राजनीतिक मतभेद अब सिर्फ भाषणों या विरोध प्रदर्शन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हिंसा का रूप ले रहे हैं? -चार्ली कर्क की हत्या एक गंभीर संकेत है
वक्तव्य देते समय वक्ताओं, मीडिया, नेताओं की जिम्मेदारी होती है कि भाषा संयमित हो, उत्तेजना कम हो,लेकिन सक्रिय आलोचनाएँ हों,यह लोकतंत्र के लिए ज़रूरी है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर नेपाल में जेन जी आंदोलन अभी थमा ही नहीं है बल्कि उनमें ही आपसी फूट के नज़ारे दिख रहे हैं उधर फ्रांस में जेन जी के लिए सोशल मीडिया पर बैन की खबर पर चर्चा जारी है,लेकिनअमेरिका में अपने विचारों से जेन जी पर असर डालने वाले कंजरवेटिव एक्टिविस्ट और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी दोस्त चार्ली कर्क की हत्या, पूरी दुनियाँ के लिए इससे भी बड़ी खबर बनी हुई है, अमेरिका,यूरोप और दुनियाँ भर के मुस्लिम मुल्कों के साथ साथ भारत में भी डोनाल्ड ट्रंप के करीबी चार्ली कर्क की हत्या पर चर्चा की जा रही है,सिर्फ 31 साल के चार्ली कर्क अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप के लिए कितने महत्वपूर्ण थे,उसे इस तरह समझा जा सकता है,उनकी हत्या के बाद ट्रंप ने अमेरिकी झंडे को चार दिन तक झुका कर रखने का आदेश दिया है, इसी के साथ ट्रंप ने कर्क के हत्यारे को किसी भी कीमत पर पकड़कर सजा देने का भी एलान किया है। चार्ली कर्क की उस वक्त गोली मारकर हत्या की गई जब वो अमेरिका की यूटायूनिवर्सिटी में छात्रों से बातचीत कर रहे थे, अचानक एक गोली चली जो उनके गले में लगी,अस्पताल में उनको मृत घोषित कर दिया गया। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि,दुनियाँ के सामने सबसे बड़ा सवाल है चार्ली कर्क को किसने मारा?उसकी हत्या क्यों की गई, क्या यह हत्या अमेरिका में एक बहुत बड़े विभाजन का अलॉर्म बजा रही है? क्या चार्ली कर्क को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वो डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक थे?चार्ली की हत्या उस वक्त की गई जब वो कॉलेज में पढ़ने वाले युवाओं यानि जेन ज़ी के बीच ट्रंप की विचारधारा को बढ़ाने के अभियान पर निकले थे।चूँकि ट्रंप के`लाडले` का मर्डर क्यों?दुनियाँ के सामने सबसे बड़ा सवाल?, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,राजनीतिक मतभेद अब सिर्फ भाषणों या विरोध प्रदर्शन तक सीमित नहीं हैं,बल्कि हिंसा का रूप ले रहे हैं?-चार्ली की हत्या एक गंभीर संकेत है।
साथियों बात अगर हम हत्या की टाइमिंग की करें तोसिर्फ 31साल के चार्ली अमेरिकन कमबैक टूर पर थे,इस कार्यक्रम का आयोजन चार्ली के संगठन टर्निंग पॉइंट यूएसए ने किया था,इस संगठन की स्थापना चार्ली ने सिर्फ 18 साल की उम्र में की थी,इस छात्र संगठन का मकसद अमेरिकी कॉलेजों में कंजर्वेटिव विचारधारा का प्रचार-प्रसार करना है, कंजर्वेटिव विचारधारा ये मान्यता रखती है कि पुरानी परंपराएं, धर्म, रीति-रिवाज़ और नैतिक मूल्य समाज को स्थिर और मजबूत बनाते हैं, यानि ये पुराने रीति रिवाजों के बदलाव का विरोध करती है। इसके अलावा राष्ट्र की संप्रभुता, झंडा, सेना और राष्ट्रीय पहचान के प्रति गर्व और निष्ठा की भावना रखती है,यानि ये अमेरिकी की राष्ट्रवादी विचारधारा है,अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी इसी विचारधारा को फॉलो करती है। इसी वजह से चार्ली कर्क डोनाल्ड ट्रंप के बहुत करीबी थे, और विरोधियों के निशाने पर रहते थे।अपने अमेरिकन कमबैक टूर पर वह कैंपस में युवाओं से संवाद करने वाले थे, यूटा वैली यूनिवर्सिटी उनका पहला स्टाप था, जहां पर उनकी हत्या कर दी गई।हम कह सकते हैं चार्ली की हत्या उस वक्त की गई जब वो कॉलेज में पढ़ने वाले युवाओं यानि जेन ज़ी के बीच ट्रंप की विचारधारा को बढ़ाने के अभियान पर निकले थे।
