लुधियाना/यूटर्न/7 नवंबर: पंजाब की सडक़ो पर आए दिन सडक़ हादसों के कारण लोगों के घर बर्बाद हो रहे है। जिस कारन पंजाब की सडक़ें खूनी हो गई हैं, जबकि सडक़ों पर भागने वाले तेज रफतार वाहन यमराज का रूप धारन करते जा रहे है। इस भयानक त्रासदी के लिए आज तक किसी भी सरकार ने कोई पुखता प्रबंध नही किश्े,यहां तक कि वाहनों की गति सीमा पर भी ट्रैफिक पुलिस कंट्रोल नही करवा पाई। अगर आंकडों की बात की जाए तो पूरे देश में आतंकवाद की भेंट में आकर उतने लोग नहीं मरते जितने प्रत्येक वर्ष सडक़ हादसों में मर जाते हैं। लेकिन पंजाब के किसी भी राजनीतिक व सरकार ने बिगड़ चुके ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने के लिए मूंह तक नहीं खोला। राजनेता लोगों के लिए विकास के नाम पर सडक़ें बनवाने के लिए तो वायदे तो करते हैं। लेकिन उन सडक़ों पर ट्रैफिक नियमों को लागू करवाने,वाहनो की गति कंटोल करने सबंधी कभी अधिकारियों को आदेश नही देते। इसका कारण भी साफ है कि सबसे ज्यादा नियम भी यह लोग तोड़ते हैं। जिसका प्रमाण है कि कुल आकड़ों का एक फीसदी हिस्सा इन राजनेताओं व अमीर परिवारों का है, इनके तेज रफतार वाहनों से टकरा कर भी कई लोग इनकी गलती की सजा भोग चुके हंै।
कनाल रोड पर अकसर होते है,हादसे
देखा गया है कि साउथ सिटी से कनाल रोड पर कोई दिन ऐसा नही जब तेजरफतार वाहन आपस में भिडे ना हो,इसका कारण है कि कनाल रोड की दोनों साईड पर होटल व रेस्तरां बने हुए है,जहां सरेआम शराब परौसी जाती है,कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि नामचीन रेस्तरों में गोलियां तक चल चुकी है और पुलिस की कार्रवाई शून्य रहती है। इतना ही नही परिवार वाले लोग अब कनाल रोड स्थित होटल या रेस्तरां में जाने से डरने लगे है। इस रोड पर जितने भी रेस्तरा या पब है वह सभी उूची पहुंच रखने वालों के है,जिन तक पुलिस अगर पहुंचती है तो वह अपना जुगाड कर वापिस लौट आती है। ऐसा ही हाल नगर के अन्य जगहों पर है,पुलिस अगर किसी को पकडती है कि वह किसी गरीब रेहडी वाले को पकड कर वसूली जरूर करती है।
लोगों की राये
वहीं, लोगों का कहना है कि पूरे देश में ट्रैफिक जागरुक्ता सप्ताह मनाया जाता है,लेकिन 36० दिन पुलिस उसे भुले रहती है। पुलिस जब भी सडक़ों पर ट्रैफिक सुधारने के नाम पर नाके लगाती है,पुलिस का मकसद सिर्फ सरकार का मालिया भरना होता है। ताकि उनकी कुर्सी भी सलामत रहे व राजनेता जी का सहारा भी उसे मिलता रहे। निमन अधिकारियों को साफ तौर पर चालान काटने का कोटा दिया जाता है,ताकि ऊपरी आदेशों पर उतना पैसा इक्ट्ठा करने के बाद नंबर भी बन जाए कि पुलिस ट्रैफिक नियमों का पालन भी करवा रही है और मालिया भी इक्ट्ठा कर रही है,कोटा पूरा होते ही दुकानदारी बंद कर दी जाती है। बेलगाम हो चुके ट्रैफिक के बारे मे लोगों में से समाज सेवी रवि गोयल, वकील संजीव मलहोत्रा व वकील मनमोहन सिंह का कहना था कि अगर हादसे में एक युवा की मौत होती है तो जिंदगी भर के लिए मातम सारे परिवार के लिए होता है। सरकार की जिंमेदारी बनती है कि वह आम लोगों के जीवन स्तर के लिए योजना के तहत विकास करे ना कि बिना योजना के अपनी राजनीति कर लोगों की जानों से खिलवाड़ करें। उक्त समाज सेवियों ने लोगों से अपील की कि वह खुद सडक़ों पर चलने के नियम सीखें और अपना ध्यान व सुरक्षा की जिंमेदारी खुद उठाएं। अगर कोई राजनेता ऐसी हर रोज आने वाली विपताओं के लिए हल करने का दावा करता है तो ही उसे अपना समझें।
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