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अपनी गलतियां छिपाने को पीपीसीबी ने डाइंग इंडस्ट्री को बनाया बलि का बकरा

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लुधियाना 27 सितंबर। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की और से एक दिन पहले ही लुधियाना के तीनों सीईटीपी प्लांट का ट्रीटेड पानी बुड्‌ढे नाले में डिस्चार्ज करने से रोक लगा दी है। हालाकि इससे डाइंग इंडस्ट्री के साथ साथ गारमेंट व टेक्सटाइल इंडस्ट्री को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। कारोबारी सेक्टर में इन आदेशों के बाद पंजाब सरकार के खिलाफ काफी रोष है। कारोबारियों का कहना है कि पीपीसीबी विभाग के अधिकारियों द्वारा खुद नाले को साफ करने में ईमानदारी नहीं दिखाई गई। लेकिन अब जब गाज गिरने वाली है तो डाइंग इंडस्ट्री को आगे कर दिया जा रहा है। जिससे जबरन डाइंग सेक्टर को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। कारोबारियों ने कहा कि सीईटीपी प्लांटों का पानी अगर बुड्‌ढे नाले में नहीं गिराया जाएगा, तो यूनिट कैसे चलाए जाएंगे। जिसका मतलब है कि पंजाब सरकार खुद ही इंडस्ट्री को विकास पर ध्यान नहीं दे रही। सीईटीपी प्लांट बंद करने और डाइंग इंडस्ट्रियों का काम करने के कारण सारा प्रभाव व्यापार पर पड़ेगा। जिससे उनके साथ डील करने वाली पार्टियां भी पीछे हट जाएंगी।

इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने की जगह डुबाने में जुटी सरकार
वहीं चर्चा है कि पंजाब सरकार द्वारा राज्य की इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के बड़े बड़े दावे किए जाते हैं। पहले तो धड़ल्ले से कारोबारी व सरकार मिलनी प्रोग्राम भी शुरु किया गया। लेकिन ऐसे आदेश जारी कर इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने की जगह डुबाया जा रहा है। वहीं लोगों में चर्चा है कि पंजाब सरकार व कारोबारी मिलनी भी सिर्फ चुनावों तक ही सीमित थे। चुनाव होने के बाद सभी मिलनी भी बंद हो गई।

650 करोड़ लगाकर भी बुड्‌ढा नाला नहीं कर सके साफ
वहीं लोगों में चर्चा है कि पंजाब सरकार द्वारा 650 करोड़ रुपए बुड्‌ढा नाला साफ करने पर खर्च किए थे। लेकिन पीपीसीबी, निगम व नहरी विभाग के अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के साथ मिलकर सारा पैसा हड़प कर लिया गया। जिस कारण बुड्‌ढा नाला साफ नहीं हो सका। अब अपने अधिकारियों को बचाने के लिए पीपीसीबी की और से सारे कसूर डाइंग इंडस्ट्री का निकाला जा रहा है।

पंजाब सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही
वहीं डाइंग कारोबारी राहुल वर्मा ने कहा कि पीपीसीबी की और से 40 एमएलडी प्लांट के सैंपल लिए गए थे। जिन्हें लुधियाना से दिल्ली से जाया गया। हालाकि इतनी दूर तक पानी ले जाने पर उसका खराब होना तय ही है। उसी सैंपल को आधार बनाया जा रहा है। जबकि पंजाब की लैंब में जीतने भी सैंपल टेस्ट हुए सभी पास हुए हैं। दरअसल, पंजाब सरकार द्वारा 2012 में ईरीगेशन चैनल बनाने का प्रोजेक्ट लाया गया। जिससे सीईटीपी व एसटीपी प्लांटों का ट्रीटेंड पानी आगे खेतीबाड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाना था। लेकिन वह प्रोजेक्ट लाया नहीं गया। अब सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। सीईटीपी प्लांटों को पानी रोकने से डाइंग इंडस्ट्री से जुड़े बॉयर्स दूसरी स्टेटों में जाकर बिजनेस करने लगते हैं। उनके साथ दोबारा से बिजनेस करना मुश्किल हो जाता है। सरकार को इस तरह खास ध्यान देने की जरुरत है।

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