लुधियाना 28 जुलाई। जुलाई। श्री आत्मानंद जैन सभा लुधियाना के जैन उपाश्रय व श्री आत्मानंद जैन महासमिति के संयोजन में श्री आत्म वल्लभ जैन उपाश्रय में चातुर्मास हेतु विराजमान श्रीमद् आत्म वल्लभ समुद्र इंद्र सुरीश्वर जी महाराज के क्रमिक पट्टधर गच्छाधिपति शांतिदूत जैनार्चाय श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरी जी महाराज की आज्ञानुवर्ती शांत स्वभावी विदुषी साध्वी संपत श्री जी महाराज की सुशिष्या सरल स्वभावी साध्वी चंद्रयशा श्री जी महाराज व प्रवचन निपुण साध्वी श्री पुनीतयशा श्री जी महाराज की पावन मिश्रा में सत्संगत हुआ। इस अवसर पर साध्वी श्री पुनीतयशा श्री जी महाराज ने प्रवचन करते कहा कि गुणों से ही व्यक्ति की पूजा होती है। मानव जीवन बेशक पा लिया, लेकिन इंसानियत नहीं आई तो जीवन बेकार है। न्याय संगत जीवन होना चाहिए। अन्याय का धन ज्यादा देर तक नहीं टिकता, न ही वह सुख शांति देता है। प्रवचन करते कहा कि जो आत्मा जयणा पूर्वक कार्य करती है, वो ही अनुभोदनीय है। श्रद्धा, विवेक और क्रिया से कार्य करने वाला ही सच्चा श्रावक कहलाता है। इस दौरान श्री आत्मानंद जैन सभा रजि के कार्यकारी अध्यक्ष गुलशन जैन ने बताया कि सरल स्वभावी साध्वी चंद्रयशा श्री जी महाराज व प्रवचन निपुण साध्वी श्री पुनीतयशा श्री जी महाराज के प्रवचनों की ज्ञान की गंगा से संगत भावविभोर हुई। इस मौके पर श्री आत्मानंद जैन सभा के कार्यकारी प्रधान गुलशन जैन गिरनार ने कहा कि इस चातुर्मास में हो रहे समारोह का सभी लार्भार्थी लाभ उठा रहे हैं।