साथियों बात अगर हम चार्ली कर्क क़े दृष्टिकोणों को समझने की करें तो (1)गर्भपात-: उन्होंने एबॉर्शन के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, और कुछ बयानों में यह बताया गया कि यदि 10 वर्षीय लड़की के साथ यौन शोषण हो और गर्भधारण झाल, तो क्या किया जाए, इस तरह के सवालों पर उनके दृष्टिकोण कण्ट्रोवरसी पैदा कर चुके हैं।(2) गन राइट्स:-बंदूक-स्वामित्व, आत्मरक्षा,उन्होंने गन राइट्स को समर्थन दिया।(3) राष्ट्रवाद, सदैव “अमेरिका फर्स्ट ”जैसी विचारधारा : उनके भाषणों में अमरीकी संप्रभुता, सीमाएँ, आव्रजन (इमाइग्रेशन) आदि मुद्दों पर कठोर दृष्टिकोण देखा जाता है। (4)लेफ्ट विरोध:उन्होंने लेफ्ट-लिबरल और प्रोग्रेसिव समूहों की आलोचना की है, विशेष तौर पर कॉलेज परिसरों में फ्री स्पीच,वोके कल्चर, डाइवर्सिटी, इन्क्लूशन आदि मुद्दों पर। यह दायरा अक्सर ट्रंप समर्थकों और दक्षिणपंथी विचार प्रकारों में मौजूद है।इस तरह, उनके विचार उन्हें ट्रंप समर्थक और लेफ्ट-विरोधी बनाते थे।
साथियों बात अगर हम हत्या और राजनीतिक हिंसा की करें तो पहले भी राजनीतिक हिंसा और हत्या हुई है, उदाहरण के लिए, सांसदों, एक्टिविस्टों, प्रदर्शनकारियों पर हमले, गोलियाँ चलना आदि। लेकिन यह कहना कि हर मुखर समर्थक या हर “विचारधारा के व्यक्ति” ख़तरे में है, सही नहीं होगा।चार्ली की हत्या एक गंभीर संकेत है कि राजनीतिक मतभेद अब सिर्फ भाषणों या विरोध प्रदर्शन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हिंसा का रूप ले रहे हैं। यह घटना “पॉलिटिकल असासिनेशन” कहलायी है।नया नहीं, मगर बढ़ती प्रवृत्ति:-ऐसी घटनाएँ नई नहीं हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में पोलिटिकली मोटिवेटेड वायलेंस में वृद्धि देखी गई है। चार्ली कुर्क की हत्या इस प्रवृत्ति का एक और दुखद उदाहरण है।
साथियों बात अगर हम क्या चार्ली कुर्क की हत्या यह ट्रंप के लिए भारी पड़ेगी-संभवतः हाँ, निम्न कारणों से: (1) राजनीतिक संवाद और हिंसा की आलोचना: ऐसी हत्या राजनीतिक हिंसा के प्रश्न को देशव्यापी बना देगी। ट्रंप, जो अक्सर“लेफ्ट -विंग एक्स्ट्रामिस्म” या“रेडिकल लेफ्ट रहेटोरिक”की बात करते हैं, उन्हें इस घटना में अपनी आलोचना का केंद्र बनना पड़ेगा। (2)न्याय और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी: प्रेसिडेंट की जिम्मेदारी होती है कि कानून- व्यवस्था कायम हो; यदि हो कि हत्या की जांच में देरी हो,साजिश या राजनीतिक गलत दावों से स्थिति बिगड़े, तो राजनीतिक नुकसान हो सकता है।(3) मतदाता भावना पर असर: उनके समर्थकों में दुःख और गुस्सा होगा; विपक्ष इस घटना का इस्तेमाल कर राजनीतिक लाभ उठा सकता है, “हिंसात्मक राजनीति” की आलोचना करते हुए।(4)मीडिया और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसका प्रभाव है, यूरोप के दक्षिणपंथी नेता आदि, मीडिया, मानवाधिकार संगठन इसकी समीक्षा कर रहे हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पुरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ट्रंप के लाडले का मर्डर क्यों?दुनियाँ के सामने सबसे बड़ा सवाल ?राजनीतिक मतभेद अब सिर्फ भाषणों या विरोध प्रदर्शन तक सीमित नहीं हैं,बल्कि हिंसा का रूप ले रहे हैं?-चार्ली की हत्या एक गंभीर संकेत है,वक्तव्य देते समय वक्ताओं, मीडिया, नेताओं की जिम्मेदारी होती है कि भाषा संयमित हो, उत्तेजना कम हो, लेकिन सक्रिय आलोचनाएँ हों,यह लोकतंत्र के लिए ज़रूरी है।
*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र *