ज़िंदगी में फिर से ढलना : शुभांशु शुक्ला का खुलासा, मैंने लैपटॉप यह सोचकर गिराया था, तैर जाएगा

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अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बनकर इतिहास रचने वाले शुभांशु शुक्ला

चंडीगढ़, 3 अगस्त। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बनकर शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचा। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर लौटते उन्हें मोबाइल फ़ोन भी भारी लगा। एक बार उन्होंने अपना लैपटॉप भी गिरा दिया था।

तस्वीरें लेने के लिए फ़ोन पकड़ना भारी लगने वाले पल को याद करते शुक्ला ने कहा, जैसे ही मैंने फ़ोन पकड़ा, मुझे लगा कि यह भारी है, जिसे हम दिन भर पकड़ते हैं। एक्सिओम-4 मिशन से लौटने के कुछ हफ़्ते बाद शुक्ला और उनके सहयोगियों ने अपने 20-दिवसीय अंतरिक्ष मिशन और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 18-दिवसीय प्रवास के अनुभव वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांझा किए।

यहां बता दें कि एक्सिओम-4 मिशन 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना होकर 15 जुलाई को धरती पर वापस लौटा। जिसमें 41 साल बाद, एक भारतीय अंतरिक्ष में लौटा। हालांकि इस बार यह कोई अकेली छलांग नहीं थी, बल्कि भारत की दूसरी कक्षा की शुरुआत थी। साथ ही इस बार हम ना केवल उड़ान भरने के लिए, बल्कि नेतृत्व करने के लिए भी तैयार हैं, यह शुभांशु शुक्ला ने कहा। साल 1984 में सोवियत रूसी मिशन के तहत राकेश शर्मा के बाद वह अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बने। लखनऊ में जन्मे इस अंतरिक्ष यात्री ने कहा कि इस प्रवास में सबसे यादगार पल वह था, जब उन्होंने 28 जून को अपने पीछे तिरंगा लहराते हुए ‘भारत के प्रधानमंत्री’ से बात की। वह क्षण इस बातचीत में भारत के पुनः प्रवेश का प्रतीक था, एक दर्शक के रूप में नहीं, बल्कि एक समान भागीदार के रूप में।

इन महान अंतरिक्ष यात्री ने उन दिनों की एक और घटना साझा की, जब वह धरती पर जीवन के अभ्यस्त हो रहे थे। वह बोले, मुझे अपने लैपटॉप पर कुछ काम करना था। मैं अपने बिस्तर पर बैठा था और मैंने अपना लैपटॉप बंद कर बिस्तर के किनारे रख दिया। मैंने सोचा कि यह मेरे बगल में तैर जाएगा, यह सोचकर मेरा लैपटॉप गिर गया। हालांकि, फर्श पर कालीन बिछा होने के कारण लैपटॉप को कोई नुकसान नहीं हुआ। शुक्ला ने कहा कि 20 दिनों का यह मिशन उनकी उम्मीदों से बढ़कर था और उन्होंने बहुत कुछ सीखा, जो भारत को उसके गगनयान मिशन में मदद करेगा।

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