लुधियाना निगम में कूड़ा लिफ्टिंग को लेकर होगा करोड़ों का खेल, “माल मालिकों का मशहूरी कंपनी की” जैसे होंगे हालात

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चर्चा; 2 करोड़ कलेक्शन के लिए हर महीने सवा 4 करोड़ खर्च करेगा निगम

राजदीप सिंह सैनी

लुधियाना 23 अक्टूबर। लुधियाना नगर निगम आए दिन अपने विवादित कार्यों को लेकर शहर में चर्चा का विषय बना रहता है। अब ताजा मामला नगर निगम के कूड़ा लिफ्टिंग टेंडर को लेकर सामने आया है। जैसे कि पहले ही यूटर्न अखबार द्वारा बताया गया था कि लुधियाना में कूड़ा व गोबर भी सोना उगलते हैं। उसकी ताजा उदाहरण अब फिर से सामने आई है। दरअसल, लुधियाना नगर निगम की और से डोर टू डोर कूड़ा लिफ्टिंग को लेकर टेंडर लगाया जा रहा है। यह टेंडर करीब 169 करोड़ रुपए का होगा। इस टेंडर के जरिए कूड़ा लिफ्टिंग से लेकर पेमेंट कलेक्शन तक का जिम्मा कंपनी को दिया जाना है। लेकिन चर्चाएं हैं कि बेशक करोड़ों रुपए का यह टेंडर तो लगने जा रहा है, लेकिन इसमें कूड़ा लिफ्टिंग पहले की तरह निगम मुलाजिम ही करेगें, जबकि कलेक्शन के लिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल होगा। ऐसे में लोगों में चर्चा छिड़ गई है कि अगर कूड़ा लिफ्टिंग निगम मुलाजिमों ने ही करनी है तो फिर कंपनियों को 169 करोड़ का टेंडर देने का क्या मतलब है। इस टेंडर को देखकर यह कहावत फीट बैठती है कि माल मालिकों का, मशहूरी कंपनी की। यानि कि काम सारा निगम ही करेगा, जबकि पेमेंट को कंपनी हड़प कर जाएगी। चर्चा है कि इस टेंडर की आड़ में निगम के बड़े अफसरों द्वारा करोड़ों का खेल करने की तैयारी की जा रही है। इसके जरिए सरकार को बड़ा चूना लगाने का प्रयास हो रहा है।

तीन साल के लिए दिया जाएगा ठेका, बाहरी कंपनी को ठेका देने की चर्चा

चर्चा है कि निगम द्वारा यह 169 करोड़ का टेंडर तीन साल के लिए दिया जाएगा। टेंडर ऑनलाइन है और कोई भी कंपनी इसमें टेंडर के लिए आवेदन कर सकती है। 30 अक्टूबर को टेंडर खुलेगा। पहले इसे 27 को खोला जाना था। लेकिन अब इसकी तारीख आगे बढ़ा दी गई है। चर्चा है कि यह टेंडर एक दिखावा है, दरअसल बाहरी कंपनियों को ठेका देकर उच्च अफसरों द्वारा इसमें रिश्वत का बड़ा हेरफेर किया जाना है। वहीं चर्चा है कि हाउस द्वारा यूजस चार्जस तय किए जाएंगे कि लोगों से कितने पैसे लेने है।

क्यूआर कोड के जरिए होगी कलेक्शन

निगम अफसरों द्वारा अकसर कहा जाता है कि शहर के हर घर, दुकानों व फैक्ट्रियों से कूड़ा लिफ्टिंग होने के बावजूद पेमेंट कलेक्शन नहीं हो पाती। जिसके चलते निगम को भारी नुकसान होता है। इसी नुकसान को बचाने के लिए निगम द्वारा क्यूआर कोड नियम लाया जा रहा है। जिसके चलते हर घर के बाहर क्यूआर कोड लगेगा। महीने बाद उक्त घर, दुकान व फैक्ट्री का मालिक कोड स्कैन करके पेमेंट डालेगा। उक्त पेमेंट निगम के खाते में जाएगी। इसके लिए निगम द्वारा बैंक से लिंक करके अलग अकाउंट खोला जा रहा है। जिसमें कूड़ा कलेक्शन की पूरी पेमेंट आएगी।

2 करोड़ कलेक्शन के लिए सवा 4 करोड़ खर्च करेगा निगम

निगम के इस अजीबोगरीब टेंडर को लेकर बड़े सवाल खड़े होने शुरु हो चुके हैं। चर्चा है कि निगम के रिकॉर्ड मुताबिक 4 लाख 25 हजार घरों से कूड़ा कलेक्शन होती है। जबकि दुकानें व इंडस्ट्री अलग है। चर्चा है कि एक अनुमान के मुताबिक कूड़े की हर महीने की कलेक्शन करीब सात करोड़ है। लेकिन निगम सिर्फ 5 करोड़ कर पाता है। हैरानी की बात तो यह है कि दो करोड़ कम हो रही कलेक्शन को पूरा करने के लिए हर महीने सवा 4 करोड़ रुपए कंपनी को दिए जाएंगे। यानि कि दो करोड़ इकट्ठे करने को सवा 4 करोड़ रुपए खर्च होंगे। लेकिन रिकॉर्ड में यही दिखाया जाएगा कि ठेका लेने वाली कंपनी हर महीने चार करोड़ लेकर सात करोड़ इकट्ठा करके निगम को दे रही है।

रिकॉर्ड में कूड़ा कंपनी उठाएगी, हकीकत में निगम

चर्चा है कि यह खेल उच्च अधिकारियों द्वारा बड़े शातिर तरीके से किया जा रहा है। किताबों में डोर टू डोर कूड़ा लिफ्टिंग कंपनी द्वारा होगी। जबकि हकीकत में कूड़े को निगम के मुलाजिम ही घरों से उठाएंगे। चर्चा है कि इसमें नीचे सत्र से लेकर उच्च अफसरों तक का हिस्सा रहेगा।

एक ही काम के लिए दो जगह पैसे खर्च करेगा निगम

वहीं चर्चा है कि नगर निगम द्वारा कुछ समय पहले ही नए सफाई कर्मियों की भर्ती की है। जबकि कागजों में भर्ती हुई है, लेकिन असलियत में उतने मुलाजिम दिखाई नहीं देते। अगर अधिकारी कागजों में भी भर्ती की बात करते हैं, तो फिर उन मुलाजिमों से कलेक्शन का काम क्यों नहीं लिया जा रहा। एक तरफ उन्हें भर्ती करके सैलरी भी दी जा रही है और कलेक्शन के लिए कंपनी को करोड़ों रुपए का ठेका भी दिया जा रहा है। ऐसे में एक ही काम के लिए दो दो जगह पैसे खर्च करने का क्या मतलब है।

मान सरकार को बदनाम करने का प्रयास

चर्चा है कि इस टेंडर के खेल में मान सरकार को बदनाम करने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा है। चर्चा है कि कुछ उच्च अधिकारियों द्वारा जानबूझकर सीएम भगवंत मान की सरकार का अक्स लोगों में खराब करने के लिए यह प्लान किया गया है। अब देखना होगा कि क्या सरकार इस मामले में एक्शन लेती है या नहीं।

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