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एकदम सही पकड़े हैं जी
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आ गई है सर्दी, मगर ये गरीब को नहीं लगती है
बाकी के पेट भरे हैं, गरीब को तो भूख लगती है
अबकी बार महंगाई की मार तो पहले से भी है पार
नेताजी सो रहे, प्रभु आप ही करो गरीब का उद्धार
—-बड़का वाले कविराय