966 में पंजाब के बंटवारे के बाद यह पंजाब और हरियाणा— दोनों की साझा राजधानी बन गई।

पहले चंडीगढ़ का प्रशासन एक मुख्य सचिव संभालता था। लेकिन 1984 में उग्रवाद के समय केंद्र ने प्रशासन का कंट्रोल बदल कर पंजाब के राज्यपाल को दे दिया। अब मुख्य सचिव सिर्फ सलाहकार बन गए।

एक शहर, तीन दावेदार

शुरू से ही चंडीगढ़ पर पंजाब, हरियाणा और केंद्र—तीनों दावे करते रहे हैं। केंद्र इसे यूनियन टेरिटरी (UT) इसलिए रखता है ताकि कोई बड़ा विवाद न हो।

चंडीगढ़ की खासियतें:

यहाँ BBMB (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) का दफ़्तर है, जो भाखड़ा डैम का पानी कंट्रोल करता है। हरियाणा कहता है कि उसे उसके हक का पानी नहीं मिला।
पंजाब कहता है कि वह पानी नहीं देगा। यहाँ पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) है, जो एक इंटर-स्टेट संस्था है। पंजाब को डर है कि केंद्र इसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी न बना दे।

अगर केंद्र पूरा कंट्रोल ले ले?

कई जानकार कहते हैं कि अगर केंद्र चंडीगढ़ पर पूरा कंट्रोल ले लेता है, तो उसके पास BBMB, PU और बाकी सभी रिसोर्स आ जाएंगे। इससे केंद्र की ताकत बढ़ जाएगी और UT जैसा सीधा शासन हो जाएगा।

प्रोफेसर जगमोहन कहते हैं, “केंद्र ज़्यादा कंट्रोल चाहता है। अगर प्रस्ताव वापस लिया है, लेकिन मामला बहुत गंभीर है। मेरा मानना ​​है कि BJP 2027 के पंजाब चुनाव के बाद फिर से यही बिल लाएगी।”

आर्टिकल 240 क्या है? (बहुत आसान भाषा में)

Article 240 राष्ट्रपति को ये अधिकार देता है कि वह कुछ UTs के लिए सीधे नियम बना सके—जैसे: अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली और दमन-दीव।

केंद्र चाहता है कि चंडीगढ़ को भी इसी सूची में जोड़ दिया जाए।

अगर ऐसा हुआ तो चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के राज्यपाल से हटकर राष्ट्रपति के नियुक्त LG के हाथ में चला जाएगा।

क्यों बढ़ा सकता है?

प्रो. सुखविंदर सिंह कहते हैं कि BJP के पंजाब नेताओं ने शायद केंद्र को बिल रोकने की सलाह दी होगी।

वे घटनाओं की कड़ी बताते हैं: भाखड़ा डैम की सुरक्षा अब पंजाब पुलिस से लेकर CISF को दे दी गई। PU की सीनेट–सिंडीकेट में बदलाव की कोशिश हुई।

अब यह बिल—जिससे चंडीगढ़ को Article 240 के तहत लाया जाए।

वे कहते हैं, “ये सब एक सोची-समझी योजना जैसा लगता है।”

पंजाब की सबसे बड़ी चिंता

लोगों को डर है कि अगर चंडीगढ़ आर्टिकल 240 में आ गया, तो शायह पंजाब का दावा हमेशा के लिए खत्म हो सकता है—जैसे दिल्ली का कुछ हिस्सा कभी हरियाणा का था, पर अब हरियाणा कोई दावा नहीं कर सकता।

पंजाब में AAP, कांग्रेस और बाकी विरोधी दल इसे पंजाब से चंडीगढ़ को और दूर करने की कोशिश मानते हैं। यहाँ तक कि पंजाब BJP के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी कहा है: “चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा है, और पंजाब BJP पंजाब के हितों के साथ खड़ी है।”

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