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तीसरा कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 4-6 अक्टूबर 2024 का आगाज़-वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत पर दुनियाँ को विश्वास 

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भारत व ग्लोबल साउथ की अर्थव्यवस्थाओं में आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा

 

दुनियाँ के दो क्षेत्रों में भू- राजनीतिक तनाव के बीच अर्थव्यवस्थाओं के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा,विज़न 2047 को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर स्थापित होगी-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया- वैश्विक स्तरपर जहां एक और दुनियाँ के दो भागों में भू-राजनीतिक तनाव बना हुआ है, जिसपर पूरी दुनियाँ की नज़रें लगी हुई है, क्योंकि फ्रंट पर भले ही रूस-यूक्रेन व हमास-ईरान -इजरायल के युद्ध दिख रहें है,परंतु उसके पीछे पूरी दुनियाँ दो खेमों में बटकर युद्ध में घुसने के लिए तैयार बैठी नज़र आ रहीहै,जिसमें अचंभित आश्चर्य चकित कर देने वाली बात यह है कि 200 से अधिक सदस्यों वाला संयुक्त राष्ट्र कुछ कर पाने में असमर्थ दिख रहा है यही कारण है कि इज़राइल ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटरेज़ को अपने देश में आने पर पाबंदी लगा दी हैक्योंकि उन्होंने ईरान द्वारा इजराइल पर बैलेंसटिक मिसाइल दागने की आलोचना नहीं की है,यानें कुल मिलाकर पश्चिम एशिया उत्तर एशिया तनाव से उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर भारी प्रभाव पड़ने की संभावना है, तो दूसरी ओर ताज़ पैलेस होटल नई दिल्ली भारत में तीसरा कौटिल्य आर्थिकसम्मेलन 4 अक्टूबर को पूरे जोश खरोश के साथ शुरू हो गया, जो 6 अक्टूबर 2024 तक चलेगा, जिसमें 150 से अधिक नेशनल इंटरनेशनल एजुकेशनलिस्ट व पॉलिसी मेकर शामिल हुए हैं जिनमें भारतीय व ग्लोबल समूह के अर्थव्यवस्थाओं ग्रीन ट्रांजैक्शंस को फाइनेंस करने के अलावा के अलावा अनेक मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसको देर शाम भारत के प्रधानमंत्री वित्तमंत्री विदेश मंत्री व अमेरिका के अर्थशास्त्रियों सहित अनेक विशेषज्ञ शामिल हुए जिनके संबोधन की चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे।इस साल के कॉन्क्लेव के थीम्स फाइनेंसिंग द ग्रीन ट्रांजिशन, जियो इकोनॉमिक फ्रेगमेंटेशन और इंप्लीकेशन फॉर ग्रोथ, प्रिंसिपल्स फॉर पॉलिसी एक्शन टू प्रिजर्व रेजिलिएंस अमॉग है।कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के साथ साझेदारी में आर्थिक विकास संस्थान करती है। इवेंट में भूटान के वित्त मंत्री ल्योनपो लेके दोरजी भी शामिल हुए। चूँकि भारतीय व ग्लोबल साउथ की अर्थव्यवस्थाओं में आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे दुनियाँ के दो क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव के बीच अर्थव्यवस्थाओं के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा विज़न 2047 को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी।

