जम्मू-कश्मीर में एग्जिट पोल के मुताबिक रहे रुझान, हरियाणा को लेकर राजनीतिक-माहिर भी हैरान दिखे
हरियाणा, जम्मू-कश्मीर 8 अक्टूबर। मंगलवार को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की मतगणना हुई। संयोग से दोनों ही राज्यों में 90-90 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए। सुबह दस बजने तक हरियाणा में एग्जिट पोल के नजरिए से मतगणना के रुझानों में बड़ा उलटफेर नजर आया। जिसके मुताबिक भाजपा को बहुमत मिलने के पूरे आसार लगे। हालांकि जम्मू-कश्मीर में मतगणना के शुरुआती रुझानों से हैरानी नहीं हुई, क्योंकि वे कमोबेश एग्जिट पोल के मुताबिक ही आए।
यहां गौरतलब है कि शुरुआती रुझानों में सुबह 8 बजे से कांग्रेस जीत की ओर बढ़ रही थी। पार्टी ने 65 सीटों को छू लिया था। भाजपा कम होकर 17 सीटों पर सिमटती दिख रही थी। खैर, 9.30 बजे भाजपा टक्कर में नजर आई और दोनों में महज दो-तीन सीटों का फर्क नजर आया। इसके पंद्रह मिनट बाद दोनों पार्टी बराबरी पर आ गईं। ऐसे में ही भाजपा और कांग्रेस के खेमों में चुनावी नतीजों पर नजर गड़ाए बैठे नेताओं की धड़कनें तेज होने लगीं।
हालांकि चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक उस वक्त तक 27 सीटों पर बीजेपी की लीड दो हजार से कम थी। उस वक्त तक लाडवा सीट से सीएम नायाब सिंह सैनी और हिसार से सावित्री जिंदल आगे चल रहे थे। जबकि जुलाना सीट से विनेश फोगाट पिछड़ गई थीं। यहां बता दें कि 5 अक्टूबर को एक ही चरण में राज्य में मतदान था। कुल 67.90% वोटिंग हुई थी, जो पिछले चुनाव से 0.03 फीसदी कम रही थी। इसके बाद एक दर्जन से ज्यादा एजेंसियों के एग्जिट पोल में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही थी। कांग्रेस को 50 से 55 सीटें मिलने के कयास लगाए गए थे। जो मतगणना के शुरुआती रुझानों भाजपा के पक्ष में नजर आने लगे थे।
यहां काबिलेजिक्र है कि 2000 से 2019 तक हरियाणा में हुए पांच विधानसभा चुनावों में दो बार वोटिंग प्रतिशत गिरा या फिर उसमें महज एक फीसदी तक बढ़ोतरी हुई। दोनों ही बार राज्य में त्रिशंकु विधानसभा के हालात बने। जिसका सीधा फायदा सत्ताधारी पार्टी ने उठाते हुए फिर से सरकार बनाई। हालांकि इस बार वोटिंग प्रतिशत में मामूली गिरावट आई, ऐसे में शुरुआती रुझान फिर से पलटने की आस लगाए कांग्रेसी नेता जीत के दावे करते रहे।
दूसरी तरफ, जम्मू-कश्मीर में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझानों में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने 50 सीटों के साथ बहुमत का आंकड़ा छू लिया था। जबकि भाजपा 25 और पीडीपी 5 सीटों पर ही आगे थीं। वहीं आजाद उम्मीदवार और छोटी पार्टियां महज 9 सीटों पर बढ़त ले रहे थे। सूबे में 90 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है। करीब दस बजे तक आए रुझानों में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बड़गाम और गांदरबल दोनों सीटों पर आगे चल रहे थे। जबकि महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट से पीछे चल रही थीं।
यहां गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर से एक अक्टूबर तक तीन फेज में 63.88% वोटिंग हुई थी। दस साल पहले 2014 में हुए चुनाव में 65% वोटिंग हुई थी। इस बार 1.12% कम वोटिंग होने से थोड़े उलटफेर की आशंका बनी थी। हालांकि एग्जिट पोल में पांच सर्वे में नेकां-कांग्रेस की सरकार को बहुमत दिया गया था। वैसे एग्जिट पोल में हंग असेंबली का अनुमान जताया गया था। जिसका मतलब साफ होता है कि छोटे दल और आजाद विधायक किंगमेकर बनकर उभरेंगे।
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