watch-tv

सैम अंकल की टिप्पणी चुनावी मुद्दा क्यों ?

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

सैम अंकल यानि सैम पित्रोदा की एक टिप्पणी से 56 इंच का सीना सिकुड़कर 36 इंच का हो गया। अब्बल तो सैम पित्रोदा का भारतीय राजनीति से फिलहाल कोई सीधा रिश्ता नहीं है और वे अब इतने महत्वपूर्ण भी नहीं रह गए हैं कि उनकी टिप्पणियों को विश्वगुरु माननीय नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी संज्ञान लें। लेकिन दुर्भाग्य ये है कि माननीय मोदी जी की झोली खाली है इसलिए सैम अंकल की टिप्पणी उन्हें डूबते को तिनके का सहारा बन गयी है। सैम अंकल की टिप्पणी यदि नस्लवादी लगती है तो सभी को उसकी निंदा करना चाहिए और मै तो कहता हूँ की यदि भाजपा तीसरी बार सत्ता में आये तो सैम अंकल को दिया गया पदम् अलंकरण भी वापस ले लेना चाहिए।
सैम अंकल का भारत के तकनीकी विकास में जो योगदान है उसे ठुकराया नहीं जा सकता। उन्हें मुद्दा बनाने की एक मात्र वजह ये है कि वे उस परिवार के नजदीकी हैं जो परिवार पूरी भाजपा को और खासकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई दामोदर दास यदि को फूटी आँख नहीं सुहाता। मोदी जी सैम के मित्र परिवार को शाही परिवार और उस परिवार के मुखिया को शाहजादा कहते हैं। सैम का मित्र परिवार इन दिनों भूत बनकर सरकार और सरकारी पार्टी के सर पर सवार है। कभी -कभी मुझे इसी वजह से भाजपा के प्रति सहानुभूति भी होती है।
आज की पीढ़ी सैम अंकल के बारे में शायद ज्यादा न जानती हो ,इसलिए बता दूँ कि सैम अंकल कोई एलियन नहीं बल्कि भारतवंशी हैं। मोदी जी की ही तरह गुजराती हैं।सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। उनका जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती बढ़ई परिवार में हुआ था।सैम अंकल भी मोदी जी कि ही तरह गरीब और पिछड़े परिवार से आते हैं मोदी जी और सैम अंकल में फर्क सिर्फ इतना है कि मोदी जी कि शैक्षणिक उपाधियों को लेकर चुनातियाँ दी गयी हैं ,उन पर संदेह जताया गया है जबकि सैम अंकल कि उपाधियों को लेकर कोई विवाद नहीं है। पित्रोदा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से पूरी की। इसके साथ ही वडोदरा के महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर किय। इसके बाद वो 1964 अमेरिका चले गए और वहां से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर उपाधि हासिल की फिर उन्होंने 1965 से टेलिकॉम इंडस्ट्री में हाथ आजमाया. साल 1981 में पित्रोदा भारत वापस लौट आए।
माननीय मोदी जी मानें या न माने किन्तु पूरी दुनिया और देश मानता है कि भारत आकर पित्रोदा ने देश की टेली कम्युनिकेशन सिस्टम को आधुनिक बनाने के बारे में सोचा और शायद इसीलिए उन्हें भारत में सूचना क्रांति का जनक माना जाता है। भाजपा जब कुल चार साल कि थी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के निमंत्रण पर 1984 में उन्होंने टेलीकॉम के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सी-डॉट अर्थात ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलिमैटिक्स’ की स्थापना की थी। पित्रोदा की क्षमता से राजीव गांधी बेहद प्रभावित हुए. जिसके बाद उन्होंने पित्रोदा को डोमेस्टिक और फॉरेन टेलीकॉम पॉलिसी पर काम करने को कहा.आज की सरकार को शायद पता है या नहीं किन्तु हकीकत ये है कि सैम अंकल ने तत्कालीन प्रधनमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से प्रौद्योगिकी को डिजिटल बनाने की जरूरत पर बात की। इंदिरा गांधी पित्रोदा से काफी प्रभावित हुईं। अमेरिका की नागरिकता मिलने के बाद भी इंदिरा गांधी के बुलावे पर पित्रोदा भारत आ गए और यहां की नागरिकता ले ली। ये उनका अपना राष्ट्रवाद था। इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी ने अपनी सरकार में पित्रोदा को अपना सलाहकार नियुक्त किया. इस सरकार में उन्होंने दूरसंचार, जल, साक्षरता, टीकाकरण, डेयरी उत्पादन और तिलहन से संबंधित छह प्रौद्योगिकी मिशनों का नेतृत्व किया. साल 2005 से 2009 तक सैम पित्रोदा भारतीय ज्ञान आयोग के अलावा वे भारत के दूरसंचार आयोग के संस्थापक और अध्यक्ष भी रहे।
