क्यों जनता ने 2025 में फिर से नीतीश कुमार पर भरोसा जताया?

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों से एक दिन पहले, 13 नवंबर को पटना स्थित जेडीयू कार्यालय के बाहर एक आकर्षक पोस्टर लगाया गया। पूर्व मंत्री रंजीत सिन्हा द्वारा समर्पित इस पोस्टर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सलमान खान की फिल्म के अंदाज़ में “टाइगर ज़िंदा है” कहते हुए समाज के हर वर्ग का “रक्षक” बताया गया।

महागठबंधन की देरी और तेजस्वी के दावे

इस चुनाव में विपक्षी महागठबंधन को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने में देरी को लेकर लगातार आलोचना झेलनी पड़ी। राजद नेता और सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने कई बार दावा किया था कि अगर एनडीए सत्ता में आता है तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे।

नतीजों में जेडीयू–बीजेपी की मजबूत बढ़त

शुक्रवार को शुरुआती रुझान आते ही जेडीयू 79 सीटों पर आगे दिखी, जो एनडीए की दमदार वापसी का संकेत है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जेडीयू का स्ट्राइक रेट 101 सीटों में लगभग 79% रहा। वहीं सहयोगी बीजेपी 89 सीटों पर आगे रही और उसका स्ट्राइक रेट करीब 89% पहुंचा। पिछली बार जेडीयू केवल 43 सीटें जीत सकी थी, इसलिए यह प्रदर्शन काफी उल्लेखनीय है।

नीतीश कुमार का राजनीतिक प्रभाव वापस उभरता हुआ

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, रोजगार, पलायन और नागरिक सुविधाओं जैसे मुद्दे भले प्रमुख न रहे हों, लेकिन चुनाव में “नीतीश कुमार का ब्रांड” सबसे अलग दिखा। 2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन 2005 के बाद से वे लगातार बिहार की राजनीति में प्रभावशाली बने रहे। आखिरी बार उन्होंने जनवरी 2024 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

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