भारत से अमेरिका डंकी रूट, तुर्कीए कनाडा मेक्सिको से ले जाने में दलालों का हाथ चरम पर
भारत से भी अवैध अप्रवासियों का निष्कासन व डंकी रूट पर सख़्त निगरानी करना समय की मांग-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर दुनियाँ के हर देश व उन देशों से अमेरिका गए अवैध अप्रवासियों की नजरे ट्रंप के चुनाव से लेकर राष्ट्रपति चुने जाने व शपथ ग्रहण दिनांक 20 जनवरी 2025 तक लगातार लगी हुई थी तथा अवैध अप्रवासी डरे हुए थे, कि ट्रंप के शपथ ग्रहण करते ही उनके बुरे दिन शुरू हो जाएंगे। फिर ऐसा ही हो गया अमेरिका में अवैध अप्रवासियों को सख़्ती से बाहर निकाला जा रहा है। भारत में भी अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों को लेकर यूएस मिलिट्री का सी-17 प्लेन 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इन लोगों के पैर में चेन बांधी गई थी, जबकि हाथ भी बेड़ियों में जकड़े हुए थे। इनमें हरियाणा और गुजरात से 33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तीन-तीन, और चंडीगढ़ से दो लोग शामिल थे। इसके अलावा, 19 महिलाएं और 13 नाबालिग भी इस समूह में थे, जिनमें एक चार साल का लड़का और दो लड़कियां (पांच और सात साल की) शामिल थीं। अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल चीफ ने अपने एक्स हैंडल पर इसका वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में भारतीयों के हाथों और पैरों में बेड़ियां साफ देखी जा सकती हैं। हाथ बांधे जाने को लेकर विदेश मंत्री ने कहा, अमेरिका की तरफ से किए जा रहे डिपोर्टेशन का काम इमीग्रेशन एंड कस्टम एन्फोर्समेंट (आईसीई) की तरफ से किया जा रहा है।आईसीई जिन एसओपी पर काम करता है वह साल 2012 से प्रभावी है। उसमें बांधे जाने की बात कही गई है। हमें आईसीई ने बताया है कि महिलाओं और बच्चों को बांधा नहीं गया था।उन्होंने कहा, हम अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वापस लौटने वाले निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो। विदेश मंत्री ने सदन में साल 2009 से लेकर 2025 तक भेजे गए लोगों का ब्योरा भी दिया है। उन्होंने बताया कि 2009 में 734, 2010 में 799, 2011 में 597, 2012 में 530, 2013 में 550, 2014 में 591, 2015 में 708, 2016 में 1303, 2017 में 1024, 2018 में 1180, 2019 में 2042, 2020 में 1889, 2021 में 805, 2022 मं 862, 2023 में 670, 2024 में 1368 और 2025 में 104 लोगों को डिपोर्ट किया गया है।विपक्षी दलों के कई सांसदों ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को वापस भेजने के तरीके को लेकर गुरुवार को सरकार की आलोचना की तथा प्रवासियों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर सवाल उठाए। निर्वासित लोगों ने दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उनके हाथ-पैरों में हथकड़ी लगी रही और अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें खोला गया। टॉयलेट जानें के समय खोली गई हथकड़ी आईसीई ने भारत को बताया कि, महिलाओं और बच्चों को डिपोर्टेशन के दौरान बांधकर रखने में नहीं रखा जाता। 2012 से लागू एसओपी के तहत डिपोर्ट किए जा रहे लोगों को फ्लाइट में बांधकर ले जाया जाता है।चूँकि ट्रंप के जनवरी 2025 को शपथ ग्रहण करते ही अवैध अप्रवासियों पर हंटर चल चुका है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, 104 अवैध अप्रवासी भारतीयों के अमेरिका से बेड़ी हथकड़ी में वतन वापसी।
साथियों बात कर हम माननीय भारतीय विदेश मंत्री द्वारा इस मुद्दे पर 6 फरवरी 2025 को संसद में दिए गए बयान की करें तो उन्होंने कहा,आईसीई जिन एसओपी पर काम करता है वह साल 2012 से प्रभावी है। उसमें बांधे जाने की बात कही गई है। हमें आईसीई ने बताया है कि महिलाओं और बच्चों को बांधा नहीं गया था। उन्होंने कहा, हम अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वापस लौटने वाले निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।कांग्रेस सांसद की तरफ से गए सवाल का जवाब देते हुए विदेश ने कहा, हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस भारत पहुंचे हैं। हमने ही उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि की है।हमें ऐसा नहीं समझना चाहिए कि यह कोई नया मुद्दा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो पहले भी होता रहा है।
