युनाइटेड एलायंस ग्रुप के हक में डटे फीको प्रधान गुरमीत सिंह कुलार विरोधी गुट के दिग्गजों पर किए जोरदार हमले
लुधियाना, 28 अगस्त। औद्योगिक नगरी लुधियाना में शुक्रवार 29 अगस्त को युनाइटेड साइकिल पार्ट्स एंड मैन्युफैक्चर्रर्स एसोसिएशन यानि यूसीपीएम के चुनाव हैं। जिसमें युनाइटेड एलायंस ग्रुप के हक में फीको के प्रेसिडेंट गुरमीत सिंह डटे हैं। उन्होंने ‘यूटर्न टाइम’ से खास बातचीत में चुनाव में उतरे दूसरे ग्रुपों से जुड़े उद्यमियों के आरोपों के बेबाकी से जवाब देते हुए तीखे पलटवार भी किए।
फीको के जरिए यूसीपीएमए को खत्म करने की साजिश के आरोप पर कुलार ने तर्क दिया कि फीको अकेली बाइसाइकिल की नहीं, मल्टी-ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन है। साइकिल इंडस्ट्री (यूसीपीएमए) के करीब एक हजार मेंबर्स भी फीको से जुड़े हैं। चुनाव लड़ रहे विरोधी ग्रुप वाले कई उम्मीदवार भी इस संस्था के सदस्य हैं। यूसीपीएमए सिर्फ साइकिल ट्रेड को रिप्रजेंट करती है, यह ऑटो, फास्टनर, एग्रीकल्चर की नुमाइंदगी नहीं करती है। यह संस्था नामी उद्यमी एसएस भोगल ने 1967 में बनाई थी, ताकि इस ट्रेड से जुड़े कारोबारियों को संगठित कर सकें। लुधियाना में 92 फीसदी साइकिल व उसके पार्ट्स बनते हैं।
उन्होंने कहा कि इस संस्था का मकसद साइकिल इंडस्ट्री को बढ़ावा देकर इसको प्रमोट करना था। मुझे भी दो बार इसका प्रधान बनने का मौका मिला और मैंने भी यही प्रयास किया कि इस इंडस्ट्री को इंटरनेशनल लेवल पर पहुंचाया जाए। इस सबके बावजूद खुद पर लगे आरोप को लेकर कुलार ने सीधे नामी उद्यमी चरणजीत सिंह विश्वकर्मा का नाम लेकर कहा कि वैसे तो वो मेरे बड़े भाई हैं। उन्होंने कहा था कि हरसिमरजीत सिंह लक्की (यूसीपीएमए के मौजूदा प्रधान) ने मेरे लोग तोड़ लिए। जिन बायर्स-डीलर्स को मैं माल देता था, उनको लक्की जी ने माल दे दिया। यहां तक कहा कि मेरे दोस्त तेजविंदर सिंह बिगबैन के लोग भी तोड़ लिए। जिस पर भोगल साहब समेत मेंबर इकट्ठे हुए और बातचीत की। जिसमें विश्वकर्मा जी ‘झूठ का पुलिंदा’ साबित हुए।
कुलार ने यह भी दावा किया कि विश्वकर्मा जी की मोनोपॉली डिसब्रेक वाली थी, वो लक्की जी ने लेटेस्ट तकनीक से कॉस्ट-इफेक्टिव बना दी। जिसके जरिए उन्होंने विश्वकर्मा जी को बदल दिया। साथ ही एक नया प्रोडक्ट बना दिया, जिसकी विश्वकर्मा जी को निजी रंजिश हुई। दोनों में पैचअप कराने का प्रयास किया, लेकिन वो संतुष्ट नहीं हुए। लिहाजा फैसला करना पड़ा कि साइकिल इंडस्ट्री के भले के लिए विश्वकर्मा जी से कोई समझौता नहीं करेंगे।
हालांकि जैमको जी को ऑब्जर्वर नहीं बनाने के मुद्दे पर कुलार ने तर्क देते इलजाम लगाया कि किसी को तो ऑबजर्वर बनाना ही था। दरअसल यह विश्वकर्मा की फूट डालो, राज करो वाली नीति थी। संजय नाइस और ठुकराल ग्रुप पिछली बार साथ होने के बावजूद आपसे अब अलग क्यों हुए, इस पर भी कुलार बोले कि विश्वकर्मा उनके ही हिमायती बने थे। वो सीनियर्स की आमराय से भी पीछे हट गए थे। क्या वजह है कि आप दोनों संस्था में रहे, लेकिन यूसीपीएम पिछड़ गई और फीको आगे बढ़ गई। इस पर कुलार ने दलील दी कि यूसीपीएमए में सिर्फ 8 आफिस बेयरर्स हैं, जबकि फीको में 36 हैं। उनको संभालने की ज्यादा जिम्मेदारी के बावजूद कामयाबी की वजह टीम वर्क रही। रही बात दलजीत सिंह चावला की, आज वो टैक्नोलॉजी लाने की बात कर रहे हैं, जब प्रधान रहे तो यह क्यों नहीं किया। उस वक्त उनका ध्यान कोरिया, कीनिया की तरफ लग गया, उनको संगठन पर ध्यान देना था।
