मौसम में बदलाव के साथ ही पंजाब में भी बादल-कमबैक !

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छंटे ‘संकट के बादल’ तो शिअद में सुखबीर फिर बने ‘चैंपियन’

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चर्चा, पंजाब के सियासी-गढ़ लुधियाना से इकलौते अकाली विधायक अयाली व पूर्व मंत्री मजीठिया के हाथ रह गए खाली

 

चंडीगढ़, 12 अप्रैल। अपने सियासी-वजूद के लिए जूझ रही पंजाब की सबसे पुरानी पंथक पार्टी शिरोमणि अकाली दल-बादल में चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है। राजनीतिक-संकट से उबरकर सूबे के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल एक बार फिर पार्टी के प्रधान बन गए हैं। अमृतसर में गोल्डन टेंपल परिसर स्थित तेजा सिंह समुद्री हॉल में पार्टी की बैठक में आमराय से यह फैसला लिया गया। सियासी-जानकारों के मुताबिक इसे सुखबीर की चाणक्य-नीति माना जा रहा है।

पार्टी के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। सुखबीर के खिलाफ किसी ने भी अपना नाम प्रपोज नहीं किया। इसके बाद आमराय से सुखबीर बादल प्रधान चुने गए। अकाली नेता व रिटर्निंग अफसर गुलजार सिंह रणिके ने बैठक के बीच बादल के नाम पर मोहर लगा दी। प्रधान चुने जाने के बाद सुखबीर बादल ने कहा कि विरोधी पार्टियों ने क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान पहुंचाने के लिए तख्तों के जत्थेदारों को अपने पक्ष में कर लिया था और बागी गुट के नेता सत्ता के लालच में हैं। बादल ने करीब 5 महीने पहले शिअद प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया था, क्योंकि उन्हें तनखैया घोषित किया गया था। इस दौरान गोल्डन टेंपल में सजा भुगतते हुए उन पर गोली भी चलाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वह बच गए थे।

कॉर्पोरेट-नेता की इमेज बनाई थी सुखबीर ने :

सुखबीर बादल पहली बार दिसंबर, 2008 में पार्टी अध्यक्ष बने थे, जब उनके पिता प्रकाश सिंह बादल पंजाब के मुख्यमंत्री थे। उन्हें पार्टी में ‘कॉर्पोरेट शैली’ की राजनीति लाने वाला भविष्य का नेता कहा गया था, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों से लगातार हार के बाद पार्टी में असंतोष बढ़ता गया।

2007 से 2017 तक पंजाब की सत्ता में रही अकाली दल 2022 के विधानसभा चुनाव में महज तीन विधायकों तक सिमट गई और 2024 के लोकसभा चुनाव में केवल एक सांसद जीत पाया।

 

बागी अकाली, रह गए हाथ खाली !

सियासी जानकार मान रहे हैं कि सुखबीर सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी साबित हुए हैं। उनको प्रधान पद से हटाने के लिए तमाम दिग्गज अकाली नेताओं ने बागी तेवर अपनाए थे। चर्चा तो यहां तक रही थी कि सूबे के सियासी-गढ़ लुधियाना जिले से इकलौते अकाली विधायक मनप्रीत सिंह अयाली प्रधान पद की दावेदारी के चलते ही बागी तेवर अपनाए हुए थे। जबकि सुखबीर के राजनीतिक-संकट के दौर में यह चर्चा भी जोरों पर थी कि सूबे के पूर्व मंत्री व सुखबीर की पत्नी के भाई बिक्रम मजीठिया भी प्रधान पद के दावेदार हैं। वहीं, एसजीपीसी की पूर्व प्रधान बीबी जागीर कौर भी बागी गुट का झंडा बुलंद करने की वजह से प्रधान पद की दावेदार मानी जा रही थीं। कुल मिलाकर सुखबीर बादल के फिर प्रधान बनने से बागी गुट के अरमानों पर पानी फिर गया।

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