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प्रेम में लालच, गुस्से या विश्वासघात के लिए कोई जगह ही नहीं होती ~ संत अश्वनी बेदी जी महाराज

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लुधियाना 11अक्टूबर :   श्री राम शरणम् श्री राम पार्क में चल रहे श्री रामायण ज्ञान यज्ञ में संत श्री अश्विनी बेदी जी महाराज ने कहा कि रामायण बताती है कि कुछ गुणों को अपनाकर और कुछ खास बातों का ध्यान में रखकर मर्यादा एवं अनुशासन वाला जीवन जीना चाहिए। इससे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। रामायण एक राजपरिवार और राजवंश की कहानी है जो पति-पत्नी, भाई और परिवार के अन्य सदस्यों के आपसी रिश्तों के आदर्श पेश करती है।

रामायण से हर इंसान को कुछ न कुछ सीखकर अपने जीवन में अच्छी बातें शामिल करनी चाहिए। इससे जीवन का स्तर बढ़ेगा। वहीं अच्छे गुणों के प्रभाव से हर कामों सफलता मिलेगी। मानसिक तनाव से बचेंगे और परेशानियों से भी दूर रहेंगे।

 

संत अश्वनी बेदी जी ने कहा कि विविधता में एकता रामायण की बड़ी सीख है । इस महाकाव्य में जब श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने जाते हैं तो उनकी सेना में मनुष्यों से लेकर बंदर और अन्य जानवर भी शामिल थे। सभी ने श्रीराम का साथ दिया इसके अलावा राजा

दशरथ के चारों बेटों का चरित्र अलग होने के बावजूद उनमें एकजुटता रहती है यह हर परिवार के लिए दुःख के समय से बाहर निकलने की सीख है।

श्री रामायण में रिश्‍ते और विश्वास का बहुत महत्व है ।

श्री रामायण में चारों भाइयों में प्रेम था। *संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने कहा प्रेम में लालच, गुस्से या विश्वासघात के लिए जगह ही नहीं होती*। लक्ष्मण ने 14 साल तक भाई राम के साथ वनवास किया, वहीं दूसरे भाई भरत ने राजगद्दी के अवसर को ठुकरा दिया। भाइयों के प्यार की ये सीख हमें लालच और सांसारिक सुखों के बजाय रिश्तों को महत्व देने के लिए प्रेरित करती है।

 

श्रीराम का व्यक्तित्व मर्यादा और अनुशासनपूर्ण था। उन्होने मर्यादओं में रहकर अपने जीवन की हर जिम्मेदारी को अच्छे से पूरा किया। उनके जीवन से हमें यही सीखना चाहिए कि मर्यादा और अनुशासन में रहकर हम एक अच्छे इंसान बन सकते हैं।

श्रीराम शांत स्वभाव के थे। उनमें हर इंसान के लिए दया का भाव था। उन्होंने प्रेम और दया के साथ एक पुत्र, पति, भाई और एक राजा की जिम्मेदारियों को भी अच्छे से निभाया। श्रीराम का ये स्वभाव आपसी प्रेम और सम्मान जैसे

मानवीय गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इन गुणों को अपनाकर हम खुशहाल और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं। इसी की मदद से हम समाज की बुराइयों पर जीत हासिल कर सकते हैं।

श्री रामायण में सबसे समान व्यवहार की शिक्षा मिलती है ।

भगवान राम का विनम्र आचरण और सभी के प्रति सम्मान का भाव हमको सीख देता है। हमें पद, उम्र, लिंग आदि के भेदभावों के बावजूद सबसे समान व्यवहार करना चाहिए। पशुओं के प्रति प्यार और दया भी हमारे मन में होनी

चाहिए। सच्चा मानव वही है जो सबसे समानता से पेश आता है।

सभा में माँ रेखा बेदी , आशीमा बेदी , संयम भल्ला ने श्री रामायण का पाठ करवाया । महेश मित्तल , विनायक मित्तल , रंचल मित्तल , राज मित्तल , उमा मित्तल , सुमन जैन , मधु बजाज , मंजु गुप्ता , रजनी आहूजा , रमा , नीलम दुग्गल , स्वीट धवन , दीक्षा धवन , राज गुप्ता सहित अनेक साधक सम्मिलित हुए ।

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