भारत में गोपनीयता और लागत को लेकर चल रही बहस के बीच, ज़ोहो मेल तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हाल ही में ज़ोहो मेल अपनाने की घोषणा के बाद यह फिर सुर्खियों में आ गया। धीरे-धीरे कई जीमेल यूज़र्स भी इसकी ओर रुख कर रहे हैं। ज़ोहो मेल की एक बड़ी खासियत यह है कि यह पुराने मेल डेटा के साथ आसानी से स्विच करने की सुविधा देता है।
जीमेल बनाम ज़ोहो मेल
जीमेल दुनिया की सबसे लोकप्रिय ईमेल सेवा है, जिसके 1.8 अरब से अधिक यूज़र्स हैं। यह गूगल ड्राइव, मीट और कैलेंडर जैसी सेवाओं के साथ एक पूर्ण डिजिटल ऑफिस के रूप में काम करता है। वहीं, 2008 में लॉन्च हुआ ज़ोहो मेल खास तौर पर बिज़नेस और प्राइवेसी पर केंद्रित है। जीमेल जहाँ 15GB मुफ़्त स्टोरेज देता है, वहीं ज़ोहो केवल 5GB स्टोरेज देता है, लेकिन मुफ़्त कस्टम डोमेन की सुविधा प्रदान करता है, जो इसे छोटे व्यवसायों के लिए आकर्षक बनाता है।
फ़ीचर्स और कीमत
ज़ोहो मेल में 1GB तक की अटैचमेंट भेजी जा सकती है, जो बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए उपयोगी है। इसका सिक्योरपास फ़ीचर मेल को डाउनलोड या फ़ॉरवर्ड होने से रोकता है। वहीं, स्ट्रीम फीचर टीम चैट, टास्क और कैलेंडर को एक साथ लाता है।
कीमत के लिहाज़ से भी ज़ोहो किफायती है। इसका पेड प्लान ₹80 प्रति माह से शुरू होता है, जबकि जीमेल का बिज़नेस प्लान ₹500 से आरंभ होता है।
गोपनीयता और सुरक्षा
गोपनीयता के मामले में ज़ोहो मेल आगे है। यह 256-बिट SSL एन्क्रिप्शन और दो-स्तरीय सुरक्षा (2FA) प्रदान करता है। ज़ोहो के सीईओ श्रीधर वेम्बू का कहना है, “हम डेटा से पैसा नहीं कमाते, गोपनीयता हमारी प्राथमिकता है।”
सरकारी संस्थान और छोटे व्यवसाय इसकी भारतीय उत्पत्ति, सुरक्षा और किफ़ायती दरों के कारण इसे तेजी से अपना रहे हैं।
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