चीन के खिलाफ ट्रंप ने शुरु की मनोवैज्ञानिक लड़ाई !

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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अब अफ़ग़ानिस्तान में बगराम एयरबेस चाहते हैं, वर्ना अंजाम भुगतने की दे रहे चेतावनी

चंडीगढ़, 21 सितंबर। कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात कहने के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नया बयानी-धमाका कर दिया। उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में एक एयरबेस चाहते हैं और अगर वह इसे अमेरिका को नहीं देता है तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। यह एयरबेस अमेरिका की ज़रूरत है, क्योंकि यह चीनी परमाणु प्रतिष्ठानों के कुछ नज़दीक है।

ट्रुथ सोशल से बात करते हुए ट्रंप ने जोर देकर कहा, अगर अफ़ग़ानिस्तान बगराम एयरबेस को इसे बनाने वालों, यानि संयुक्त राज्य अमेरिका को वापस नहीं देता है तो बुरी चीज़ें घटित होंगी। इससे पहले, ट्रंप ने दावा किया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका 11 सितंबर, 2001 के हमलों के बाद अमेरिकी सेना द्वारा इस्तेमाल किए इस एयरबेस पर फिर से नियंत्रण हासिल करना चाहता था। उन्होंने दो दिन पहले मीडिया से कहा कि वह इस बारे में अफ़ग़ानिस्तान से बात कर रहे हैं। दरअसल, 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद इस्लामी तालिबान आंदोलन ने इस एयरबेस पर कब्ज़ा कर लिया। वहीं, अफ़ग़ान अधिकारियों ने पहले ही अमेरिकी उपस्थिति को पुनर्जीवित करने का विरोध व्यक्त किया है।

अफ़ग़ान विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ज़ाकिर जलाल ने ने कहा, अफ़ग़ानिस्तान और अमेरिका को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की ज़रूरत है, ना अमेरिका की अफ़ग़ानिस्तान के किसी भी हिस्से में कोई सैन्य उपस्थिति बनाए रखने के।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ बातचीत करते हुए, ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन अफ़ग़ानिस्तान में बगराम एयरबेस पर फिर से नियंत्रण पाने के लिए काम कर रहा है। इस कदम के पीछे चीन के परमाणु हथियार प्रतिष्ठानों से इसकी रणनीतिक निकटता को एक प्रमुख कारण बताया। ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के तहत बगराम को छोड़ने के फैसले को पूर्ण आपदा भी कहा। जिस पर उन्होंने अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध से बाहर निकलने में बाधा डालने का आरोप लगाया। वह बोले कि वैसे, हम बेस वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं। हम इसे वापस पाने की कोशिश इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अफ़ग़ान सरकार के अधिकारियों को हमसे कुछ चाहिए। यह उस जगह से एक घंटे की दूरी पर है, जहां चीन अपने परमाणु हथियार बनाता है।

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या ट्रंप चीन के साथ सिर्फ़ मनोवैज्ञानिक युद्ध खेलना चाहते हैं। क्योंकि आर्थिक रूप से चीन लगभग अमेरिका के कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है और जल्द ही उससे आगे भी निकल सकता है। माहिरों के मुताबिक इस सवाल का जवाब हां हैं, ट्रंप एक मनोवैज्ञानिक खेल खेल रहे हैं।

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