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एकदम सही पकड़े हैं जी
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मौसम है मानसूनी, सब तरफ हो रहा बंटाधार
सड़कें धंस रहीं, पुल बहते हुए जा रहे बार-बार
ट्रेन पलटी पटरी डूबने से, मगर गए हैं कई बेकसूर
सत्ता-सुख में खुद डूब गई सरकार, क्या करे हुजूर
— बड़का वाले कविराय