आम आदमी टकटकी लगाए देख रहा है इस बार के यूनियन बजट को
सभी को उम्मीद सरकार रखेगी आम जनता का ख्याल
नई योजानाएं लाने से बेहतर है पुरानी योजनाओं को शत:प्रतिशत हो क्रियान्वन
शबी हैदर
लखनऊ 20 जुलाई, : संसद का बजट सत्र 22 जुलाई को शुरू होने जा रहा है। पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का यह पहला बजट होगा। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण मंगलवार को लोकसभा में बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में क्या कुछ खास होने वाला है और जनता क्या कुछ खास चाहती है। इसी विषय पर चाहू ओर चर्चाओं का जोर है। बात अगर बजट में खास की करे तो इस बार सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत अगले 5 वर्षों में 2 करोड़ और मकान बनाए जाने का लक्ष्य निर्धारित करेगी तो लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूंजीगत व्यय परिव्यय 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये किया जा रहा है। बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र को काफी उम्मीदें हैं। देश में सबसे बड़ी डिजिटल स्वास्थ्य योजना के लिए एक रिपोर्ट जारी की गई है। इसे डिजिटल स्वास्थ्य सेवा और कॉरपोरेट वेलनेस की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। वहीं अगर आम जनता की बात करें तो सभी लोग यही चाहते हैं कि सरकार बजट कुछ ऐसा पेश करे जिससे महंगाई कम हो और रोजगार का सृजन हो। 23 जुलाई को पेश हो रहे बजट पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ से जनता जर्नादन की चाहत।
क्या चाहती है जनता
गृहणी रश्मि टंडन कहतीं है कि यह सही है कि सरकार ने काफी कुछ बदला है और काफी कुछ बदलने की स्थिति में है। उनके मुताबिक नहीं बदल पा रही है तो रसोई की स्थिती। एलपीजी गैस महंगी है, जब देखो सब्जियां महंगी हो जाती है तो काभी दालें। जिस दर से महंगाई बड़ रही है उस दर से आमदनी नहीं बड़ पा रही। बस यही से घर का बजट खराब हो जाता है और टेंशन हो जाता है। वह कहतीं है कि वित्त मंत्री को इस दृष्टि से जरूर सोचना चाहिए। क्योंकि वह भी एक महिला है। और एक महिला यही चाहती है कि उसके परिवार के लोगों को स्वादिष्ट और स्वास्थ्य भोजन मिले।
बीटेक कर रहे छात्र गुलाम कहते हैं कि यह उनका लास्ट सेमेस्टर है। और वह चाहते हैं कि जैसे ही पढ़ाई कम्पलीट हो उनको एक अदद अच्छी नौकरी मिल जाए ताकि वह शादी कर सके। वह कहते है कि उनकी इच्छा वैसे तो व्यापार करने की है। लेकिन इंस्टेंट उन्हें एक अदद नौकरी की जरूरत है ताकि कुछ पैसे इक्टठा कर सके। वह लखनउ में ही उम्दा नौकरी के ख्वाब देख रहे हैं और कहते है कि सरकार उनके ख्वाबों को पूरा करने का बंदोबस्त करे। वह बैंग्लोर या फिर दिल्ली नहीं जाना चाहते।
नाइट लाइफ इंज्वाय कर रहे मिथलेश एक व्यापारी है और प्लास्टिक की फैक्ट्री चलाते हैं। उनका कहना है कि रॉ मैटेरियल के लिए लखनउ एक हेल्दी डेस्टीनेशन नहीं है। रामैटेरियल यहां तक आते—आते महंगा हो जाता है जिससे प्रोडक्ट भी महंगे हो जाते हैं। वह कहते हैं कि प्रोडक्ट महंगे होने के नाते वह बाजार से कम्पटीट नहीं कर पा रहे है। वह छोटे और मझोले उद्योगों खासकर प्रोडक्शन यूनिट के टैक्स स्लैब में परिवर्तन चाहते हैं और इन्हें जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की इच्छा रखते हैं।
अययूब एक आईसक्रीम फैक्ट्री में काम करते हैं और जल्द ही खुद की यूनिट लगाने के बारे में सोच रहे हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें घटी ब्याज दरों या फिर सब्सिडी के साथ बैंक लोन मिल जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा। उनका कहना है कि सरकार ने बहुत सी योजनाएं चला रखी है। लेकिन योजनाओं के मार्फत जब वह लोन लेने बैंक जाते हैं तो नियम और शर्ते कुछ इस तरह की हो जाती है जिसे वह पूरा नहीं कर पा रहे। वह इस बजट से चाहते है कि इस में कुछ ऐसी व्यवस्था हो जिसमें खुद के व्यवसाय को शुरू करने के लिए बैंक आसानी से बिना किन्ही शर्तों के लोन दे दें। वह कहते है कि प्राइवेट बैंक लोन तो दे रहे हैं लेकिन उनकी ब्याज दरें ज्यादा है और महंगी ब्याज दरों पर बिजनेस नहीं किया जा सकता।