साथियों बात अगर हम कॉन्क्लेव के प्रथम दिन देर शाम भारतीय पीएम के संबोधन की करें तो उन्होंने कहा कि बीते दशक में हमने बुनियादी ढांचे पर निवेश को अभूतपूर्व स्तर पर बढ़ाया है। भारत के प्रक्रिया सुधार ने सरकार की गतिविधियों का हिस्सा बनाया है। उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हम पीएलआई (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) लाए। पीएलआई के कारण 1.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया है। अंतरिक्ष क्षेत्र में अब 200 से अधिक स्टार्टअप हैं। भारत मोबाइल फोन के आयातक से उत्पादक बन गया है। भारत में हर क्षेत्र में निवेश के प्रचुर अवसर हैं।उन्होंने कहा कि जल्द ही भारत के पांच सेमीकंडक्टर प्लांट दुनियाँ के अलग-अलग हिस्सों में लगाए जाएंगे और मेड इन इंडिया चिप्स दुनियाँ तक पहुंच सकेंगे। पीएम इंटर्नशिप स्कीम के तहत पहले दिन ही 111 कंपनियों ने पोर्टल पर रजिस्टर किया है। इस स्कीम के तहत हम एक करोड़ युवाओं को बड़ी कंपनियों में इंटर्नशिप में मदद कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में हमने युवाओं के कौशल विकास और इंटर्नशिप के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की है। केवल 10 वर्षों में भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग में 81वें से 39 वें स्थान पर पहुंच गया है।उन्होंने कहा कि आज भारत न सिर्फ शीर्ष पर पहुंचने के लिए प्रयासरत है, बल्कि शीर्ष पर अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए भी काम कर रहा है। हमारे लिए यह कॉन्क्लेव सिर्फ एक डिबेट क्लब नहीं है। हम यहां से मिलने वाले सुझावों को गंभीरता से लेते हैं और नीति निर्माण के दौरान उन्हें लागू करने का प्रयास करते हैं। यह हमारे शासन मॉडल का एक हिस्सा बन जाता है।इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ और वित्त मंत्रालय की साझेदारी में आयोजित कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में पीएम ने वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की आर्थिक प्रगति पर जोर दिया है। उन्होंने कहा, आज का ये कांक्लेव ऐसे समय में हो रहा है जब दो बड़े क्षेत्रों में युद्ध की स्थिति बनी हुई है। ये दोनों देश ग्लोबल इकॉनॉमी के लिए और खास तौर पर एनर्जी सेक्युरिटी के लिहाज से काफी अहम हैं।कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में उपस्थित अन्य विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने भी भारत के भविष्य की अर्थव्यवस्था और वैश्विक भूमिका पर चर्चा की, कॉन्क्लेव का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर विचार करना है, जिसमें विशेष रूप से वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और भू-राजनीतिक स्थिति पर जोर दिया गया है।उन्होंने भारत की आर्थिक सुधारों और विकासशील योजनाओं को भी सराहा और बोले,भारत नें वैश्विक स्तर पर खुद को मजबूत कर रहा है बल्कि ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में है,उन्होंने कार्यक्रम में अपने तीसरे कार्यकाल पर कहा कि नौकरियों का सृजन, कौशल विकास, टिकाऊ वृद्धि और लगातार तेज गति से विस्तार पर सरकार का फोकस रहेगा।उन्होंने कहा कि वैश्विक आपात स्थिति के बीच हम यहां भारतीय युग के बारे में बात कर रहे हैं। यहाँ साबित करता है कि दुनियाँ भारत पर किस तरह भरोसा करती है। उन्होंने कहा कि वित्त प्रौद्योगिकी अपनाने की दर के मामले में भारत शीर्ष राष्ट्र के रूप में खड़ा है।उन्होंने कहा कि भारत दोपहिया वाहनों और ट्रैक्टरों का सबसे बड़ा विनिर्माता है और इस समय मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माता भी है142 करोड़ भारतीयों का विश्वास हमारी ताकत है, हम भारत की बेहतरी के लिए और अधिक संरचनात्मक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हमारी प्रतिबद्धता है कि भारत को विकसित बनाने के लिए हम लगातार संरचनात्मक सुधार करते रहेंगे।भारत मेंसमावेशी विकास हो रहा है।इसके चलते पिछले 10 साल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि भारत की वृद्धि का लाभ सभी को मिले।उन्होंने कहा कि वैश्विक नेता और वित्तीय विशेषज्ञ भारत के विकास की गति को देख रहे हैंनिवेशक मान रहे हैं कि भारत में निवेश का यह सही समय है। यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि हमारी ओर से पूर्व में किए गए सुधारों का परिणाम है।

साथियों बात अगर हम कांन्क्लेव में भारतीय अमेरिकी अर्थशास्त्री के संबोधन की करें तो उन्होंने बताया कि कैसे भारत विकास को लेकर एकदम सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए यहां तक कहा कि इस मामले में इस सरकार को किसी तरह के सुझाव देने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार सही दिशा में और बेहतर सोच के साथ काम कर रही है। भारतीय अमेरिकी अर्थशास्त्री ने मंच से कहा कि भारत कीआर्थिक स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। पुराने दिनों में विश्व बैंक भारत को बताता था कि क्या करना है, लेकिन अब भारत विश्व बैंक को बताता है कि क्या करना है। हम पूरी तरह से एक नए युग में आ गए हैं।उन्होंने आगे कहा कि किसी भी देश के लिए नेतृत्व महत्वपूर्ण है और हमें पीएम की ओर देखना चाहिए। भारत को आंतरिक नीतियों और खराब उत्पादन गुणवत्ता के कारण पीछे रखा गया। पूरे सिस्टम को बदलने की जरूरत थी।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि तीसरा कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 4-6 अक्टूबर 2024 का आगाज़ – वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत पर दुनियाँ को विश्वास भारतीय ग्लोबल साउथ की अर्थव्यवस्थाओं में आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा।दुनियाँ के दो क्षेत्रों में भू-राजनीतिक तनाव के बीच अर्थव्यवस्थाओं के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा,विज़न 2047 को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर स्थापित होगा।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकाऱ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*

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