सैम अंकल की टिप्पणियों को चुनावी मुद्दा बनाना भाजपा की विवशता है क्योंकि उसे नहीं पता कि सैम अंकल राजीव गांधी की हत्या के बाद वापस अमेरिका चले गए। 1995 में उन्हें इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन इनिशिएटिव का चेयरमैन बनाया गया। 2004 में जब देश में कांग्रेस की सरकार बनी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन ने सैम पित्रोदा को वापस भारत बुलाकर उन्हें नेशनल नॉलेज कमीशन का अध्यक्ष बनाय। वहीं 2009 में यूपीए सरकार के दौरान पित्रोदा को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सलाहकार नियुक्त किया गया ।
मुझे लगता है कि यदि माननीय मोदी जी भी सैम अंकल की प्रतिभा को पहचान लेते तो वे भी उनकी सेवाएं लेने से न हिचकते किन्तु सैम अंकल का गांधी परिवार के निकट होना ही उनकी तमाम उपलब्धियों पर पानी फेरने के लिए काफी साबित हुआ। सैम अंकल का रिश्ता राहुल गांधी से भी बेहद खास रहा। यहां तक कि पित्रोदा को राहुल गांधी का राजनीतिक गुरु भी माना जाता है। यही वजह है कि भाजपा पित्रोदा को राहुल का अंकल कहकर तंज करती है।
लेख तनिक लंबा हो सकता है किन्तु सैम अंकल को समझने के लिए इसे बर्दाश्त करना पडेगा आपको । दरअसल सैम अंकल वैज्ञानिक हैं,लेकिन अंधभक्त नहीं। वे हमेशा खरी-खरी कहते हैं इसलिए भाजपा के मन से उतरे रहते हैं। सैम पित्रोदा ने जून 2023 में कहा था कि मंदिरों से देश की बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी दिक्कतों का समाधान नहीं होगा, इन मुद्दों पर कोई बात नहीं करता। हर कोई राम और हनुमान मंदिर की बातें करता है। उन्होंने ये कहकर राजनीतिक भूचाल ला दिया था कि मंदिर निर्माण से आपको रोजगार नहीं मिलेगा। हाल ही में सैम अंकल ने ‘द स्टेटमेंट’ को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत को विविधतापूर्ण देश बताया। उन्होंने कहा, “जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे दिखते हैं। पश्चिम के लोग अरब जैसे। उत्तर के लोग गोरे और दक्षिण के लोग अफ्रीका जैसे दिखते हैं। ”
सैम अंकल कभी भारत में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने नहीं आये किन्तु भाजपा को सैम अंकल कांग्रेस के सबसे बड़े नेता दिखाई देते हैं ,इसीलिए भाजपा सैम अंकल के हर बयान को कांग्रेस से जोड़कर न सिर्फ मुद्दा बनाती है बल्कि उनकी हर बात को पूरी गंभीरता से लेती है। आपको याद होगा कि पिछले दिनों सैम अंकल ने कहा था कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। यानी किसी शख्स के मरने के बाद उसकी संपत्ति का कुछ हिस्सा उसके रिश्तेदारों को दिया जाता है, जबकि एक बड़ा हिस्सा सरकार अपने पास रख लेती है। सैम पित्रोदा ने इस कानून को एक रोचक कानून बताया था । मोदी जी ने इसे भी चुनावी मुद्दा बना लिया। अब सैम अंकल का ताजा बयान भाजपा के लिए संजीवनी बन गया है। भाजपा सैम अंकल के बहाने पूरी कांग्रेस को नस्लवादी बताने की कोशिश कर रही है लेकिन मुझे लगता है कि इसका कोई लाभ भाजपा को होगा नहीं।
मजे की बात ये है कि सैम अंकल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा के काम आये थे । उस समय उन्होंने 1984 के सिख दंगों को लेकर कुछ कह दिया था। इसी साल 2019 में सैम पित्रोदा ने कहा था कि मेडिकल क्लास को स्वार्थी नहीं बनना चाहिए. उनको कांग्रेस की प्रस्तावित न्याय योजना की फंडिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा था कि टैक्स का बोझ बढ़ने से मिडिल क्लास को स्वार्थी बनीं बनना चाहिए। उनके इस बयान पर भी भाजपा ने काफी बवाल काटा था।सैम अमरीका में बैठे हैं और कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के काम आ रहे है। भाजपा को यदि सैम अंकल के उपकारों से उऋण होना है तो उनकी आलोचना करने के बजाय उन्हें भारतरत्न से सम्मानित करना चाहिए।
@ राकेश अचल
achalrakesh1959@gmail.com

Leave a Comment