हरियाना/यूटर्न/3 सितंबर: हरियाणा विधानसभा चुनाव में उंमीदवारों के चुनाव को लेकर कांग्रेस लगातार बैठकें कर रही है। उंमीदवारों के नाम पर लगातार विचार विमर्श हो रहा है। इन उंमीदवारों में दो नाम ऐसे हैं, जिन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को फैसला लेना है। ये नाम हैं सिरसा से पार्टी की सांसद कुमारी सैलजा और पार्टी के महासचिव रणदीप सुरजेवाला। खबरों के मुताबिक मल्लिकार्जुन खरगे जल्द ही दोनों के विधानसभा चुनाव लडऩे पर फैसला लेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष का ये फैसला इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि बीते दिनों दिए एक इंटरव्यू में कुमारी शैलजा ने कहा था कि वो हर हाल में विधानसभा चुनाव लड़ेंगी।
विधानसभा चुनाव लडऩे पर अड़ी कुमारी शैलजा
अगस्त महीने के अंत में कुमारी शैलजा ने पार्टी के हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हर हाल में विधानसभा चुनाव लड़ूंगी। अगर चुनाव के लिए हाईकमान की परमिशन लेनी पड़ी तो वह भी लूंगी। मैं हर स्थिति में विधानसभा चुनाव लड़ूंगी। दरअसल प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा था कि हरियाणा के लिए टिकटों के बंटवारे में पार्टी सांसदों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी। शैलजा ने इसी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि दीपक बाबरिया के बयान को अधूरा समझा गया। हरियाणा चुनाव के लिए पार्टी उंमीदवारों के नाम पर विचार विमर्श कर रही है, लेकिन कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला को चुनाव लड़ाना है या नहीं, इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे।
विधायक क्यों बनना चाहती हैं शैलजा
हरियाणा की राजनीति में कुमारी शैलजा को भूपिंदर सिंह हुड्डा का प्रतिद्वंदी माना जाता है। कुमारी शैलजा कई मौकों पर मुखयमंत्री पद पर दावा ठोंक चुकी हैं। हुड्डा की खिलाफत में रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और किरण चौधरी का एक गुट था। हालांकि किरण चौधरी के बीजेपी में जाने के बाद से कांग्रेस गुट कमजोर पड़ गया, लेकिन शैलजा ने अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी है। हरियाणा की राजनीति के जानकार कहते हैं कि शैलजा का विधानसभा चुनाव लडऩे की जिद पर अडऩा, दरअसल हुड्डा के सामने मुखयमंत्री पद की दावेदारी करना है। उनका मानना है कि भले ही हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा की चल रही हो, लेकिन शैलजा उन्हें वॉकओवर नहीं देना चाहती।
हरियाणा की सत्ता में हिस्सेदारी
दरअसल कुमारी शैलजा विधानसभा चुनाव लडक़र एक तीर से दो निशाने साधना चाहती हैं। हरियाणा में इस समय कांग्रेस के पक्ष में समीकरण दिखते हैं। बीजेपी के खिलाफ 10 साल की सत्ता विरोधी लहर है। किसानों और बेटियों का मुद्दा है। कांग्रेस को लगता है कि इस बार वह सत्ता की दावेदार है। ऐसा कुमारी शैलजा को भी लगता है। इसलिए वह विधानसभा का चुनाव लडऩा चाहती हैं। चुनाव नतीजों में कांग्रेस को बहुमत मिला तो शैलजा मुख्यमंत्री पद पर दावा करेंगी। फिर हाईकमान को फैसला लेना होगा।
हरियाणा में बढ़ेगी कांग्रेस की मुसीबत
जानकार तो यह भी कह रहे हैं कि शैलजा को सीएम की कुर्सी नहीं भी मिली तो भी आलाकमान उन्हें इग्नोर नहीं कर पाएगा। दलित समाज के वोटों की जरूरत इस समय कांग्रेस को सबसे ज्यादा है। लिहाजा सरकार बनने पर शैलजा की भूमिका बड़ी हो सकती है। हुड्डा विरोधी विधायक शैलजा के साथ खड़े हो सकते हैं। लेकिन यही से कांग्रेस के लिए समस्या बढ़ जाती है। शैलजा के चुनाव लडऩे की स्थिति में पार्टी में गुटबाजी बढ़ेगी। और ये गुटबाजी किसी भी स्थिति में कम होती नहीं दिख रही, चुनाव के दौरान तो गुटबाजी रहेगी ही, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद भी गुटबाजी खत्म नहीं होगी। हुड्डा के खिलाफ शैलजा का स्टैंड लेना गुटबाजी को कभी खत्म नहीं होने देगा।
रणदीप सुरजेवाला पर हुड्डा का नरम रुख
उंमीदवारों के नाम पर चर्चा के दौरान भूपिंदर सिंह हुड्डा का रुख चौंकाने वाला रहा है। सुरजेवाला का नाम चर्चा में आया तो हरियाणा के पूर्व मुखयमंत्री हुड्डा ने सुरजेवाला के स्थान पर उनके बेटे का नाम आगे बढ़ा दिया। सुरजेवाला पिछला चुनाव हार गए थे। देखना होगा कि कांग्रेस आलाकमान सुरजेवाला को टिकट देता या उनके बेटे को, लेकिन हुड्डा ने सुरजेवाला के बेटे का नाम प्रस्तावित करके मामला रोचक बना दिया है।
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