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देश की अदालतों पर है बड़ा बोझ 5 करोड़ से अधिक मामले लंबित

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सांसद अरोड़ा ने राज्यसभा में अदालती मामलों के लंबित होने का उठाया मुद्दा

लुधियाना 27 जुलाई। यह चिंताजनक पहलू है कि देशभर की अदालतों पर लंबित मामलों का बहुत बड़ा बोझ है। मौजूदा वक्त 5 करोड़ से अधिक मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। लुधियाना से सांसद संजीव अरोड़ा ने राज्यसभा में बजट सत्र के दौरान यह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया।
सवालों का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने पिछले पांच वर्षों में भारतीय न्यायपालिका में लंबित कुल मामलों की संख्या के बारे में जानकारी दी। मंत्री ने राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार डेटा प्रदान किया। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की वर्षवार कुल संख्या इस प्रकार थी। क्रमानुसार 59,858 साल 2019 में, 65,086 (2020), 70,239 (2021), 69,768 (2022) और 80,765 साल 2023 में कुल लंबित मामले थे।
इसी तरह, हाईकोर्ट में लंबित मामलों की वर्षवार कुल संख्या इस प्रकार थी। क्रमानुसार 46,84,354 मामले साल 2019 में, 56,42,567 (2020), 56,49,068 (2021), 59,78,714 (2022) और 62,12,375 मामले 2023 थे। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट एंड सेशंस कोर्ट में लंबित मामलों की वर्षवार कुल संख्या निम्नानुसार थी। क्रमानुसार 3,22,96,224 साल 2019 में, 3,66,39,436 (2020), 4,05,79,062 (2021), 4,32,09,164 (2022) और 4,44,09,480 मामले 2023 थे।
कई कारणों से मामले लंबित : न्यायालयों में लंबित मामलों के कारणों का हवाला देते हुए मंत्री ने अपने उत्तर में उल्लेख किया कि न्यायालयों में लंबित मामलों के कई कारण हैं। जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ भौतिक अवसंरचना और सहायक न्यायालय कर्मचारियों की उपलब्धता, शामिल तथ्यों की जटिलता, साक्ष्य की प्रकृति, हितधारकों अर्थात बार, जांच एजेंसियों, गवाहों और वादियों का सहयोग और नियमों और प्रक्रियाओं का उचित अनुप्रयोग शामिल हैं।
इस बाबत सांसद अरोड़ा ने कहा कि मंत्री ने अपने उत्तर में आगे बताया कि मामलों के निपटान में देरी के अन्य कारणों में विभिन्न प्रकार के मामलों के निपटान के लिए संबंधित न्यायालयों द्वारा निर्धारित समय-सीमा का अभाव, बार-बार स्थगन और सुनवाई के लिए मामलों की निगरानी, ट्रैक और समूहीकरण के लिए पर्याप्त व्यवस्था का अभाव शामिल है।
मंत्री ने आगे उत्तर दिया कि सरकार और न्यायपालिका की ओर से लगातार प्रयासों के कारण न्यायाधीशों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या वर्ष 2014 में 31 से बढ़कर वर्तमान में 34 हो गई है। मई 2014 से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 62 न्यायाधीशों की नियुक्ति की है। इसके अलावा, हाई कोर्ट्स के मामले में, हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या वर्ष 2014 में 906 से बढ़कर आज की तारीख में 1114 हो गई है, तथा वर्ष 2014 से हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के कुल 208 नए पद सृजित किए गए हैं। वर्ष 2014 से अब तक हाई कोर्ट के कुल 976 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है।
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