यह तो घोर-लापरवाही : नॉर्दन इंडिया के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान पीजीआई चंडीगढ़ में मरीजों की जान से खिलवाड़

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ऑडिट रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, पीजीआई में मरीजों को खिला दी घटिया दवाइयां

चंडीगढ़,,,, 14 सितंबर। क्या आप यकीन करेंगे, नॉर्दन इंडिया के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान पीजीआई चंडीगढ़ में ‘गंभीर-चूक’ हो सकती है। दरअसल मरीजों की जान से खिलवाड़ करते हुए उनको घटिया दवाइयां खिला दी गईं। जानकारी के मुताबिक एक ऑडिट रिपोर्ट में यह चिंताजनक खुलासा हुआ है। दवाइयों के इस्तेमाल के बाद पता चला कि वे मानक गुणवत्ता पर खरी ही नहीं उतरती थीं। ऑडिट में जिन दवाओं को निम्न गुणवत्ता का पाया गया, उनमें कई महत्वपूर्ण दवाएं शामिल हैं। जिनका उपयोग गंभीर बीमारियों के इलाज में करते हैं। बताते हैं कि सेंट्रल ऑडिट टीम ने साल 2021-22 के ऑडिट के दौरान पीजीआई की दवा खरीद और वितरण व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
जांच में पता चला कि पीजीआई ने सात अलग-अलग कंपनियों से करीब 1,93,073 दवाओं (इंजेक्शन, टैबलेट, सॉल्यूशन और कैप्सूल सहित) की खरीद की थी। इनमें से 1,04,514 दवाओं का स्टॉक मरीजों के इलाज में इस्तेमाल कर लिया गया था। जांच में सामने आया कि ये दवाएं भारतीय फार्माकोपिया और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम 1945 के मानकों को पूरा नहीं करती थीं। इन दवाओं में पहचान, शुद्धता और शक्ति की कमी पाई गई। इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद पीजीआई प्रशासन ने बची हुई 88,559 दवाओं को वापस कंपनियों को लौटा दिया।
एक और गंभीर पहलू, ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक पीजीआई में दवाओं के उपयोग से पहले उनके परीक्षण का पुख्ता इंतजाम नहीं है। नियमों के अनुसार, पांच लाख रुपये से ऊपर की किसी भी दवा की खरीद के साथ उसकी परीक्षण रिपोर्ट होना अनिवार्य है। जबकि पीजीआई ने इन कंपनियों से बिना रिपोर्ट लिए ही दवाओं की आपूर्ति करा ली, जो नियमों का सीधा उल्लंघन है।

पहले भी मचा था बवाल :
बताते हैं कि पीजीआई में साल 2022 में 24 से 27 अगस्त के बीच न्यूरोसर्जरी के पांच मरीजों की सर्जरी के बाद मौत हो गई थी। इन मरीजों की मौत में बेहोशी की दवा प्रोपोफोल की खराब क्वालिटी को जिम्मेदार माना गया था। उस समय भी मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनी थी।

इस बार ये निम्न गुणवत्ता वाली दवाएं कीं इस्तेमाल :
–मेरोपेनेम 500 एमजी, यह एक एंटीबायोटिक इंजेक्शन है। जो 15,043 इस्तेमाल हो चुके थे।
–टैब एम्लोडेपाइन 10 एमजी, ये 27,405 टैबलेट इस्तेमाल हो गईं थीं।
–पैरासिटामोल आईपी 500 एमजी, ये 47,283 उपयोग में लाई गईं।
–पोविडोन आयोडीन सॉल्यूशन, जो 470 उपयोग हो चुके थे।
–गैबापेंटिन कैप्सूल 300 एमजी, इन 5,804 कैप्सूल का इस्तेमाल हो गया था।
–टैब-रामिप्रिल 5 एमजी, जो 8,479 उपयोग की गईं।