यूसीपीएमए और फीको ने इंडस्ट्री का भला करने की बजाए टूर ले जाने पर ही फोकस किया, इस पर कुलार ने तर्क दिया कि हमारे साथ विदेश टूर पर गए सभी मेंबरों को सब्सिडी मिली थी। जिस ‘एक’ ने एग्जीबिशन तक अटैंड नहीं की, उसे कुछ नहीं मिला। रही बात, चावला जी के कार्यकाल की, उस वक्त कई मुल्कों में 16 टूर जाने चाहिएं थे, एक भी नहीं गया। खुद पर टूर ले जाने के नाम पर टैक्नोलॉजी लाने की बजाए इंपोर्ट करने के इलजाम पर पलटवार किया कि मेरी कंपनी कोई इंपोर्ट नहीं करती। टैक्नोलॉजी की बात करने वाले विश्वकर्मा जी धड़ाधड़ इंपोर्ट कर रहे हैं।
साइकिल इंडस्ट्री सिर्फ ‘काला साइकिल’ ही बना पा रही है, नामी कंपनियां पिछड़ी या बंद हुई और कुलार ग्रुप ने भी एग्रीकल्चर पर फोकस कर लिया। इस पर कुलार ने दलील दी कि बेशक हमारा ग्रुप आटो और एग्रीकल्चर और ट्रैक्टर पार्टस की तरफ गया। दरअसल जब नई पीढ़ी आती है तो नए इनोवेशन करती है, हालांकि हमने बाइसाइकिल की नई यूनिट भी लगाई। जब तक देश में हाई-टैक्नोलॉजी नहीं मिलेगी, एडवांस प्रोडक्ट नहीं बन सकेंगे। थोड़ी तादाद में स्टील तक स्माल स्केल यूनिटों को नहीं मिलता, ऐसी अड़चनें दूर करना सरकार का काम है।
साइकिल इंडस्ट्री की 80 फीसदी सेल टैंडरों पर निर्भर है, इसे लेकर वह बोले कि टैंडर सेल 65 फीसदी है। अहम पहलू, आज भी 32 करोड़ लोग पैदल काम पर जाते हैं। अगर उनको साइकिल मिल जाए तो कितना फायदा होगा। सरकार ने 8वीं क्लास तक की बच्चियों को साइकिलें बांटीं। दुनियाभर की बात करें तो तमाम छोटे मुल्कों में काली साइकिल की मांग है। रही बात फीको की, इसके 45 एन्टरप्रिन्योर हैं। जहां तक बड़े मुल्कों का सवाल है तो ताइवान-चीन से मशीनरी खरीदी जाए और प्रोडक्ट उनको एक्सपोर्ट किए जाएं। विश्वकर्मा जी यही कर रहे हैं और संजय नाइस इसके उल्टा कदम उठा रहे हैं। संजय नाइस का इलजाम है कि वो दूसरे ग्रुप में चले गए तो आपको उनमें दाग नजर आ रहे हैं। इस पर कुलार पलटवार कर बोले, उनको तो हमारे (फीको) में ट्रैवल एजेंसी का दाग नजर आ रहा है। वही नहीं, विश्वकर्मा जी फीको के साथ टूर पर होकर आए थे। फिर पुराना दर्द जागा तो कुलार ने विश्वकर्मा को पीठ में छूरा घोंपने वाला तक करार दिया। साथ ही कहा कि आगे चलकर वह और बड़ा खुलासा भी करेंगे।
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कुलार के आरोप बेबुनियाद : विश्वकर्मा
यूसीपीएमए चुनाव में युनाइटेड फ्रंट ग्रुप की हिमायत में नामी उद्यमी चरणजीत सिंह विश्वकर्मा डटे हैं। उन्होंने फीको के प्रधान गुरमीत कुलार द्वारा खुद पर लगाए आरोपों को बेबुनियाद बताया।