सत्यशील अग्रवाल
हम बच्चों को इतिहास, भूगोल, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, राजनीति शास्त्र इत्यादि तो पढ़ाते है, परन्तु उन्हें उनके आगामी स्वस्थ्य जीवन के लिए शारीरिक आवश्यकताओं, शारीरिक कार्यप्रणाली के बारे में नाम मात्र का ज्ञान दिया जाता है। सिर्फ मेडिकल की पढाई करने वाले विद्यार्थियों को ही शरीर की व्यवस्था का ज्ञान दिया जाता है। मानव जीवन में धन अर्जन के साथ अपने शरीर को स्वस्थ्य रखना भी प्राथमिकता में लाना आवश्यक है, तब ही इन्सान निरोगी जीवन जी सकेगा। निरोगी काया दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है। यदि विद्यालयों में बच्चों को अपने शरीर के बारे में ज्ञान दिया जाय और बताया जाय की उसको स्वस्थ्य और स्वयं को दीर्घायु बनाने के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं और हमारी जीवन शैली कैसी होनी चाहिए। जिससे शरीर निरोग, हृष्ट पुष्ट एवं दीर्घायु को प्राप्त हो सके। जीवन में व्यायाम, श्रम और योग का क्या महत्व है। बचपन में ही यदि यह ज्ञान बच्चों को मिल जाता है तो उसे समझ आ सकता है उसे कौन सा फास्ट फूड खाना चाहिए और कौन सा नहीं और क्यों नहीं खाना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी बहुत ही बुद्धिमान है अत: उसे कोई भी सलाह देने से पूर्व तर्क द्वारा समझाना आवश्यक है, तत्पश्चात ही वह किसी की नेक सलाह को अंगीकार कर सकती है। अत: किसी भी वस्तु के उपभोग पर आपत्ति करने से पूर्व यह बताना आवश्यक है कि इस वस्तु के उपभोग करने से क्या परेशानी हो सकती है या इस वस्तु में कौन सा पदार्थ हानिकारक है। और यदि कोई खाद्य पदार्थ जो हानिकारक भी है, फिर भी उपभोग किया जाता है, तो उसके हानिकारक प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है। अन्यथा वे आपको अपनी खुशियों में बाधक ही मानते रहेंगे। युवा पीढ़ी समेत सभी लोगों की मानसिकता होती है कि नए-नए खाद्य पदार्थों का सेवन करें, नयी से नयी वस्तुओं का उपभोग करे और अपनी जीवन को बेहतर तरीके से जीए। अब यदि कोई उसको पसंद आने वाली वस्तुओं का विरोध करता है तो वह उस इन्सान की उपेक्षा करने लगता है। कभी कभी तो ऐसा सलाहकार व्यक्ति नफरत का पात्र भी बन जाता है। अत: किसी भी फास्ट फूड की आलोचना करने से पूर्व उसके हानिकारक अवयवों की जानकारी भी देना आवश्यक होता है। कुछ उदाहरण प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूँ।
1. संतों, महात्माओं, समाज सुधारकों के अनुसार बिस्कुट या बेकरी उत्पादों को नहीं खाना चाहिए उनके अनुसार बिस्कुट में विष कूट कूट कर भरा होता है, प्रश्न उठता है बिस्कुट में कौन सा विष होता है। बिस्कुट या बेकरी के उत्पाद बनाते समय बेकिंग सोडा डाला जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अत: बेकरी की वस्तुओं का सेवन कम से कम करना चाहिए। यदि बेकरी की वस्तुओं का सेवन करना है तो मैदा के स्थान पर आटे से बने उत्पादों का सेवन कम हानिकारक होता है। अत: मैदा के स्थान पर आटे से बने बेकरी उत्पादों का ही सेवन करे वह भी सीमित मात्रा में।
