Listen to this article
एकदम सही पकड़े हैं जी
—————————–
वो सत्ता के नशे में देते रहते हैं अनाप-शनाप बयान
सरपट दौड़ रही अर्थव्यवस्था, उनको यही अभिमान
चौपट मान रही व्यवस्था, महंगाई से करहाती जनता
सारा घर मिलकर कमाए, तब भी कुछ नहीं है बनता
—-बड़का वाले कविराय