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क्या होगा सपा के बागियों का ?

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विधानसभा की कार्यवाई शुरू होती ही सपा माननीय को निलंबन की अर्जी लगा देगी।

आधा दर्जन से ज्यादा दिग्गजों ने बीच चुनाव छोड़ा था सपा का साथ

 

लखनउ यूटर्न, 24 जून : समाजवादी पार्टी को लोकसभा चुनाव में बीच मझधार में साथ छोड़ने वाले माननीय का क्या होगा? पार्टी किसी भी कीमत पर इन माननीय को मजा चखाने के लिए उनकी सदस्यता को खत्म करने की कोशिश करेगी। लेकिन क्या बीजेपी उन्हें बचाएगी यह सवाल लाख टके का है। क्योंकि जिन लोगों ने सपा से बागावत कर बीजेपी का झंडा थामा वहां वह बीजेपी को सफलता दिलाने में कामयाब नहीं हुए। दिग्गज राजनेता मनोज पाण्डेय हो या फिर विधायक राकेश प्रताप सिंह। सभी लोग अपने—अपने क्षेत्रो में नकामयाब हुए।

पिछले चुनाव में नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल ने पार्टी का साथ छोड़ा था। सपा ने उकी सदस्यत को खत्म करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। एक समय ऐसा भी आया था कि उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी। लेकिन बीजेपी ने गेम पलट दिया और उनहे सदन का उपनेता बना कर उनकी सदस्यता बचा ली।

पूर्व मंत्री मनोज पांडेय पर खतरा ज्यादा है सदस्यता रद्द होने की क्योंकि उन्होंने खुले तौर पर बीजेपी का मंच साझा किया था और गृह मंत्री अमित शाह तो उनके आवास तक गये थे। राकेश प्रताप सिंह पर तो सीधे परिषद के चुनाव में क्रास वोट करने तक का अरोप है उन्होंने अमठी से चुनाव लड़ रही स्मृति ईरानी को चुनाव जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन वह स्मृति ईरानी को चुनाव नहीं जिता पाये। अम्मेडकर नगर के पूर्व विधायक राकेश पाण्डेय ने भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को ज्वाइन कर लिया। यहां से भी चुनाव सपा जीती। राकेश भी कोई मैजिक नहीं कर पाए। विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मौर्य, पल्लवी पटेल और दो दूसरे विधायक महाराजी देवी प्रजापति की पत्नी , पूजा पाल ऐसे कई विधायक है जिन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी का साथ छोड़ा था।

अब सपा विधानसभा की कार्यवाई शुरू होते ही इन सभी माननयी की सदस्यता को रदद करने की अपील विधानसभा अध्यक्ष से करेगी। संख्या ज्यादा है और बीजेपी के लिए इनमें से कोई भी नेता कुछ खास नहीं कर पाया। उल्टे इनके पार्टी में जाने से स्थानीय कार्यकर्ता नाराज हो गये जिस का खमियाजा पार्टी को चुनाव में उठाना पड़ा

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