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मुद्दे की बात : नैतिक-पतन की शिकार होती युवा पीढ़ी

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पवित्र-प्यार के नाम पर कलंक युवक की दरिंदगी

आखिर सभ्यता रुपी विरासत वाले इस समाज में नैतिकता की जड़ें लगातार क्यूं कमजोर हो रही है। पंजाब की आर्थिक-राजधानी लुधियाना में एक शर्मनाक-खौफनाक वारदात के बाद सभ्य-समाज में चिंता का माहौल फिर से पैदा हो गया। महानगर के जमालपुर इलाके की चीमा कालोनी में यह वारदात पेश आई। यहां रहने वाली एक लड़की बीती शाम ट्यूशन पढ़कर घर लौट रही थी। एकतरफा प्यार करने वाले युवक ने एक बॉलीवुड फिल्म की तर्ज पर उसका रास्ता रोक लिया।

लड़की की मां के मुताबिक वह युवक कई दिन से उनकी बेटी पर फ्रेंडशिप के लिए दबाव डालते हुए रास्ते में परेशान कर रहा था। मंगलवार को उस युवक ने प्रेम जैसे पवित्र-शब्द को कलंकित कर डाला। एक बार फिर जैसे ही लड़की ने दोस्ती से इंकार किया, युवक दरिंदा बन गया। युवती कुछ समझ पाती, इसके पहले ही उसने तेजधार हथियार से ताबड़तोड़ वार कर दिए। लहुलूहान लड़की गिर पड़ी तो पागलपन की हद से गुजरता युवक डरकर भागा तक नहीं। उसने तेजधार हथियार से वार कर खुद भी जख्मी कर लिया। दोनों को राहगीरों ने सरकारी अस्पताल पहुंचाया।

इस सारे घटनाक्रम का एक और शर्मनाक पहलू सामने आया। पीड़ित लड़की के परिजनों के इलजाम के मुताबिक इस विभत्स मामले में भी पुलिस ने जख्मी लड़की का बयान  कई घंटे बीतने के बाद भी दर्ज नहीं किया। इससे सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि फिर पुलिस कितनी मुस्तैदी से मामले की जांच में जुटी होगी। इस मामले में  सीनियर एडवोकेट मुनीष पुरंग के मुताबिक मामले की जांच में देरी का फायदा आरोपी पक्ष को मिल सकता है। भले ही आरोपी जख्मी होकर अस्पताल में दाखिल है, लेकिन उसके सहयोगी सबूत मिटाने की कोशिश कर सकते हैं। रही बात विशेषकर इस मामले की तो लड़की छात्रा भी है, ऐसे में मामले की जांच-औपचारिकताएं पहल के आधार पर होनी चाहिएं। पुलिस यदि ऐसा करने में कोताही बरतती है तो उसको अपना रक्षक मानने वाले समाज की नजर में पुलिस की छवि खराब होगी। मामला अदालत में पहुंचने पर पुलिस की बड़ी जवाबदेही भी बनेगी।

 

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