आपसी फुट का चावला गुट मिल सकता है लाभ
लुधियाना 29 जुलाई : साईकिल संस्था यूसीपीएमए के चुनावों की घोषण के साथ ही गहमागहमी एवं विवाद गहराते नजर आ रहे है। बड़ी बात यह है की विवाद चावला गुट की तरफ से नहीं बल्कि अपने सत्ताधारी गुट के सदस्यों में ही आपसी मतभेद से हुआ। जिसका सीधा लाभ चावला गुट को मिलता नजर आ रहा है। गौरतलब है की सत्ता धारी गुट द्वारा रविवार को निजी होटल में मीटिंग कर गरचारण सिंह जेम्को को आब्जर्वर बनाने का एलान किया लेकिन सोमवार चुनावी घोषणा के लिए बुलाई मीटिंग में जेम्को के जगह अचानक मनजिंदर सचदेवा को आब्जर्वर घोषित किए जाने से बवाल हो गया जिससे बंद मीटिंग रूम में मैंबरों के बीच अच्छी कहा सुनी होने की चर्चाएं छिड़ गई और सत्ताधारी गुट की आपसी फुट सामने आ गई जिसके बाद मंगलवार का दिन मैम्बरों में नए जोड़ तोड़ और गुट बनाने की मंथन मीटिंगे देखने को मिली।
कौन है साईकिल इंडस्ट्री के चाणक्य
आब्जर्वर मामले में तूल के साथ ही चर्चाएं छिड़ गई की वास्तव में कुछ मौका प्रस्त इंडस्ट्री नेता निजी स्वार्थों के लिए इंडस्ट्री को एकजुट नहीं होने देना चाहते। पूर्व प्रधान विश्वकर्मा ने संकेत दिए की अगर यूसीपीएमए संस्था आगे आती है तो कई अन्य संसथान और नेताओं की दुकान बंद होती है इसलिए वे नहीं चाहते की यह संस्था आगे बढ़े। मैम्बरों में चर्चा छिड़ गई आखिर वे कौन मौकाप्रस्त है।
विरासत में मिली संस्था से असल मुद्दे गायब
एक्सपर्ट्स की माने तो यूनाइटेड साईकिल एंड पार्ट्स मैन्युफैक्टरिंग एसो अब केवल नाम की ही यूनाइटेड रह गई है ना तो यहा इंडस्ट्री के वस्तसिक मुद्दों की बात होती है और ना ही सरकारों के पास वास्तविक विजन है वर्तमान नेता विरासत में मिले मंच का निजी तौर पर राजनितिक और व्यापारिक लाभ लेने के लिए इस्तेमाल करते प्रतीत हो रहे हैं
नाइस गुट ने की विश्वकर्मा टीम से मीटिंग
आब्जर्वर विवाद के बाद चुनावों को लेकर नए जोड़ तोड़ एवं समीकरण बनते प्रतीत हो रहे है मंगलवार को पूर्व प्रधान चरणजीत विश्कर्मा , जसविंदर ठुकराल , संजय गुप्ता नाइस एवं वरुण कपूर आगामी जोड़ तोड़ के लिए मीटिंग करते नजर आए। जबकि इसी प्रकार विभिन्न मैंबरों द्वारा आब्जर्वर ना बनाए जाने से नाराज गुरचरण सिंह जेम्को को मनाने के लिए भी दिन भर कश्मकश जारी रही।
चाटुकारों के चलते साईकिल इंडस्ट्री हाशिये पर !
आब्जर्वर मामले को एक्सपर्ट्स शर्म की बात बता रहे हैं क्योकि विवाद इंडस्ट्री ट्रेड के ग्रोथ जैसे अहम मुद्दे पर नहीं बल्कि चुनाव में मनचाहा आब्जर्वर के लिए हो रहा है एक्सपर्ट्स की माने तो पिछले कुछ वर्षों से संस्था की सत्ता में काबिज चाटुकार नेताओं के चलते साईकिल इंडस्ट्री हाशिए पर पहुंच चुकी है हालत यह है की अगर साईकिल टेंडर ना हो तो नामी कम्पनी की टर्नओवर 300 करोड़ तक भी ना पहुंचे।