2. अक्सर बताया जाता है की फास्ट फूड बिलकुल नहीं खाने चाहिए ये बीमारियों को आमंत्रण है, सभी डॉक्टर भी कहते हैं कि फास्ट फूड स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक है। परन्तु नयी पीढ़ी का लिए सिर्फ ऐसा कहना उन्हें हजम नहीं होता। उन्हें बताना पड़ेगा कि फास्ट फूड में क्या क्या नुकसान दायक पदार्थ होते हैं और किस प्रकार से स्वाद और स्वास्थ्य के प्रति सामंजस्य बैठाया जा सकता है। मैदा से बने फास्ट फूड से बचना चाहिए, मैदा मानव की आंतों के लिए नुकसान दायक होता है। अत: यथा संभव आटे का उपयोग होना चाहिए। आटे में भी मल्टी ग्रेन का प्रयोग लाभ दायक होता है, हो सकता इससे बनी खाद्य वस्तु देखने में आकर्षक न हो परन्तु स्वाद में फर्क नहीं होगा। फास्ट फूड बनाते समय प्रयोग किया गया तेल अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए, यदि रिफाइंड आयल का उपयोग न किया गया हो तो ऐसे फास्ट फूड का ही सेवन करना उचित रहता है। जब भी फास्ट फूड में प्याज का उपयोग हो तो यह आवश्यक है देर तक काट कर रखी प्याज न हो,ऐसी प्याज विषाक्त हो जाती है और पेट के लिए हानिकारक हो जाती है।
3. तली भुनी वस्तुओं का प्रयोग कम से कम करें यह शरीर में ह्रदय रोगों को आमंत्रित करता है, खून में कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है जिससे अनेक व्याधियां उत्पन्न होती हैं। विशेष तौर पर हमे ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, जिसे डीप फ्राई किया गया हो।
4. हमें ऐसी वस्तुओं के सेवन से बचना होगा जिसमें नमक का अधिक मात्रा का उपयोग किया गया हो। अधिक नमक उच्च रक्तचाप को आमंत्रण देता है।
5, वर्तमान समय में छोले भठूरे, छोले कुलचे, पावभाजी, चाऊमीन, बर्गर, मोमोज, पिज्जा, इत्यादि लोकप्रिय फास्ट फूड है जो सिर्फ मैदा से तैयार किये जाते हैं और अधिकतर में तेल का अधिकतम प्रयोग होता और भरपूर मसाले प्रयोग किये जाते हैं, जिस कारण ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाते हैं, अत: अपना शौक पूरा करने के लिए इनका सेवन कम से कम करना ही उचित है। कभी कभी इनका स्वाद लेकर अपने शौक को पूरा किया जा सकता है,परन्तु नियमित सेवन रोगों को आमंत्रण देता है।
6. हम लोग जिस बेकरी ब्रेड का प्रयोग करते हैं, वे सभी मैदा से तैयार की जाती हैं,यद्यपि अब ब्राउन ब्रेड भी बाजार में आने लगी है परन्तु इसके प्रयोग को करने वाले लोग बहुत कम है। अत: आमतौर पर दुकानों पर उपलब्ध नहीं हो पाती। ब्राउन ब्रेड का सेवन कुछ हद तक ठीक है। इसी कारण पाव और बर्गर को भी हानिकारक माना जाता है, जिसे मैदा के अतिरिक्त अन्य किसी आटे से बनाने का विकल्प नहीं है।
7. इसी प्रकार बाजार में उपलब्ध कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद अनेक प्रकार के हानिकारक केमिकल स्वास्थ्य पर आक्रमण करते हैं, जिसे टॉयलेट क्लीनर तक घोषित किया है अत: इनके उपयोग से दूरी बना लेना चाहिए, इसके स्थान पर छाछ,लस्सी, फ्रूट जूस, कोल्ड मिल्क,नारियल पानी जैसे पीने के योग्य अनेक पदार्थ बाजार में उपलब्ध हैं,जिनका सेवन किया जा सकता है।
8,बाजार में मिलने वाली पैक्ड फूड को प्रेजर्व करने लिए अनेक प्रकार के केमिकल का उपयोग किया जाता है,और अधिकतर पैक्ड खाद्य पदार्थों में नमक की मात्रा बहुत अधिक रहती है जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। यदि हम युवा पीढ़ी को लोकप्रिय फास्ट फूड के हानिकारक तत्वों से अवगत कराने में सफल हो जाते हैं तो अवश्य ही युवा पीढ़ी स्वस्थ्य कारणों को समझ कर इनके उपयोग पर संयम से काम ले सकेगी।
(विनायक फीचर्स)