पीएम मुद्रा योजना में पंजाब के हजारों लोग बने डिफॉल्टर, 1314 करोड़ रुपये फंसे

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पंजाब में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत स्वरोजगार के लिए दिए गए हजारों करोड़ रुपये के लोन लोगों द्वारा न चुकाए जाने के कारण 23 फीसदी खाते एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) घोषित हो गए हैं। लोन की वसूली न होने से बैंकों की चिंता लगातार बढ़ रही है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में 2.24 लाख से अधिक लाभार्थी लोन नहीं चुका पाए, जिससे बैंकों के 1314 करोड़ रुपये फंस गए हैं।

9.77 लाख लोगों को मिला लोन, कई खाते हुए एनपीए

रिपोर्ट बताती है कि 8 अप्रैल 2015 को शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक 9.77 लाख लोगों को 11,333 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है। इनमें सबसे अधिक 4.88 लाख लाभार्थी किशोर वर्ग के हैं, जिनमें से 61,584 खाते एनपीए घोषित किए जा चुके हैं। दूसरे नंबर पर शिशु वर्ग है, जिसमें 4.09 लाख लोगों को लोन दिया गया और इसमें 1.55 लाख खाते एनपीए हो गए हैं। वहीं तरुण वर्ग में 5 से 10 लाख रुपये तक का ऋण लेने वाले 80,054 लाभार्थियों में से 7,285 खाते एनपीए श्रेणी में पहुंच चुके हैं।

छोटे उद्यमियों के लिए बनाई गई महत्वाकांक्षी योजना

पीएम मुद्रा योजना का उद्देश्य छोटे, गैर-कॉर्पोरेट और गैर-कृषि व्यवसायों को अधिकतम 20 लाख रुपये तक का लोन प्रदान करना है। इसे शिशु, किशोर, तरुण और तरुण प्लस श्रेणियों में बांटा गया है। हाल की राज्य स्तरीय समीक्षा में सामने आया कि कुल लाभार्थियों में से 2.24 लाख लोग ऋण चुकाने में असमर्थ रहे हैं।

वसूली प्रक्रिया तेज, फरवरी में अहम बैठक

बैंकों ने वसूली की प्रक्रिया तेज कर दी है और इसके लिए विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं। डिफॉल्टरों से संपर्क कर सेटलमेंट के प्रयास भी चल रहे हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने 13 फरवरी 2026 को अगली बैठक बुलाई है। सभी बैंकों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके आधार पर केंद्र सरकार को स्थिति से अवगत कराया जाएगा और आगे के फैसले लिए जाएंगे।

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