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सांझी प्रतियोगियों को लाखों के पुरस्कार वितरित करेगा विरासत।

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वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

 

25 फुट ऊंची विश्व की सबसे बड़ी सांझी बनेगी लोककला की द्योतक।

प्रथम पुरस्कार 51 हजार, दूसरा 31 हजार, तीसरा 21 हजार,चौथा 11 हजार, पांचवा 51 सौ।

 

कुरुक्षेत्र 17 Sep : लोक कला सांझी धीरे-धीरे विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई है। लोककला सांझी को बचाने के लिए विरासत हेरिटेज विलेज जी.टी. रोड मसाना द्वारा आयोजित चौथे विरासत सांझी उत्सव-2024 में सांझी प्रतियोगिता का आयोजन 2 अक्टूबर से किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में उत्तर भारत के जहां सांझी बनाई जाती है किसी भी राज्य की महिला भाग ले सकती है। प्रतियोगिता में विजेताओं के लिए 1 लाख 43 हजार सात सौ रूपये के पुरस्कार निर्धारित किए गए हैं। यह जानकारी कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने दी।

उन्होंने बताया कि विरासत सांझी उत्सव-2024 में प्रथम पुरस्कार 51 हजार, दूसरा 31 हजार, तीसरा 21 हजार, चौथा 11 हजार, पांचवा 51 सौ रूपये, छठा पुरस्कार 31 सौ रूपये, सातवां 21 सौ रूपये के पांच पुरस्कार जबकि आठवां 11 सौ रूपये के दस पुरस्कार रखे गए हैं। कार्यक्रम का आयोजन विरासत हेरिटेज विलेज मसाना में किया जा रहा है। सांझी लगाने की प्रक्रिया 2 अक्टूबर 2024 को अमावस्या के दिन होगी, जबकि पुरस्कार वितरण एवं सांस्कृतिक समारोह का आयोजन 11 अक्टूबर शुक्रवार को दोपहर बाद चार बजे आयोजित किया जायेगा। इस सांझी उत्सव में भाग लेने वाली सभी महिलाओं एवं कलाकरों को घर से सांझी बनाकर लानी होगी। विरासत में प्रत्येक कलाकार को स्थान उपलब्ध करवाया जायेगा, जिस पर वह सांझी लगाई जाएगी। इसके बाद निर्णायक मंडल के सदस्य सांझी प्रतियोगिता का मूल्यांकन करेंगे और सभी विजेताओं को 11 अक्टूबर को पुरस्कार वितरण किये जाएंगे। उल्लेखनीय है कि लोककला सांझी हरियाणा की लोक पारंपरिक कला का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्तमान में यह कला गांव से लुप्त होती जा रही है। डॉ. पूनिया ने कहा कि इसी कला को बचाने के लिए विरासत में सांझी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। सांझी उत्सव के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लुप्त होती कला सांझी को बचाने के लिए समाज के सभी लोगों से आगे बढक़र भागीदार होने के लिए आह्वान भी किया है। इस अवसर पर विश्व की सबसे बड़ी सांझी भी लगाई जाएगी, जिसकी ऊंचाई 25 फुट होगी, जबकि चौड़ाई 14 फुट होगी। इससे पूर्व कभी भी इतनी बड़ी सांझी नहीं लगाई गई है। उन्होंने कहा कि विरासत का प्रयास लोक संस्कृति का विकास है। इसी कड़ी में विरासत सांझी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

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