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पंजाब पुलिस की गाड़ी को साइड़ न देने पर युवक को बनाया नशा तस्कर, जांच में नशीली गोलियां निकली पैरासिटामोल

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हाईकोर्ट ने कपूरथला पुलिस के दोषी अधिकारियों पर सख्त एक्शन लेने के दिए निर्देश

पंजाब 18 सितंबर। पंजाब पुलिस आए दिन अपने कार्यों को लेकर चर्चा का विषय बनी रहती है। अब एक नया मामला सामने आया है। जिसमें कपूरथला पुलिस की गाड़ी को साइड़ न देने पर उन्होंने एक निर्दोंश पर नशा तस्करी का आरोप लगा गिरफ्तार कर लिया। लेकिन जब उस पर डाली गई नशीली दवाइयों के फॉरेंसिक जांच हुई तो पता चला कि वह सैंपल पैरासिटामोल के थे। जिसके बाद हाईकोर्ट ने पुलिस की इस मनमानी पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि एनडीपीएस एक्ट का इस प्रकार दुरुपयोग जनता के विश्वास को कमजोर करता है। याचिकाकर्ता लवप्रीत सिंह ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया कि जब उसने पुलिस वाहन को ओवरटेक करने के लिए साइड नहीं दी, तो पुलिस ने उस पर एनडीपीएस एक्ट के तहत झूठा मामला दर्ज कर दिया। लवप्रीत का आरोप है कि पुलिस ने उसे रोककर झूठा आरोप लगाते हुए उसकी गाड़ी और मोबाइल फोन जब्त कर लिए और उसे गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में पुलिस ने दावा किया था कि लवप्रीत के पास से नशीले पदार्थ बरामद हुए हैं।

दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश
कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया है कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच की जाए और इस मामले में क्या कार्रवाई की गई, इसकी जानकारी स्टेटस रिपोर्ट के रूप में 20 सितंबर तक अदालत में पेश की जाए। हाईकोर्ट ने कपूरथला के एसएसपी को 20 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोषी अधिकारियों पर सख्त जुर्माना लगाया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो।

सबुतों के आधार पर दी जमानत

फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) द्वारा की गई जांच में पुलिस के दावे की पोल खुल गई। रिपोर्ट के अनुसार, जिस सामग्री को नशीला पदार्थ बताया गया था, वह वास्तव में पैरासिटामोल निकली। जो एक सामान्य दर्द निवारक दवा है। हाईकोर्ट ने इस तथ्य को देखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को झूठे आरोपों में फंसाया गया है और उसे जमानत दी जानी चाहिए। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस की इस साजिश पर सख्त नाराजगी जाहिर की। जस्टिस कीर्ति सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पुलिस द्वारा एनडीपीएस एक्ट का दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे मामलों में निर्दोष लोगों को कानूनी लड़ाई में फंसाकर उनकी प्रतिष्ठा और जीवन को नुकसान पहुंचाया जाता है।

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