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हाईकोर्ट में पंजाब डायर्स एसोसिएशन की रिट हो गई मंजूर, धारा-43 बी मामले में इनकम टैक्स विभाग को दी थी चुनौती

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पंजाब एंड हरियाणा कोर्ट में अब अगली सुनवाई 19 सिंतबरको होगी, डायर्स एसोसिएशन ने रिट मंजूरी को जीत बताया

लुधियाना 7 मई। पंजाब डायर्स एसोसिएशन द्वारा आयकर अधिनियम की धारा-43 बी के मामले में रिट लगाई थी। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस रिट को मंजूर कर लिया है। हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को होनी है। यहां गौरतलब है कि इस मामले में कई संस्थाओं ने रिट लगाई थीं, लेकिन पहली बार डायर्स एसोसिएशन की रिट मंजूर हुई है।पंजाब डायर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर बॉबी जिंदल और कमल चौहान ने यह जानकारी देते हुए उत्साह जताते कहा कि यह उनकी एसोसिएशन की बड़ी जीत हुई है। यहां बता दें कि महानगर के साइकिल निर्माता संगठनों द्वारा भी आयकर अधिनियम की धारा 43-बी के कार्यान्वयन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने रिट लगाने वाली सभी संस्थाओं के इस मामले में हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी। जिसके बाद पंजाब डायर्स एसोसिएशन ने भी इस मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया था।डायर्स एसोसिएशन के ओहदेदारों के मुताबिक तीसरी सुनवाई में हाइकोर्ट ने उनकी एसोसिएशन की रिट को मंजूर कर लिया। यह है विवाद : आयकर के अधिनियम में संशोधन के अनुसार यदि कोई खरीदार सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसएमई) को समय पर (45 दिनों के भीतर) भुगतान नहीं करता है तो वह उस खर्च को अपनी कर योग्य आय से नहीं काट सकता है। जिससे संभावित रूप से अधिक हो सकता है। अधिनियम में संशोधन का विरोध करने वालों का कहना कि नए आयकर नियम से उन्हें मौद्रिक नुकसान होगा। खरीदार और डीलर अब उनसे सामान नहीं खरीदेंगे। इसकी बजाए वे मध्यम और बड़े उद्यमों में जाएंगे, क्योंकि वहां 45 दिन के भीतर भुगतान करने का आदेश नहीं होगा।
वहीवहीं इस मामले में केंद्र सरकार का दावा है कि संशोधन सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) के लाभ के लिए है। जबकि डायर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर बॉबी जिंदल और एमएसएमई उद्योग से जुड़े तमाम उद्यमियों का मानना है कि उनको इससे कोई लाभ नहीं होगा। इसकी बजाए, यह धारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों को अपना व्यवसाय बंद करने के लिए मजबूर करेगी।

उनका यह भी मानना है कि इस धारा के कार्यान्वयन से बड़े और मध्यम उद्योग को मदद मिल रही है। दरअसल उनके लिए भुगतान की कोई समय सीमा नहीं है। उनकी चिंता यह भी है कि अब खरीदारों ने उनको ऑर्डर देने बंद कर दिए हैं। वे बड़े और मध्यम उद्योग में जा रहे हैं, क्योंकि संशोधन उन पर लागू नहीं होता है।
यहां बता दें कि इससे पहले, यूनाइटेड साइकिल एंड पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (यूसीपीएमए) और फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल ऑर्गनाइजेशन (फीको) ने इस धारा को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। जबकि केंद्र सरकार का दावा है कि लागू किया नया नियम एमएसएमई को समय पर भुगतान प्राप्त करने में मदद करेगा।  यह नियम एक अप्रैल को लागू हुआ था।

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