गलत या सही ? भारत में चुनाव आयोग विश्वसनीयता की परीक्षा से गुज़र रहा

आयोग विश्वसनीयता की परीक्षा से गुज़र रहा
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने इसी मुद्दे पर बिहार में राजद के साथ निकाली मताधिकारी जागरुकता रैली

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नेता विपक्ष राहुल गांधी के आरोपों को चुनाव आयोग ने सफाई देते नकारा

विपक्ष ने बना लिया है मतदाता सूची में गड़बड़ी को मुद्दा, आयोग ने नकारा, भाजपा बचाव की मुद्दा में

चंडीगढ़,  24 अगस्त। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सबसे विश्वसनीय सार्वजनिक संस्थानों में से एक भारत का चुनाव आयोग है। जो फिलहाल अपनी विश्वसनीयता की परीक्षा से गुज़र रहा है।
गौरतलब है कि जब 1990 के दशक में जब टीएन शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तब जिस संस्थान का बहुत सम्मान था। उस पर पिछले कुछ हफ़्तों से विपक्ष के कई आरोप लग रहे हैं। इनमें मतदाता धोखाधड़ी और हेराफेरी से लेकर मतदाता सूची में विसंगतियों तक शामिल हैं। हालांकि आयोग ने इन सभी आरोपों का ज़ोरदार खंडन किया है। विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए। उन्होंने कहा है कि वे मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन तक प्रस्ताव पेश नहीं किया था। फिलहाल उनके पास इसे पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या-बल नहीं है।
इस बीच, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के विरोध में बिहार राज्य में 16 दिनों की 1,300 किलोमीटर (807 मील) लंबी पदयात्रा शुरू की। जिसे मतदाता अधिकार यात्रा नाम दिया। यह राजनीतिक लड़ाई एक नाटकीय वृद्धि का संकेत है। बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होना है, वहां मतदाता सूची में हालिया संशोधन को लेकर सियासी-माहौल गर्माया है।
राहुल गांधी ने पहली बार अगस्त में वोट चोरी के आरोप लगाए थे। जिसमें चुनाव आयोग पर 2024 के आम चुनावों में धांधली करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा) के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था। चुनाव आयोग के अपने रिकॉर्ड से विस्तृत आंकड़ों का उपयोग करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि दक्षिणी राज्य कर्नाटक के एक संसदीय क्षेत्र में एक लाख से ज़्यादा फ़र्ज़ी मतदाता हैं।
चुनाव आयोग ने बार-बार इन दावों को झूठा और भ्रामक बताया और भाजपा ने भी इन आरोपों का पुरज़ोर खंडन किया। भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष मिलकर ये निराधार दावे कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें बिहार में हार का अंदेशा है।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह 20 साल से भी ज़्यादा समय बाद मतदाता सूचियों को अद्यतन करने के लिए किया गया था। जबकि विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस प्रक्रिया ने हज़ारों लोगों, खासकर प्रवासियों, को मताधिकार से वंचित कर दिया होगा, क्योंकि यह प्रक्रिया बहुत जल्दबाजी में की गई थी। एक अगस्त को अद्यतन सूची का मसौदा प्रकाशित होने के बाद, कई रिपोर्टों में गणना में त्रुटियों को उजागर किया गया। जैसे लोगों के नामों के आगे गलत लिंग और फ़ोटो लगाना, और मतदाता सूची में मृत मतदाताओं का होना।