अपने उम्मीदवारों से जनता के मुद्दों पर ही खरा उतरने की उम्मीदें रखता है युवा वर्ग
आश्ना अग्रवाल
लुधियाना 20 मई। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के लिए मतदान हो चुका है। जबकि दो चरणों के लिए सभी प्रमुख दलों के दिग्गज अपने उम्मीदवारों के हक में जोरदार तरीके से प्रचार में जुटे हैं। हालांकि आम चुनाव निपटने के कगार पर हैं, लेकिन जनता के बुनियादी मुद्दों पर अभी तक प्रमुख दलों या उम्मीदवारों ने कोई ठोस बात नहीं की।
यहां गौरतलब पहलू है कि बीबीसी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस आम चुनाव के लिए भारत में 18 मिलियन मतदाता पहली बार वोट डाल रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि ये सब मतदाता वहीं हैं, जिन्होंने अभी 18 साल की उम्र को छुआ है यानी भारत का युवा वर्ग है। युवा हर क्षेत्र में भारत का भविष्य हैं। यही हमारे भविष्य के नेता भी बनेंगे। लिहाजा यह समझना भी बेहद जरूरी है कि वे वर्तमान भारतीय राजनीति के बारे में क्या सोचते हैं।
यह देखना बेहद उत्साहजनक है कि आज के युवा इतने अधिक विचारशील हैं और वे आज की राजनीति के बारे में काफी उत्सुक हैं। वे अपने कार्यों के लिए सरकारों की सराहना के साथ आलोचना करने में भी नहीं हिचकिचाते हैं। इसीलिए उनकी राय जानने के लिए हमने एक मुहिम चलाई। जिसके पहले अंश में पंजाब व देश के अन्य हिस्सों में विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले युवाओं को भी रायशुमारी के लिए शामिल किया गया। तो आइए जानते हैं कि वे क्या कहते हैं…
युवाओं के कोट्स :
–मुझे लगता है कि युवा भारतीय शासन और राजनीतिक प्रक्रियाओं में बदलाव और सुधार के लिए उत्सुक हैं। वे राजनीतिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार, अक्षमता और जवाबदेही की कमी के आलोचक हैं। वे पारदर्शी, ईमानदार और प्रभावी नेतृत्व चाहते हैं। जो बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी समस्याओं का समाधान कर सके।—श्रीपर्णा चक्रवर्ती, पश्चिम बंगाल
–हम पुरानी पीढ़ियों की तुलना में सामाजिक मुद्दों पर अधिक प्रगतिशील विचार रखते हैं। हमें शिक्षित नेताओं की आवश्यकता है। जो ऐसे विचारों से मेल खाते हों, जिससे तमाम चीजें बेहतर आकार लेंगी। हम लैंगिक समानता, एलजीबीटीक्यू-अधिकार, पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक न्याय की वकालत करते हैं। हम मानवाधिकारों को बढ़ावा देने वाले नेतृत्व के समर्थक हैं।—रुखसार शाह, पंजाब
–हम आमतौर पर राजनीतिक परिदृश्य में पर्याप्त सुधार और सकारात्मक बदलाव देखने के इच्छुक हैं। हम प्रगतिशील मूल्यों, आर्थिक चिंताओं और पारदर्शी और जवाबदेह शासन की उम्मीद करते हैं। ताकि भविष्य को आकार देने में मुखर और सक्रिय जनप्रतिनिधि हमारा नेतृत्व करें और हमारा भविष्य सुरक्षित रहे।—रिया जैन, मुंबई
–भारत संसदीय शासन का एक संप्रभु समाजवादी और लोकतांत्रिक स्वरूप है। एक प्रमुख चीज़ जो हर समय सुनिश्चित की जानी है, वह यह है कि सरकार की जवाबदेही और कुशल कार्यप्रणाली से समझौता नहीं किया जाए। भारतीय राजनीति को देखते हुए इसे और अधिक सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए।—रिया आहूजा, मुंबई
–शोध अध्ययनों के अनुसार, भारत में चुनाव कराने के लिए एकमुश्त धनराशि की आवश्यकता होती है। यह सबसे महंगी लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। 2019 के आम चुनाव में 60,000 करोड़ की भारी भरकम राशि खर्च हुई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि यह उस वर्ष होने वाला एकमात्र चुनाव नहीं था। वोट देने वाली विशाल आबादी तक पहुंचने के लिए राजनेताओं द्वारा अवैध तरीकों से अकल्पनीय मात्रा में धन का निवेश किया जा रहा है।—शोमिली मुखर्जी, पश्चिम बंगाल
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