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एकदम सही पकड़े हैं जी
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जनसेवा की कस्में खाकर जीत गए थे चुनाव
अब सेवा तो दूर, जनता को नहीं दे रहे भाव
जनता की बजाए वो तो कर रहे खुद की सेवा
गरीबों के हक मारकर खुद ही खा रहे हैं मेवा
—-बड़का वाले कविराय
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जनसेवा की कस्में खाकर जीत गए थे चुनाव
अब सेवा तो दूर, जनता को नहीं दे रहे भाव
जनता की बजाए वो तो कर रहे खुद की सेवा
गरीबों के हक मारकर खुद ही खा रहे हैं मेवा
—-बड़का वाले कविराय