(राजदीप सिंह सैनी)
पंजाब 25 अक्टूबर। मोगा कोट इसे खां थाने की एसएचओ अर्शप्रीत कौर ग्रेवाल पर नशा तस्करों का साथ देने के आरोप में मामला दर्ज हुआ है। इस मामले में शुक्रवार को नया मोड़ आ गया। दरअसल, इंस्पेक्टर अर्शप्रीत ग्रेवाल ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पंजाब पुलिस के अफसरों के भेद खोलते हुए एक पोस्ट शेयर की है। जिसमें मोगा एसपी-डी बाल कृष्ण सिंगला और डीएसपी रमनदीप सिंह पर गंभीर आरोप लगाए है। इंस्पेक्टर अर्शप्रीत ग्रेवाल ने आरोप लगाए कि एक कांग्रेसी नेता के मर्डर केस में एसपी द्वारा 4 लोगों को बरी कराया गया, वहीं डीएसपी द्वारा ऑफिस बुलाकर उनके साथ यौन शोषण किया गया है। जब उन्होंने एसपी के मामले में डीडीआर काट दी और डीएसपी के यौन शोषण का विरोध किया तो उसके बदले दोनों अफसरों ने रंजिश में उन पर झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी। हालाकि एसएचओ के इस खुलासे ने पंजाब पुलिस के अफसरों के भेद खोलकर रख दिए हैं। जिसके बाद अफसर अब आमने सामने हो चुके हैं। हालाकि इंस्पेक्टर अर्शप्रीत ग्रेवाल ने अपनी पोस्ट पर मामले की सच्चाई बताते हुए सीएम पंजाब, केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, डीजीपी पंजाब, एसएसपी मोगा, भारतीय महिला आयोग, पंजाब सरकार, पंजाब राज्य महिला आयोग को मामले की जांच करने और उन्हें इंसाफ दिलाने की मांग की गई है। हालांकि इस मामले की एंक्वायरी होने पर कई और अफसरों के राज भी खुल सकते हैं। कई आला अधिकारियों के फंसने की आशंका है।
महिला पुलिस ही सुरक्षित नहीं
पंजाब पुलिस द्वारा अक्सर महिला सुरक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे किए जाते हैं। महिला सुरक्षा को लेकर नई ड्राइव चलाने, नंबर जारी करने समेत कई प्रयास किए जाते हैं। लेकिन पंजाब पुलिस के खुद के विभाग में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं है। लोगों में चर्चा है कि अगर विभाग की महिलाएं अपने ही अधिकारियों से सेफ नहीं है, तो पुलिस आम जनता की सुरक्षा कैसे करेगी।
तू याद रखेगी, डीडीआर किवे हाई दी आ
इंस्पेक्टर अर्शप्रीत ने पोस्ट में लिखा कि गांव डाला में एक कांग्रेसी वर्कर की हत्या हुई, यह बाली मर्डर केस के रूप में मशहूर था। जिसमें पहले 4 और बाद में 8 से 9 आरोपी थे। इस मामले में मुझे पूर्व एसएसपी मोगा, एसपी-डी बाल कृष्ण सिंगला और अन्य अधिकारियों ने कार्यालय में बुलाकर 4 आरोपियों का डिस्चार्ज एप्लिकेशन देने को कहा। जिस पर इंस्पेक्टर अर्शप्रीत ने नियमों के मुताबिक एसपी-डी सिंगला द्वारा की जांच के मुताबिक डीडीआर डाल दी। जिस पर एसपी सिंगला ने बयान दर्ज करने के लिए मुझे कई बार अपने कार्यालय में बुलाया और मुझे कहा- “तू याद रखेगी वी डीडीआर एंट्री किवे पाई दी है”। अर्शप्रीत ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि अपना व्यक्तिगत बदला लेने के लिए वह इस हद तक जाएंगे और एसएसपी सर को मेरे खिलाफ भड़काएंगे और मेरे खिलाफ यह झूठी एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।
आपकी लुक और काम ने मुझे आकर्षित किया
इंस्पेक्टर अर्शप्रीत अनुसार दूसरा मामला पिछले रविवार का है, जब वह साथी महिला अफसर के साथ धर्मकोट के पास कैफ़े में गई तो वहां पर संयोग से डीएसपी धर्मकोट रमनदीप सिंह और एसएचओ मिली। इस दौरान डीएसपी रमनदीप सिंह ने मुझसे ऑफिस आकर मिलने को कहा। जैसे ही वह ऑफिस पहुंची, कार्यालय बंद था। थोड़ी देर बाद डीएसपी रमनदीप वहां पर पहुंचे और बोले कि हमारे बीच बहुत कुछ समान है, आपके लुक और काम के तरीके ने मुझे आकर्षित किया है। इस दौरान उन्होंने मुझे छूने की कोशिश की और जब मैंने इसका विरोध किया तो वो मुझे सॉरी कहने लगे। मैंने उसी पल डीएसपी रमनदीप से कहा कि मैं एसएसपी साहब और जरूरत पड़ी तो डीजीपी सर से शिकायत करूंगी। जब वह एसएसपी ऑफिस पहुंची तो एसपी सिंगला ने उनके खिलाफ अफसर को भड़का दिया। जिससे उनकी बात नहीं सुनी गई।
न मैंने जांच की, न आरोपियों को मिली, फिर भी हुआ पर्चा
इंस्पेक्टर अर्शप्रीत अनुसार उनके थाने की पुलिस ने गश्त के दौरान दो किलो अफीम बरामद की। जिसकी वीडियोग्राफी भी हुई। इंस्पेक्टर अर्शप्रीत अनुसार वह इस मामले की जांच अफसर भी नहीं है। एसएचओ होने के नाते, उन्होंने 2 किलो अफीम के जब्त किए पार्सल की जांच की। जिसे एएसआई बलजीत कौर ने सील किया था। उन्होंने मामले के तथ्यों की जांच की और पार्सल को अपनी सील छाप ‘एके’ के साथ सील कर दिया। अगले दिन कोर्ट में इन्वेंट्री कार्यवाही की गई। मैंने इस मामले में कोई जांच नहीं की है. मैं कभी घटनास्थल पर नहीं गई, मैं कभी आरोपी के स्थान पर नहीं गई। मैं पहले कभी आरोपी से नहीं मिली, तो फिर मैंने रिश्वत व अफीम की हेरफेर कैसे कर डाली। जबकि वह उस दिन बीडीपीओ कार्यालय में डीएसपी रमनदीप सिंह के साथ अपनी ड्यूटी पर थी। हालाँकि 2 किलो अफ़ीम की उस एफआईआर में मेरे या मेरे थाने के किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा कोई ग़लती नहीं की गई थी। बाद में पता चला कि एसपी डी बाल कृष्ण सिंगला और डीएसपी धर्मकोट रमनदीप सिंह ने थाने की आईओ बलजीत कौर और पूरी पुलिस पार्टी को एसएचओ खिलाफ बयान देने को परेशान कर रहे हैं। बयान न देने पर बर्खास्त करने की धमकी दे रहे हैं।