बचाव में जुटे तहसीलदार, जूनियर्स पर गाज गिराने का प्रयास, क्या विजिलेंस सच ला सकेगा सामने

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‌वेस्ट तहसील में गांव नूरपूर की बेशकीमती जमीन की जाली रजिस्ट्री करने का मामला

लुधियाना 23 फरवरी। लुधियाना की वेस्ट तहसील में गांव नूरपूर में मौजूद बेशकीमती जमीन की जाली रजिस्ट्री कराने का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मामले में विजिलेंस द्वारा एक्शन शुरु किया गया है। जिसके चलते पूरे शहर की नजर अब इस मामले में होने वाले एक्शन पर टिकी हुई है। वहीं चर्चा है कि मामले में जाली रजिस्ट्री करने के आरोप में घिरे तहसीलदार जगसीर सिंह लगातार अपना बचाव करने में जुटे हैं। तहसीलदार जगसीर सिंह सेटिंग करने में लगे हैं, ताकि मामले में से उनका नाम किसी तरह बाहर निकल जाए। उनकी तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि उनके जूनियर्स की और से उक्त जाली रजिस्ट्री के दस्तावेज चैक किए और उन्हें पास किया था। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि इतनी बड़ी पोस्ट पर होने के बावजूद तहसीलदार द्वारा आंखें बंद करके जूनियर्स की बातों पर यकीन कर रजिस्ट्रियां कर दी जा रही है। लोगों में चर्चा है कि इस तरह तो तहसीलदार अपनी और पंजाब के किसी भी व्यक्ति की जमीन को इधर से उधर ट्रांसफर कर देंगे। तहसीलदार द्वारा की जा रही बहानेबाजी को देखकर लगता है कि अब इस मामले में भी बाकी केसों की तरह मुख्य कारिंदे बच जाएंगे और कमजोर यानि कि नीचे सत्र के मुलाजिमों पर गाज गिर जाएगी। वहीं चर्चा है कि अगर तहसलीदार जूनियर्स के सहारे काम कर रहा है तो वे फिर सैलरी किस काम के लिए ले रहे हैं।

काम अगर जूनियर कर रहे तो तहसीलदार को सैलरी क्यों देनी
लोगों में चर्चा है कि अगर तहसीलदार जगसीर सिंह की और से पलीह दी जा रही है कि प्ऱॉपर्टी के दस्तावेज जूनियर्स द्वारा चैक किए गए थे और उन्होंने ही उनसे हस्ताक्षर करवाए थे। तो ऐसे में लोगों का कहना है कि फिर अगर काम ही जूनियर्स ने करना है तो तहसीलदार को सैलरी देने का क्या फायदा है। इससे अच्छा है कि अधिकारी को हटा दिया जाए और ताकि वह पैसा सरकारी खजाने में बच सकेगा।

छोटी रकम दिखाकर करवाई गई रजिस्ट्री
चर्चा है कि गांव नूरपूर में मौजूद उक्त एनआरआई की जमीन की कीमत कई करोड़ रुपए है। लेकिन फाइनेंसर दीपक गोयल द्वारा जाली रजिस्ट्री कराते समय छोटी सी रकम भरकर रजिस्ट्री करवाई गई। हालांकि देशभर की नामी कंपनियों को पता है कि लुधियाना की कैनाल रोड पर जमीनों के भाव क्या है। ऐसे में रजिस्ट्री कराते हुए तहसीलदार द्वारा क्यों इस पर ध्यान देते हुए रोक लगवाई गई। लोगों में चर्चा है कि तहसीलदार का काफी तजुर्बा होता है। ऐसे में वह देखकर ही अंदाजा लगा लेते है कि कौन से एरिया में जमीन का क्या रेट है। फिर तहसीलदार को रजिस्ट्री के समय यह क्यों नहीं पता चल सका। चर्चा है कि सभी की मिलीभगत के बाद ही यह रजिस्ट्री हुई है। इसी के चलते अब बचाव के लिए तर्क दिए जा रहे हैं।

चर्चा – आखिर तहसीलदार कैसे बेकसूर
चर्चा है कि तहसीलदार एक सीनियर पोस्ट है। ऐसे में अगर जूनियर द्वारा भी हेरफेर किया जा रहा हो तो सीनियर द्वारा उन दस्तावेजों को चैक करके ही पास किया जाता है। ऐसे में अगर तहसीलदार ओवरव्यू भी चैक करते तो भी चोरी पकड़ी जाती। अगर किसी ने भी हेरफेर किया है तो पूरी गलती के जिम्मेदार सीनियर ही माने जाते हैं। ऐसे मे तहसीलदार खुद को कैसे बेकसूर बता सकते हैं। वहीं बात करें हेल्पर गोपाल की तो उसकी जिम्मेदारी भी दस्तावेज चैक करने की है। अगर वह अपना काम सही तरीके से नहीं करके घोटाले कर रहा है तो उसे फिर नौकरी पर बैठाया क्यों गया है।

झूठी गवाही पाना भी जुर्म, डीलर भी कसूरवार
अब तर्क दिए जा रहे हैं कि गवाही देने वाला नंबरदार का बेटा अनजान था। लेकिन खुद पेश होकर गवाही देना, यह कहां का अनजानापन है। झूठी गवाही देना जुर्म है। वहीं नूरपूर की जमीन का सौदा दो पार्टनर नामी प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा कराया गया था। डीलरों को जमीनें दिलाने के बेसिक नियम पता होते हैं। उन्हें पता होता है कि कोई भी रजिस्ट्री कराने से पहले उक्त जमीन का 10-11 साल पुराना रिकॉर्ड चैक करना होता है। ऐसे में डीलरों द्वारा आखिर उक्त रिकॉर्ड को क्यों चैक नहीं किया गया। यानि कि उनकी भी इसमें मिलीभगत थी।

आर नामक वकील द्वारा किया गया बड़ा हेरफेर
गांव नूरपूर की जमीन में एक आर नामक वकील द्वारा गवाही डाली गई थी। चर्चा है कि उक्त वकील की तहसीलदार के साथ साथ बड़े लेवल पर अच्छी सेटिंग है। ग्लाडा की प्रॉपर्टियों की इललीगल रजिस्ट्रियां होने के मामले में भी इसी वकील का नाम सामने आया था। हालांकि इस मामले में 9 लोगों पर मामला दर्ज हुआ था। जिसमें नामी सचदेवा प्रॉपर्टी डीलर द्वारा अपनी जमानतें करवाई गई थी। चर्चा है कि विश्वजीत सिंह तहसीलदार के कार्यकाल के दौरान भी उक्त वकील की और से बड़े लेवल पर जाली रजिस्ट्रियां करवाई थी। यहां तक कि तहसीलदार विश्वजीत के समय में तो पर्ची कटाए व नंबर लगाए सीधा रजिस्ट्रियां होती थी। चर्चा है कि ग्लाडा की जाली रजिस्ट्रियां कराने के मामले में भी सारी गाज दुगरी के नंबरदार मनमोहन सिंह, हैबोवाल के हरनेक सिंह और धांधरा के दोकल चंद पर गिरा दी गई थी।

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