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यूपी के तराई इलाकों में पानी ही पानी, हर साल की यही कहानी 

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— अब कोढ़ में खाज का काम कर रही है बाढ,  खुद तो खा लेंगें लेकिन मवेशियों को कहां से खिलायेंगे ग्रामीण

शबी हैदर

लखनऊ  12 अगस्त :लखन उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिले बाढ़ की चपेट है। जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद हजारों लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर है। कोई तख्त पर खाना पका रहा है तो कोई मचान बना कर सो रहा है। शइंसानों के साथ मवेशी भी परेशान है और उनके खाने—पीने के लाले हैं। प्रत्येक साल यूपी के तराई इलाकों में बरसात के सीजन में बाढ़ का कहर रहता है। लखीमपुर खीरी, सीतापुर, शहजानपुर आदि जिलों में नेपाल की नदिंया हाहाकार मचा रही है तो गोंडा, बहराईच, श्रावस्ती आदि​ जिलों में घाघरा नदी का पारा हाई है। शासन एलर्ट मोड पर है तो लोगों की नींद गायब है और हर कोई यही प्रार्थना कर रहा है कि पानी कम हो और जीवन वापस लौटे। बाढ़ प्रभावित जिलों में जिधर भी निगाह डालो पानी ही पानी नजर आ रहा है। फसलें पहले ही चौपट हो चुकी है और अब तो बस भगवान ही सहारा है। बाढ़ प्रभावित जिलों से यूटर्न सवांददाता शबी हैदर की खास रिपोर्ट

गोंडा जिले के बहादुरपुर निवासी ह्रदय राम भगवान श्रीराम के दर्शन करने अयोध्या गये थे। वापस लौंटे तो उनका पूरा गांव बाढ़ की चपेट में मिला। ​मीलो चल कर सर पर पशुओं के लिए चारे का प्रबंध कर रहे ह्रदय राम कहते हैं कि एक तरफ कटान है तो दूसरी तरफ बाढ़ बहुत बुरे हालात है, क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या प्रशासन की तरफ से कुछ मदद मिली तो बुरा सा मुह बनाते हुए बोले की कभी भी कोई मदद नहीं मिली।

 

बहादुरपुर के ​हरिकुशन कहते है कि स्थिति बहुत ही खराब है। पानी आता है तो सब भीग जाता है। यहां पटान है। हम तख्त और मचान पर जिंदगी बिता रहे हैं। वह कहते हैं कि गेहू धान सब बह चुका है। शासन—प्रशासन ने हमारी कोई सुध नहीं ली है। हमारे मवेशी मर रहे हैं और हम जैसे तैसे खुद को जिंदा रखने की कोशिशों में लगे हैं।

जिलाधिकारी नेहा शर्मा कहती है कि की घाघरा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। एक महीने पहले बाढ़ की चपेट मे 19 गाँव आये थे। जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर है। कटान वाले क्षेत्र पर विशेष रूप से पेट्रोलिंग की जा रही है।

सभी बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। राहत किट वितरित करने वाली टीम को भी एक्टिव कर दिया गया है। आपदा से पहले सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है। हम सर्तकता की दृष्टि से कार्य कर रहे हैं। उपर से पानी छोड़ा जा रहा है बारिश भी हो रही है बाढ़ प्रभावित इलाकों में हाई एलर्ट है। बाढ़ चौकियों और शरणालय सभी जगह सर्तक रहने को कह दिया गया है। बाढ़ प्रभावित आशंकित गांव हैं वहां भी सर्तकता बरती जा रही है।

 

 

घाघरा का जलस्तर में इजाफा

उत्तर भारत मे हो रही बारिश से घाघरा नदी का तेवर एक बार फिर से बदलता हुआ दिख रहा है घाघरा नदी खतरे के लाल निशान से 39 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है जिस तरीके से लगातार घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है तो वही निचले क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत बढ़ती हुई नजर आ रही है लोगों के घरों में पानी भरा हुआ है। घर ग्रास्थी के सामान लोग ऊंचे स्थानों पर रख रहे हैं वहीं मचान बनाकर लोग रहने को मजबूर है पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं। अपने मवेशियों को ऊंचे स्थान पर ले जा रहे है। एक बार फिर बाढ़ का संकट गहराता हुआ नजर आ रहा है। किसानों की खड़ी हरी फसल घाघरा का पानी डुबा दिया है। किसानों का कहना है पहली बाढ़ ने धान और गेंहू की फसल को बहुत नुकसान कर चुका है अब फिर से बाढ़ आ गयी है बचे हुए फसल ये भी ख़राब होने के कागार पर आ गए है। फसलों की बहुत नुकसान हुआ है।

 

 

 

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