12 सितम्बर- पीएम मोदी के मणिपुर दौरे के दो दिन पहले राज्य में फिर हिंसा भड़की। गुरुवार देर रात चुराचांदपुर में उपद्रवियों ने पीएम मोदी के स्वागत में लगे पोस्टर बैनर फाड़ दिए, बैरेकेडिंग गिरा दी और उनमें आग लगा दी। यह घटना पीसोनमुन गांव में हुई, जो चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। पुलिस ने उपद्रवियों को भगाया। लाठीचार्ज भी किया। हालांकि कितने घायल हुए हैं इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। PM मोदी 13 सितंबर को राज्य का दौरा करेंगे और 8,500 करोड़ रुपए की सौगात देंगे। मोदी चुराचांदपुर के पीस ग्राउंड से 7,300 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट की आधारशिला रखेंगे। यह इलाका कुकी बहुल है। इसके साथ ही पीएम मैतेई बहुल इलाके इंफाल से 1,200 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का इनॉगरेशन भी करेंगे। मणिपुर हिंसा के बाद मोदी का यह पहला मणिपुर दौरा है। मई 2023 में मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी। इस हिंसा में अब तक 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है। मणिपुर के एकमात्र राज्यसभा सांसद लीशेम्बा सनाजाओबा ने प्रधानमंत्री के दौरे को राज्य के लिए बहुत सौभाग्यशाली बताया। एक वीडियो मैसेज में उन्होंने कहा- यह बहुत सौभाग्य की बात है कि मोदी लोगों की कठिनाइयों को सुनेंगे। मणिपुर में पहले भी हिंसक झड़पों का इतिहास रहा है। हालांकि, ऐसे समय में पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने राज्य का दौरा नहीं किया और लोगों की बात नहीं सुनी। मोदी ऐसे कठिन समय में यहां आने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं।अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री के दौरे से पहले इंफाल और चुराचांदपुर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इंफाल में लगभग 237 एकड़ में फैले कांगला किले और चुराचांदपुर के पीस ग्राउंड में प्रधानमंत्री के समारोह के लिए एक बड़ा मंच तैयार किया जा रहा है। यहां सेंट्रल फोर्स के जवानों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है। सेंट्रल फोर्स और स्टेट पुलिस कांगला किले की 24 घंटे निगरानी कर रही है। साथ ही नाव के जरिए किले के चारों ओर की खाइयों में भी गश्त की जा रही है। 1891 में रियासत के विलय से पहले, कांगला किला तत्कालीन मणिपुरी शासकों के लिए सत्ता का केंद्र हुआ करता था। तीन तरफ खाइयों और पूर्वी तरफ इंफाल नदी से घिरे इस किले में एक बड़ा पोलो मैदान, एक छोटा जंगल, मंदिर के खंडहर और ऑर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट का ऑफिस है। मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।मणिपुर में हिंसा भड़काने के पीछे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का कनेक्शन सामने आया है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI इसकी साजिश रच रही है। इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है
