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एकदम सही पकड़े हैं जी
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वो पहले महा-पुरुष हैं जो पलभर में ही पलट जाते हैं
बोलते हैं कि सच में मैं तो कभी भी नहीं खाता हूं आम
जैसे ही चुनावी-बगिया में पहुंचे तो लार टपक जाती है
वहां बोलने लगते, भाइयों ये जो अमरुद और आम हैं…
—-बड़का वाले कविराय