साथियों बात अगर हम अमेरिकी दूतावास के द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण बयान की करें तो प्रवक्ता ने कहा,मैं उड़ान से जुड़ी जानकारी के बारे में ज्यादा बात नहीं कर सकता, लेकिन मैं यह साझा कर सकता हूं कि सभी अस्वीकार्य और हटाए जाने योग्य एलियंस (अवैध प्रवासी) के खिलाफ आव्रजन कानूनों का पालन करना संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति है.आव्रजन कानूनों का सख्त अनुपालन प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका की नीति सभी अस्वीकार्य एलियंस पर कानूनों का ईमानदारी से और सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करना है. उन्होंने कहा कि आव्रजन कानूनों का निष्पादन अमेरिकी सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे गंभीरता से लिया जाता है.राष्ट्रीय और सार्वजनिक सुरक्षा का प्राथमिकता।यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि अमेरिकी सरकार की नीति आव्रजन कानूनों के कड़ाई से पालन और निष्पादन पर आधारित है, ताकि देश की सुरक्षा और सार्वजनिक शांति को सुनिश्चित किया जा सके।अमेरिकी सरकार का मानना है कि आव्रजन कानूनों के पालन से राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है.भारत भेजे गए अवैध प्रवास अमेरिकी सरकार कई देश के लोगों को वापस उनके वतन भेज दिया, जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे थे। भारत के अलावा कोलंबिया, मेक्सिको के लोगों को भी उनके देश भेजा जा चुका है। आव्रजन कानूनों के तहत अमेरिकी सरकार ने कल एक बड़ा फैसला लेते हुए जो बाइडेन के उस फैसले को भी पलटने का विचार कर रही है, जिसमें एच 1बी वीजा और एल वीजा के रिन्यूअल के अवधि को 180 दिन से बढ़ाकर 540 दिन कर दिया गया था।
साथियों बात अगर हम डेपुटेशन के मुद्दे पर संसद के बजट सत्र में 6 फरवरी 2025 में विपक्ष द्वारा पूछे गए पांच सवालों वह विदेश मंत्री द्वारा दिए गए जवाबों की करें तो,डिपोर्टेशन मुद्दे पर विपक्ष के 5 सवाल, विदेश मंत्री का जवाब विपक्ष: क्या सरकार को पता था कि भारतीयों को वापस भेजा रहा है? जवाब: हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस आए हैं। हमने ही उनके भारतीय होने की पुष्टि की है। विपक्ष: भारतीय नागरिकों को हथकड़ी क्यों लगाई गई? जवाब: अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगाना अमेरिकी सरकार की नीति है। विपक्ष: मोदी और ट्रम्प की यह कैसी दोस्ती, जो डिपोर्टेशन नहीं रोक पाई? जवाब- अमेरिका से भारतीयों की बेदखली पहली बार नहीं है। यह 2009 से जारी है। विपक्ष: भारतीय नागरिकों के साथ आतंकियों जैसा बर्ताव क्यों किया गया? जवाब:हम अमेरिकी सरकार के साथ लगातार संपर्क में हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके साथ दुर्व्यवहार न हो। विपक्ष: क्या सरकार जानती है कि अमेरिका कह रहा है कि 7 लाख 25 हजार भारतीयों को निकाला जाएगा? जवाब: अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति (अमेरिका से निर्वासित भारतीय) के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था। हम सावधानी बरतेंगे ताकि यह फिर न हो।
साथियों बात अगर हम डंकी रूट से अमेरिका सहित अन्य देशों में प्रवेश की करें तो, डंकी रूट एक ऐसा रूट होता है जो कई देशों से होकर गुजरता है,इसे लोग विदेश जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।पंजाब में डंकी का मतलब एक जगह से दूसरी जगह उछलकर या कूदकर पहुंच जाना होता है। यही वजह है कि भारत से विदेश पहुंचने के रूट को डंकी रूट कहा जाता है, इस रूट के जरिए लोग कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में दाखिल होते हैं। पहले इस रूट का इस्तेमाल खूंखार अपराधी देश छोड़कर भागने के लिए करते थे, लेकिन अब विदेश जाने का सपना देखने वाले हजारों लोग इसके जरिए अपने पसंदीदा देश में दाखिल हो रहे हैं। डंकी रूट बिल्कुल भी सेफ नहीं होता है, इसमें हर कदम पर खतरे होते हैं और कई लोगों की मौत भी हो जाती है। ये रूट सबसे ज्यादा खतरनाक इसलिए होता है, क्योंकि इसमें कई देशों की सीमाओं को पार करना होता है, ऐसे में कई बार सीमा पर तैनात जवान अवैध तरीके से घुसपैठ करने वाले लोगों को गोली मार देते हैं, वहीं कुछ मामलों में लोग भीषण ठंड या फिर भूख से भी मर जाते हैं।डंकी रूट से लोगों को विदेश ले जाने का एक बड़ा रैकेट चल रहा है। कई ट्रैवल एजेंसियां और एजेंट्स इस काम में लगे हुए हैं और विदेश पहुंचाने के लिए लोगों से लाखों रुपये लेते हैं. कई लोगों ने तो डंकी रूट से अमेरिका पहुंचने के लिए एक करोड़ रुपये तक खर्च कर दिए। एजेंट्स मैक्सिको या फिर कनाडा की सीमा से होते हुए लोगों को अमेरिका में दाखिल करवाते हैं, इससे पहले पाकिस्तान और बाकी देशों से होते हुए लोग अमेरिका के पास स्थित देशों तक पहुंचते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पुरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ट्रंप का चला हंटर-104 अवैध अप्रवासी भारतीयों की अमेरिका से बेड़ी हथकड़ी में वतन वापसी।भारत से अमेरिका डंकी रूट तुर्कीए कनाडा मेक्सिको से ले जाने में दलालों का हाथ चरम पर।भारत से भी अवैध अप्रवासियों का निष्कासन व डंकी रूट पर सख़्त निगरानी करना समय की मांग है।
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *