watch-tv

वाह ताज ! वाह !!,तुम पवित्र हो गए

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

मेरा सौभाग्य है कि मुझे प्रतिदिन लिखने के लिए अभी तक विषयों का,मुद्दों का अभाव महसूस नहीं हुआ । विविधताओं से भरे हमारे देश में मुद्दों का अक्षय भण्डार है। एक मुद्दा खोजिये तो हजार मिलते है । मुद्दे केवल राजनीतिक ही नहीं होते। उनका स्वरूप भी विविधतापूर्ण है । आज मेरे पास मुद्दे के रूप में कटटरता कहिये या मूर्खता का मुद्दा है और इस मुद्दे के केंद्र में आगरा का ताजमहल है। आगरा का ताजमहल एक इमारत भी है। एक इतिहास भी है और एक बाजार भी है। ताजमहल कुछ लोगों के लिए प्रेम है तो कुछ लोगों के लिए घृणा भी है।

ताजमहल के प्रति घृणा से भरे कुछ युवकों ने ताजमहल के गर्भगृह में बनी शाही मजारों को गंगाजल से धो डाला ,ये युवक समझते हैं कि ताजमहल एक शिवालय है। उन्होंने ऐसा कर हिन्दूधर्म की बहुत बड़ी सेवा की है। दोनों युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की भी मजबूरी थी की यदि वो इन युवकों कोगिरफ्तार न करती तो उसके भी कूढ़ मगज होने की बातें होने लगतीं। क़ानून के हिसाब से एएसआई द्वारा संरक्षित किसी भी इमारत में किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि अपराध है। यहां गंगाजल चढ़ाना भी इसीलिए अक्षम्य है । इन युवकों का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है ।। इन्हें आसानी से जमानत मिल जाएगी, ठीक उसी तरह जिस तरह की इन युवकों को मजारों पर गंगाजल चढाने से तात्कालिक सुर्खियां मिलीं हैं।

भारत में हमेशा से हिन्दुओं का राज नहीं रहा । इतिहास बताता है कि भारत पर अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग जातियों के लोगों ने राज किया है । लेकिन हमारे देश में कुछ लोग ही नहीं बल्कि बहुत से लोग ये मानते हैं कि गैर हिन्दुओं ने उनके हिन्दू प्रतीकों को नष्ट कर नए निर्माण कार्य किये हैं। इसमें हकीकत भी है और नहीं भी । पिछले अनेक दशकों से देश में ऐसे विवादास्पद निर्माणों को लेकर अदालती लड़ाइयां भी लड़ी जा रहीं है । उन्हें जीता और हारा भी जा रहा है। रामजन्म भूमि हो या कृष्ण जन्मभूमि इस विवाद के प्रतीक है। हमारे देश के हिन्दू धर्म के ठेकदार लगातार इन स्थलों को हासिल करने के लिए लड़ाई लड़ रहे है। भोजशाला भी एक ऐसा ही स्थान है।

मै बात कर रहा था उस ताजमहल की जिस पर किताबें भी लिखी गयीं । नज्में भी लिखी गयी। फ़िल्में भी बनीं और अनेक उपन्यास भी लिखे गए। ताजमहल के बारे में हिंदुस्तान का हर व्यक्ति जानता है ,फिर चाहे वो उत्तर का हो या दक्षिण का । पूरब का हो या पश्चिम का रहने वाला भारतीय। हमें बताया गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मक़बरा , और विश्व के 7 अजूबों में से एक है। ताजमहल का निर्माण 17वीं सदी में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था।

मेरा मकसद ताजमहल कि बारे में आपका सामन्य ज्ञान बढ़ाना नहीं है । मै तो आपको उन कब्रों कि बारे में बता रहा हूँ जिन्हें गंगाजल से धोया गया है । गूगल महाराज कहते हैं कि मुस्लिम परंपरा के अनुसार ताजमहल में शाहजहाँ एवं मुमताज महल के पार्थिव शरीर इसके नीचे तुलनात्मक रूप से साधारण, असली कब्रों में, में दफ्न हैं, जिनके मुख दांए एवं मक्का की ओर हैं। मुमताज महल की कब्र आंतरिक कक्ष के मध्य में स्थित है, जिसका आयताकार संगमर्मर आधार 1.5 मीटर चौडा एवं 2.5 मीटर लम्बा है। आधार एवं ऊपर का शृंगारदान रूप, दोनों ही बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों से जडे. हैं। इस पर किया गया सुलेखन मुमताज की पहचान एवं प्रशंसा में है। इसके ढक्कन पर एक उठा हुआ आयताकार लोज़ैन्ज (र्होम्बस) बना है, जो कि एक लेखन पट्ट का आभास है।

शाहजहाँ की कब्र मुमताज की कब्र के दक्षिण ओर है। यह पूरे क्षेत्र में, एकमात्र दृश्य असम्मितीय घटक है। यह असम्मिती शायद इसलिये है, कि शाहजहाँ की कब्र यहाँ बननी निर्धारित नहीं थी। यह मकबरा मुमताज के लिये मात्र बना था। यह कब्र मुमताज की कब्र से बडी है, परंतु वही घटक दर्शाती है: एक वृहततर आधार, जिसपर बना कुछ बडा श्रंगारदान, वही लैपिडरी एवं सुलेखन, जो कि उनकी पहचान देता है। तहखाने में बनी मुमताज महल की असली कब्र पर अल्लाह के निन्यानवे नाम खुदे हैं जिनमें से कुछ हैं “ओ नीतिवान, ओ भव्य, ओ राजसी, ओ अनुपम, ओ अपूर्व, ओ अनन्त, ओ अनन्त, ओ तेजस्वी… ” आदि। शाहजहां की कब्र पर खुदा है;उसने हिजरी के 1076 साल में रज्जब के महीने की छब्बीसवीं तिथि को इस संसार से नित्यता के प्रांगण की यात्रा की।”

आगरा के एडीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि ताजमहल में शनिवार को दो युवकों ने गंगाजल चढ़ाया है. दोनों युवक गंगाजल बोतल में लेकर पहुंचे थे. ऐसे में वहां पर सुरक्षा में तैनात जवानों को पता नहीं चल पाया है. दोनों युवकों के अखिल भारत हिंदू महासभा से जुड़े होने का दावा किया जा रहा है। श्रवण माह में गंगाजल शिवालयों में चढ़ाया जाता है। मुझे लगता है कि हिन्दू युवकों कि इस कृत्य से शाहजहां और मुमताज बेगम की आत्माएं तृप्त हो गयीं होंगी। असली समस्या तो ताजमहल की सुरक्षा करने वाली सीआईएसएफ कि अफसरों की है जो कि एक शाही मकबरे की हिफाजत नहीं कर पाए। वैसे हमारी सरकार यदि अपने विरोधियों की एसपीजी सुरक्षा हटा लेती है तो वो दिन भी दूर नहीं जब ताजमहल पर तैनात सुरक्षा को भी देशहित में हटा लिया जाये।

मेरे ख्याल से इन युवकों को तत्काल रिहा कर देना चाहिए क्योंकि ये न हिन्दू धर्म कि बारे में जानते हैं और न दूसरे धर्मों कि बारे में। हिन्दू धर्म में गंगाजल का इस्तेमाल भगवान शिव का अभिषेक करने कि लिए होता है न की किसी मकबरे को धोने कि लिए। हिन्दू धर्म किसी दूसरे मजहब कि किसी भी स्थल को अपवित्र करने की इजाजत भी नहीं देता। ये इजाजत कुछ कूद मगज संगठन और पार्टियां देतीं हैं।वैसे ये उत्तर प्रदेश है यहां तो मुख्यमंत्री निवास भी सत्ता परिवर्तन कि बाद गंगाजल से धोने की परम्परा है। 

ताजमहल 371 साल से आगरा में निर्विकार भाव से खड़ा है । उसे देखने देश-विदेश से असंख्य लोग आते हैं। पिछली सदियों में ऐसा कोई शासक पैदा नहीं हुआ जिसने ताजमहल की शान में कोई गुस्ताखी की हो। लेकिन ये कलिकाल का मोदी काल है इसमें ताजमहल के साथ कुछ भी होना सम्भव है। जब अफगानिस्तान में तालिबानी बामियान की बुद्ध प्रतिमाओं को बारूद से उड़ा सकते हैं तो हिन्दुस्तान में यदि कोई सिरफिरा निजाम ताजमहल को भी नेस्तनाबूद करने का फैसला सुना दे तो आप कुछ नहीं कर सकते। फ़िलहाल ऊपर वाले का करम हैकि ताज महल अपनी जगह मौजूद है। लेकिन महफूज नहीं है । आज वहां गंगाजल चढ़ाया गया है मुमकिन है कि कल कोई घृणा से भरा व्यक्ति शाहजहां और मुमताज की कब्रों को तेज़ाब से नहला आये।

ताजमहल किसी कि लिए प्रेम का स्मारक है तो किसी कि लिए शोषण का प्रमाण । शकील बदायूनी कि लिए ताज सबसे अलग शाहकार है। वे लिखते हैं कि –

ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही

तुझ को इस वादी-ए-रंगीं से अक़ीदत ही सही

मेरी महबूब कहीं और मिला कर मुझ से

बज़्म-ए-शाही में ग़रीबों का गुज़र क्या मअ’नी

सब्त जिस राह में हों सतवत-ए-शाही के निशाँ

उस पे उल्फ़त भरी रूहों का सफ़र क्या मअ’नी

ये नज्म बहुत लम्बी और मायनीखेज है। काश ताजमहल में मकबरों पर गंगाजल चढाने वाले लौंडों [ ये अगर की हिंदी का शब्द है,असंसदीय बिलकुल नहीं ] ने इसे पढ़ा होता। कुलजमा ताज महल को ताजमहल ही रहने दिया जाये । वहां यदि कभी शिवजी विराजते होंगे भी तो वे न जाने कब कि इस जगह को छोड़कर चले गए होंगे। ताज को सियासत की नहीं वक्त की धरोहर समझकर उसका सम्मान किया जाये, उसकी हिफाजत की जाये तो बेहतर है।

@ राकेश अचल

achalrakes1959@gmail.com

Leave a Comment